ऊना की बेटी चंडीगढ़ में कर रही कोरोना मृतकों का संस्कार, शवों को कंधा देने के साथ मुखाग्नि दे रहीं सविता

By: Apr 27th, 2021 12:08 am

शवों को कंधा देने के साथ मुखाग्नि दे रहीं सविता, अब तक 100 से अधिक लोगों का कर चुकी हैं संस्कार

 नगर संवाददाता – ऊना

कोरोना काल में जहां अपने साथ छोड़ रहे हैं, वहीं ऊना की बेटी सविता कोरोना बीमारी से मौत का ग्रास बने लोगों का अंतिम संस्कार कर अनूठी मिसाल पेश कर रही है। ऊना शहर के वार्ड नंबर तीन की निवासी सविता अब तक 100 से अधिक कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। हालांकि शुरुआत में सविता के अपनों ने ऐसा करने पर ऐतराज भी जताया, लेकिन समाजसेवा पर रथ पर सवार सविता के कदम नहीं रुके। माता-पिता को खो चुकी सविता अपनों को खोने का दर्द भलीभांति जानती हैं। इसी दर्द ने उसे लोगों की सेवा के लिए प्रेरित किया। 26 साल की सविता ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में पढ़ाई पूरी की है। मौजूदा समय में वह सिसिल सर्विसेज की तैयारी में जुटी हुई हैं। वर्ष 2018 में सविता रेडक्रॉस सोसायटी चंडीगढ़ से जुड़ी और समाजसेवा में जुट गईं। मार्च, 2020 में जब कोरोना ने देश सहित चंडीगढ़ की ओर कदम बढ़ाए तो रेडक्रॉस सोसायटी लोगों की सहायता के लिए आगे आई।

उस समय देश भर में डर का माहौल था। अब लोग घरों में कैद होकर रह गए थे। तब सोसायटी ने कोरोना संक्रमित मरने वालों के अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया और सोसायटी के टे्रनिंग सुपरवाइजर सुशील कुमार टांक ने सविता ने जब इस बारे में बात की तो ऊना की बेटी ने बिना डरे समाजसेवा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हामी भर दी। इसके बाद सविता ने एक बार भी अपने कदम पीछे नहीं खींचे और जरूरत के अनुसार आगे बढ़ने लगीं। रेडक्रॉस सोसायटी एक साल में करीब 100 कोरोना मृतकों की आर्थियों को कंधा देने का काम कर चुकी हैं। सविता का एक छोटा भाई भी है, जो अभी पढ़ाई कर रहा है। बहरहाल, सविता व उनकी टीम कोरोना मरीजों को कंधा देने के साथ-साथ अतिम संस्कार का सारा काम कर रही है।

हैंडबाल की नेशनल खिलाड़ी हैं सविता

सविता हैंडबाल की नेशनल स्तरीय खिलाड़ी है। ऊना में स्कूली दिनों में सविता ने हैंडबाल खेलना शुरू किया था और अपने बढि़या खेल के दम पर आज वह एक बेहतरीन हैंडबाल खिलाड़ी हैं।

पार्थिव देह को बिना डर दे रहीं मुखाग्नि

चंडीगढ़ में कोरोना बीमारी के चलते मौत का ग्रास बनने वालों को सविता जहां कोरोना संक्रमित मृतकों को बिना डर के कंधा दे रही हैं, वहीं मृतक की पार्थिव देह को मुखाग्नि देने से भी सविता हिचक नहीं रही हैं।

25 से 30 लोगों की टीम कर रही समाजसेवा

रेडक्रॉस सोसायटी की 25 से 30 सदस्यों की टीम पिछले एक वर्ष से कोरोना संक्रमित लोगों के संस्कार में जुटी हुई है। संस्कार के लिए टीम के छह सदस्यों की टीम विभिन्न अस्पतालों के शव गृह से एंबुलेंस के जरिए शवों को शमशान घाट तक पहुंचाते हैं। जहां पूरे विधि-विधान से शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। टीम के सदस्य पीपीई किट सहित अन्य एहतियात बरतते हैं।

माता-पिता के निधन से मिले दुख को बनाया ताकत

सविता ने बताया कि उसकी माता रामकुमारी व पिता हरिपाल का निधन हो चुका है। जब सभी ने हाथ खींच लिए, तो उन्होंने अपने दर्द को ताकत बना लिया और आगामी पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चली गई। जहां पर रेडक्रॉस सोसायटी से जुड़ी और लोगों की सेवा में जुट गई। सविता ने बताया कि वह सिविल सर्विस में जाना चाहती हैं और उसकी शुरुआत उन्होंने कोरोना काल से की है।


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