मकसद से भटक गया जीएसटी, हिमाचल में एक प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी तल्ख टिप्पणी की है। जीएसटी को लागू करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स हो, लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू किया जा रहा है, वह इसके मकसद को खत्म कर रहा है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि टैक्समैन हर बिजनेसमैन को धोखेबाज नहीं कह सकता। हिमाचल प्रदेश जीएसटी के एक प्रावधान को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स स्ट्रक्चर बने, लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू कराया जा रहा है, इसका मकसद खत्म हो गया है।
हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट 2017 के उस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि मामले की कार्यवाही पेंडिंग रहने के दौरान अधिकारी चाहे तो बैक अकाउंट समेत अन्य प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है। जीएसटी एक्ट की धारा-83 में प्रावधान है कि अगर कोई मामला पेंडिंग है और कमिश्नर यह समझता है कि सरकार के राजस्व के हित को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है, तो वह संबंधित पक्षकार (जिनके टैक्स का मामला है) की संपत्ति और बैंक अकाउंट आदि अटैच कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट की धारा-83 को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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