कोरोना वायरस को व्यवसाय बनने से रोको

By: May 4th, 2021 12:06 am

लोग सेनेटाइजर, मास्क, ग्लब्ज और पीपीई किटें खरीदने में अपना घरेलू बजट खर्च करते जा रहे हैं। सेनेटाइजर का इस्तेमाल कार्यालयों में किया जाता था, आज अधिकतर लोगों के घरों में यह देखने को मिल रहा है। इस महामारी से बचाव के लिए आम जनमानस को अपने भोजन में अदरक, लहसुन, काली मिर्च, दाल चीनी, हल्दी, तुलसी और सलाद में नींबू का उपयोग करना चाहिए…

कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू होने पर मानवता भी शर्मसार होकर रह गई गई है। लोग संक्रामक रोग से पीडि़त व्यक्तियों के साथ बहुत ही गलत व्यवहार कर रहे हैं। यही नहीं, कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो जागरूकता की बजाय जनता को भयभीत किए जाने की अधिक कोशिश की जा रही है। कैसा नाजुक दौर आ गया कि मृतक लोगों के अंतिम संस्कार के लिए भी उनके परिजनों को मजबूरन घंटों इंतज़ार करना पड़ रहा है। रोग का पता लगाने के लिए जनता को भारी-भरकम रकम चुकाकर भी सिर्फ मानसिक प्रताड़ना ही मिल रही है। कोरोना वायरस से निजात पाए जाने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आए दिन जारी की जा रही एडवाइजरी को लेकर भी असमंजस की स्थिति ज्यादा बन रही है। कभी हवा में वायरस तो कभी इनसानी पाद से भी कोरोना वायरस फैलने के नित दिन दावे किए जा रहे हैं।

 प्रशासनिक अधिकारियों को मज़बूरन पल-पल की अधिसूचनाएं जारी करनी पड़ रही हैं। प्रत्येक जिला प्रशासन कोरोना वायरस से सुरक्षा को लेकर अपने ही नियम बनाए हुए है। कोरोना सच में एक संक्रामक रोग है या फिर लोगों को बिना वजह भय में रखने की कोई साजिश रची गई है? जनता अगर भय में रहे तो कोई भी देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल नहीं उठा सकता है। ऐसे दौर में बेरोजगार युवाओं के पास सरकारों से रोजगार मांगने का समय ही कहां मिलेगा? सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन को लेकर सड़कों पर उतरकर विरोध करने की सोच भी नहीं सकते हैं। सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्रों में उम्रदराज कर्मचारियों को कोरोना के बहाने बाहर का रास्ता दिखाकर युवाओं को रोजगार से जोड़े जाने की मुहिम ही क्यों न इसे कहा जाए? कहीं जनसंख्या नियंत्रण में रखने को लेकर ईजाद की गई बीमारी इसे बताया जा रहा है। सोशल मीडिया में फाइव जी टेस्टिंग पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। जनता का मत है कि फाइव जी टेस्टिंग की वजह से ही लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं जिन्हें बाद में कोरोना वायरस पीडि़त बताया जा रहा है। विकसित देश अमरीका इस वायरस की वजह से हुए नरसंहार से आहत होकर विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली आर्थिक मदद न दिए जाने का ऐलान कर चुका है। वहीं महामारी के दौर के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन की कमान भारतीय स्वास्थ्य मंत्री को सौंपे जाने का खेल समझना भी पेचीदा है।

 स्वस्थ व्यक्ति जब कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरा दिन मुंह पर मास्क बांधकर रखेगा तो क्या वह भविष्य में कभी स्वस्थ रह सकता है? मास्क, ग्लब्ज का इस्तेमाल अक्सर चिकित्सक व मेडिकल स्टाफ ही किया करता था। आज प्रत्येक व्यक्ति को मुंह पर मास्क पहनकर निकलने का सख्त कानून बन गया है। घर से बिना मास्क पहने निकलने वालों को भारी-भरकम जुर्माने की अदायगी भी मजबूरन करनी पड़ रही है। इनसान नाक से ऑक्सीजन ग्रहण करता और मुंह से विषैली कार्बनडायक्साइड बाहर छोड़ता है। मुंह पर सदैव मास्क बांधकर रखने से स्वयं स्वस्थ व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि गरीब आदमी पेट की आग बुझाए या फिर मास्क, ग्लब्ज ख़रीदकर अपनी जान बचाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी एडवाइजरी में कोई भी बात स्पष्ट रखने में फिलहाल कामयाब नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से चिकित्सकीय स्टाफ  और आम जनता में असमंजस बना हुआ है। इस संक्रामक रोग से बचाव को लेकर क्या एहतियात बरती जाए और कैसे इससे उबरा जाए, इसको लेकर इनसान उलझकर रह गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि  अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए जाते तो वह बीमार नहीं, इसलिए सभी को मुंह पर मास्क पहनकर रखने की जरूरत नहीं है। संगठन ने कुछ ही दिनों के बाद अपनी एडवाइजरी में फेरबदल करते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं भी पाए जाते, तब भी वह इस वायरस को फैला सकता है। नित दिन बदलती जा रही एडवाइजरी को लेकर स्वास्थ्य जानकार बेहद सकते में चल रहे हैं। उधर, हिमाचल प्रदेश में 90 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव लोगों में लक्षण नहीं पाए जाने की पुष्टि बेशक हो चुकी थी, मग़र जनता को मास्क बांटकर वाहवाही लूटने वालों की समाज सेवा में कोई कमी नहीं आई है। कोरोना वायरस महामारी फैलते ही लोगों ने स्वयं मास्क तैयार करके लोगों को बांटने की समाज सेवा शुरू कर दी थी।

आज इस महामारी की आड़ में कितने दवाखानों को जुर्माना भरना पड़ा है, जो नकली मास्क बनाकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करके मोटी कमाई करने की फिराक में लगे हुए थे। ऐसे में घरेलू निर्मित मास्क जनता को बांटने की अनुमति स्वास्थ्य विभाग भी कभी नहीं देगा। कोरोना वायरस की वजह से आम व्यक्ति के जीवन-यापन पर विपरीत असर पड़ा है। दिनोंदिन यह संक्रामक रोग लोगों को भयभीत किए जा रहा है। कोरोना वायरस तो एक बहाना नजर आता है, असली सच कहीं अपनी अर्थव्यवस्था के राज को छुपाना है? संक्रामक रोग किसी व्यक्ति को जल्दी अपनी चपेट में नहीं ले सकता और न ही जल्द इससे कोई छुटकारा पा सकता है। कोरोना वायरस आखिर किस तरह का संक्रामक रोग है जो पॉजिटिव व्यक्ति को बहुत जल्द रोगमुक्त किए जा रहा है। लोग सेनेटाइजर, मास्क, ग्लब्ज और पीपीई किटें खरीदने में अपना घरेलू बजट खर्च करते जा रहे हैं। सेनेटाइजर का इस्तेमाल कार्यालयों में किया जाता था, आज अधिकतर लोगों के घरों में यह देखने को मिल रहा है। इस महामारी से बचाव के लिए आम जनमानस को अपने भोजन में अदरक, लहसुन, काली मिर्च, दाल चीनी, हल्दी, तुलसी और सलाद में नींबू का सदैव उपयोग करना चाहिए। सामाजिक दूरी हमेशा बनाए रखते हुए पानी व साबुन से हाथ बार-बार धोने चाहिए।

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं


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