हिमाचल प्रदेश के लोक संगीत में शोध की दिशाएं

By: Apr 4th, 2021 12:04 am

डा. मनोरमा शर्मा  मो.-9816534512

हिमाचल प्रदेश के लोकसाहित्य और लोक संगीत में भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत विविधता है। यद्यपि प्रशासनिक दृष्टि से प्रदेश के बारह  जिले हैं, परंतु अपनी बोली, रीति-रिवाज और ऐतिहासिक विभिन्नता के कारण इनकी विशिष्ट सांस्कृतिक और सांगीतिक पहचान है। यही कारण है कि शोधकर्ता विभिन्न आयामों की गहराई तक जाकर अपनी जिज्ञासाओं के उत्तर पाने का प्रयत्न करने में लगे हुए हैं, फिर भी बहुत से प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं। लोक संगीत लोकसाहित्य का सबसे सशक्त और महत्वपूर्ण अंग है। अनेक जिज्ञासाओं के उत्तर गहन शोध और अंतर्विधायी विमर्श से ही प्राप्त हो सकते हैं। जिस प्रकार मानव जीवन के रहस्यों का पूर्ण रूप से उद्घाटन संभव नहीं हुआ है, उसी प्रकार लोकमानस के संगीत के भी अनंत आयाम ऐसे हैं जहां तक अभी शोधकर्ताओं  की पैठ नहीं हुई है। विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्रों के लोक संगीत पर कोई योजनाबद्ध कार्य नहीं हुआ है। कई शोध कार्यों में विषय-वस्तु सीमित होने के कारण बहुत से पक्ष और आयाम छूट जाना स्वाभाविक है। सीमावर्ती क्षेत्रों  के संगीत का प्रभाव भी स्थानीय संगीत पर हावी होता है। कई गायन शैलियां ऐसी हैं जिनकी धुनें  सीमावर्ती क्षेत्रों के लोक गीतों के समान हैं, केवल बोली का अंतर है। ऐसी शैलियों पर गहन अध्ययन की अपेक्षा की जाती है। शोधार्थी जिस भी विषय को लेता है, उससे संबंधित अन्य सूत्र भी साथ जुड़ते चले जाते हैं।

ऐसे सूत्रों की उपेक्षा न करते हुए उन पर भी गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है। लोकसाहित्य के अंतर्गत लोक कथाएं, पहेलियां, मुहावरे, लोकोक्तियां, आख्यान तथा पर्व-त्यौहार आदि आते हैं। इन्हें मनाने के पीछे भिन्न-भिन्न किंवदंतियां और मान्यताएं हैं । इसलिए इनके कथानक भी भिन्न हैं। अतः ऐसे विषयों पर तुलनात्मक विमर्श किया जा सकता है। जहां इस अवसर पर गाए जाने वाले गीत, नृत्य, वाद्य, रीति-रिवाज और त्यौहार के अवसर पर बनाए जाने वाले विशेष पकवान, नर्तकों की वेशभूषा, आभूषण, वहां के स्थानीय देवी-देवता, उनसे जुड़े कार्यकलाप, मान्यताएं, रीति-रिवाज, विशेष गीत, नृत्य, वाद्य, उनकी वादन शैलियों का अध्ययन प्राप्त हो सकेगा, वहीं इन दूरदराज के क्षेत्रों के विषय में  बृहद जानकारी देश को मिल पाएगी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में  पीएचडी डिग्री हेतु लोक संगीत के विभिन्न पहलुओं पर काफी कार्य हुआ है। 1986 से 2019 तक  संपन्न हुए शोध कार्यों का विवेचन किया जाए तो ज्ञात होता है कि क्षेत्र विशेष के लोक संगीत के विभिन्न पक्षों पर शोधकार्य हुए हैं।

शोध निर्देशकों में प्रोफेसर डा. इन्द्राणी चक्रवर्ती, डा. मनोरमा शर्मा, डा. चमन लाल वर्मा, डा. राम स्वरूप शांडिल, डा. परमानंद बंसल और डा. जीतराम शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कुछ शोध विषय इस प्रकार हैं ः हिमाचल प्रदेश के लोक वाद्य। हिमाचली लोक नाट्य धाजा ः सांस्कृतिक और सांगीतिक अध्ययन। हिमाचली नाटी का उद्भव, विकास और वर्तमान स्वरूप। हिमाचली लोक संगीत की शब्दावली का अध्ययन। बौद्ध धर्म के संगीत का सांस्कृतिक और सांगीतिक पक्ष। हिमाचल प्रदेश की सतलुज घाटी का लोक संगीत। हिमाचली लोक संगीत का आध्यात्मिक पक्ष। हिमाचल प्रदेश का ‘करियाला’ लोक नाट्य। हिमाचल प्रदेश में  ‘गुग्गा गाथा’ गायन। हिमाचली गाथात्मक गीतों में ‘छहाड़ी’ का महत्व। हिमाचल  प्रदेश के लोक संगीत के कलाकारों का योगदान। हिमाचल प्रदेश के सुगम संगीत के कलाकार। हिमाचल प्रदेश की ‘गिद्दा’ नृत्य शैली। हिमाचली लोक संगीत के विघटन के कारक। मंडी जनपद के लोक संगीत का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन। मंडी जनपद की संगीत चेतना का अध्ययन। शिमला जिले का लोक संगीत। शिमला जिले के देव गीत। शिमला जिले के लोक नृत्य। शिमला और सोलन के लोक संगीत का तुलनात्मक अध्ययन। शिमला जनपद की ‘भूण्डा तथा शान्द प्रथा’। शिमला जिले के ‘रोहड़ू और डोडरा क्वार’ के लोक संगीत का अध्ययन। सोलन जनपद का लोकसंगीत।

हिमाचल के लोक संगीत में सोलन की व्यावसायिक जातियों का योगदान। कुल्लू जनपद का लोक संगीत। कुल्लू के लोक नृत्य। चम्बा और कुल्लू के नृत्य गीतों का तुलनात्मक अध्ययन। कुल्लू के देव गीत और ‘गुर’ का महत्व। चंबा के लोक नृत्य। चंबा और कांगड़ा की गद्दी जनजाति के लोकगीत। चंबा का ‘मुसादा’ गायन। चंबा की अनिबद्ध गायन शैलियां। गद्दी जनजाति का लोकसंगीत। गद्दी जनजाति की लोकगाथाएं। बिलासपुर जनपद का लोक संगीत। बिलासपुर जनपद के लोकगीत। बिलासपुर के लोक संगीत का आध्यात्मिक पक्ष। बिलासपुर के लोक संगीत पर सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रभाव।

कांगड़ा जनपद के संस्कार गीत। कांगड़ा के लोकगीतों पर सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रभाव। कांगड़ा के लोकगीतों में  विकसित रागों का अध्ययन। सिरमौर के पारंपरिक लोकगीत तथा उनका आधुनिक स्वरूप। सिरमौर के लोक वाद्य। सिरमौरी लोक संगीत पर सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रभाव। सिरमौर का करियाला लोक नाट्य। हमीरपुर का लोक संगीत। हमीरपुर की लोक गाथाएं।

ऊना जिले के लोकगीत और  उन पर  पंजाब के लोक संगीत का प्रभाव।   ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा की लोक गाथाएं। लाहौल-स्पीति क्षेत्र का जनजातीय संगीत। लाहौल-स्पीति के संस्कार गीत। किन्नौर का लोक संगीत। किन्नौर की लोक गाथाएं। किन्नौर के मेले, पर्व, त्यौहारों के गीत। वर्तमान में संगीत विभाग में विभिन्न विषयों पर शोध कार्य प्रगति पर है।


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