कोरोनाकाल में बढ़ा कृषि निर्यात

सरकार को अन्य देशों की मुद्रा के उतार-चढ़ाव सीमा शुल्क में मुश्किलें जैसे कई मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा। देश के चिह्नित फूड पार्कों में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा, शोध सुविधाओं और परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाना होगा। 15वें वित्त आयोग द्वारा गठित कृषि निर्यात पर उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह ने जो सिफारिशें सरकार को सौंपी हैं, उनका क्रियान्वयन भी लाभप्रद होगा…

हाल ही में 5 मई को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोरोना महामारी की आपदा के बीच कृषि क्षेत्र को सुचारू करने के लिए उठाए गए ठोस कदमों का लाभ कृषि उत्पादन एवं कृषि निर्यात बढ़ने में दिखाई दे रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच देश से कृषि उत्पादों के निर्यात की ऊंचाई का सुकून भरा परिदृश्य दिखाई दे रहा है। यद्यपि कोरोना महामारी ने अकल्पनीय मानवीय और आर्थिक आपदाएं निर्मित की हैं, लेकिन इन आपदाओं के बीच भारत ने वैश्विक स्तर पर  खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के मद्देनजर कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का अवसर मुट्ठियों में लिया है। इतना ही नहीं भारत दुनिया में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति हेतु एक सुसंगत और विश्वसनीय निर्यातक देश के रूप में उभरकर सामने आया है। हाल ही में 21 अप्रैल को कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल से फरवरी के 11 महीनों के दौरान देश से 2.74 लाख करोड़ रुपए के कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया। यह सालभर पहले की इसी अवधि के 2.31 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 16.88 फीसद ज्यादा रहा है। यद्यपि इसी अवधि में कृषि एवं संबंधित वस्तुओं का आयात भी तीन फीसदी बढ़कर 1.41 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत के पक्ष में कृषि व्यापार संतुलन बढ़कर 1.32 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यदि हम कृषि निर्यात के आंकड़ों को देखें तो पाते हैं कि चावल, गेहूं, मोटे अनाज के निर्यात में अप्रैल से फरवरी 2021 की अवधि के दौरान तेज वृद्धि हुई है।

क्योंकि दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण चावल, गेहूं, मक्का और अन्य कृषि पदार्थों का निर्यात करने में पिछड़ गए, ऐसे में भारत ने इस अवसर का दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया। भारत से गेहूं के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। गेहूं का निर्यात सालभर पहले के 425 करोड़ रुपए से बढ़कर 3,283 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया। खासतौर से अफगानिस्तान को 50 हजार टन और लेबनान को 40 हजार टन गेहूं निर्यात किया गया है। गैर बासमती चावल का निर्यात 13,030 करोड़ रुपए से बढ़कर 30,277 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। भारत ने ब्राजील, चिली जैसे कई नए बाजारों में पकड़ बनाई है। खास बात यह भी है कि चीन ने भी भारत से बासमती चावल खरीदना शुरू किया है। खाद्यान्न के अलावा अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में भी डॉलर मूल्यों के आधार पर अच्छी वृद्धि हुई है। इनमें खासतौर से प्रसंस्कृत सब्जियों में करीब 36.5 प्रतिशत, मिल्क प्रोडक्ट्स में करीब 34.3 प्रतिशत, प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं में करीब 30.2 प्रतिशत, दलहन में करीब 26.3 प्रतिशत, ताजा सब्जियों और बीज में करीब 12.2 प्रतिशत तथा ताजे फलों में करीब 6.4 फीसदी वृद्धि उल्लेखनीय है। निसंदेह कोविड.19 के बीच दुनिया भर में लॉकडाउन और कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने से खाद्य पदार्थों के  वैश्विक खरीदारों के साथ जुड़ना मुश्किल काम था। ऐसे में कृषि निर्यात संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण ने विशिष्ट वर्चुअल वैश्विक कृषि व्यापार मेलों और देश के कृषि पदार्थों के निर्यातकों के साथ वैश्विक खरीददारों की अलग-अलग इंटरेक्शन मीट आयोजित की।

 इतना ही नहीं एपीडा ने कृषि निर्यात से विभिन्न विभागों के साथ निकट समन्वय स्थापित किया और निर्यात को बढ़ाने के लिए दिन-प्रतिदिन के आधार पर कृषि निर्यातकों के साथ संपर्क बनाए रखा। इसके साथ-साथ केला, अंगूर, प्याज, आम, अनार, पुष्प आदि के लिए निर्यात संवर्धन मंच की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि कृषि पदार्थों के निर्यात बढ़ाने में भारत के कृषि, अनुसंधान और कृषि मानकों की वैश्विक मान्यता ने भी अहम भूमिका निभाई है। भारत के पास खाद्यान्न, ताजे फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत उत्पाद आदि से संबंधित करीब 130 भौगोलिक संकल्प हैं। ज्ञातव्य है कि भौगोलिक संकेत उत्पाद की विशेषताओं को दर्शाता है।  देश से कृषि निर्यात बढ़ने के कई अन्य कारण भी दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने नई कृषि निर्यात नीति के तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया है। निर्यात किए जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए है। कृषि निर्यात की प्रक्रिया के मध्य खराब होने वाले सामान और कृषि पदार्थों की साफ सफाई के मसले पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। साथ ही राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है। पिछले वर्ष 2020 से शुरू हुई किसान ट्रेनों ने भी कृषि निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। अब एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश से कृषि निर्यात और अधिक बढ़ाए जाने की चमकीली संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। एक ओर देश में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन का परिदृश्य दिखाई दे रहा है, तो दूसरी ओर देश के कृषि निर्यात संबंधी कमियां दूर की जा रही हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक फसल वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के दूसरे अग्रिम अनुमान में खाद्यान्नक उत्पारदन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 303.34 मिलियन टन अनुमानित है।

चावल का उत्पादन 120.32 मिलियन गेहूं का उत्पादन 109.24 मिलियन टन, मोटे अनाजों का उत्पादन 49.36 मिलियन टन, दलहन उत्पादन 24.42 मिलियन टन तथा तिलहन उत्पादन 37.31 मिलियन टन अनुमानित हुआ है। निसंदेह चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए कई कृषि निर्यात अवरोध दूर किए जाने होंगे। उदाहरण के लिए पशुधन के मामले में, आयात करने वाले कई देश मांस और दूध से बने उत्पादों के लिए फूड एंड माउथ रोग मुक्त स्थिति की शर्त लगा रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ देशों की शर्त यह भी है कि निर्यात की जाने वाली उपज कीट मुक्त क्षेत्रों से होनी चाहिए। इन अवरोधों को दूर करने के लिए संबंधित देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से वार्ताएं तेजी से आगे बढ़ाई जाना होगी। अब कृषि निर्यात बढ़ाने पर कई और बातों पर भी ध्यान दिया जाना होगा। कृषि निर्यातकों के हितों के अनुरूप मानकों में उपयुक्त बदलाव किया जाना होगा, ताकि कृषि निर्यातकों को कार्यशील पूंजी आसानी से प्राप्त हो सके। सरकार को अन्य देशों की मुद्रा के उतार-चढ़ाव सीमा शुल्क में मुश्किलें जैसे कई मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा। देश के चिह्नित फूड पार्कों में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा, शोध सुविधाओं और परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाना होगा। 15वें वित्त आयोग द्वारा गठित कृषि निर्यात पर उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह ने जो सिफारिशें सरकार को सौंपी हैं, उनका क्रियान्वयन भी लाभप्रद होगा। हम उम्मीद करें कि देश से कृषि निर्यात बढ़ने पर देश के कुल निर्यात में वृद्धि होगी। इससे किसानों की आदमनी व ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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