महामारी के दौर में संवेदनशीलता जरूरी

इस आपदा की स्थिति में प्रदेश की कांग्रेस पार्टी भी अपनी पार्टी के नेताओं की तरह राज्य में बेतुके वक्तव्य देकर भ्रम फैला रही है जो प्रदेश वासियों के हित में नहीं। इस समय हर राजनेता को समाज के हित में कार्य करने की जरूरत है…

कोविड महामारी के इस भयावह दौर में  समाज का संवेदनशील होना अत्यंत आवश्यक है। आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो मदद के लिए दूसरे व्यक्ति पर निर्भर न करता हो। कोविड महामारी के दौरान अस्पतालों की अव्यवस्था ने यह साबित कर दिया कि विपदा की इस घड़ी में  आपसी कटुता छोड़ कर एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना बहुत ज़रूरी है। समझ नहीं आता देश पर इतनी भयानक आपदा आन पड़ी है और कुछ विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का कार्य कर रहे हैं। इन राजनीतिक दलों का एक ही एजेंडा है, सत्ताधारी दल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर स्तर पर विरोध करना। इस विकट स्थिति में आप विचारधारा का विरोध कर सकते हैं लेकिन समाज के लिए कल्याणकारी हर योजना पर अनावश्यक टीका-टिप्पणी ऐसे विकट समय में किसी भी प्रकार की समझदारी नहीं दर्शाती। आज हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती एक जुट होकर इस महामारी को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करने की है। कांग्रेस शासित राज्यों में जिस तरह से महामारी को रोकने में लापरवाही बरती जा रही है, वह किसी से छिपी नहीं है। राजस्थान में पिछले सप्ताह (10 मई 2021) तक कोरोना के 685000 मामले थे और संक्रमण से मरने वालों की संख्या  5021 थी। बढ़ती संख्या चिंताजनक है।

 इसी प्रकार देश के जिन 24 राज्यों में से 11 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड फैल रहा है, उनमें 5-6 राज्य  विपक्ष के हैं। विपक्ष को महामारी संभालने का  कार्य अपने शासित राज्यों में भली प्रकार देखना चाहिए। पिछले दो वर्षों से देश पर महामारी का प्रकोप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड महामारी के पहले दौर से ही देशवासियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हरसंभव उपाय किए। इस महामारी का सबसे बड़ा उपाय था महामारी की चेन को तोड़ना, जिसके लिए लॉकडाउन जैसे कठोर पग भी उठाए गए। अब देश कोविड महामारी के दूसरे दौर से गुज़र रहा है। यह दौर पिछले दौर के मुकाबले में ज़्यादा खतरनाक और जानलेवा है। आज देश में  कोरोना के 37 लाख 45 हज़ार सक्रिय मामले हैं। महामारी से ग्रसित लोगों की मृत्यु दर भी चिंताजनक है। देश के अधिकांश राज्यों में कोरोना का अधिकाधिक ज़ोर है। स्वास्थ्य समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए इस विश्वव्यापी महामारी से निपटने के लिए केंद्र और राज्य मिल कर  भरसक प्रयास कर रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी से जूझते राज्यों को ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य केंद्र सरकार कर रही है। प्रत्येक राज्य और केंद्र सरकार इस महामारी से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। हैरानी तो तब होती है जब विपक्ष इस राष्ट्रीय आपदा में भी अपनी राजनीति चमकाने से बाज़ नहीं आता। प्रधानमंत्री प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री से बात करके उनसे स्थिति का जायज़ा लेना चाहते हैं और  विपक्ष के मुख्यमंत्री इस स्थिति में अपनी राजनीति  चमकाना चाहते हैं।

 पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री द्वारा  प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान प्रोटोकॉल को तोड़ने का विवाद इस आशय का प्रत्यक्ष प्रमाण है। अपने राज्य और अपने नेताओं को संभालने की जगह वे केंद्र को कोसने के अलावा कुछ नहीं करते। दिल्ली की आप सरकार के मंत्री इमरान हुसैन को तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की जमाखोरी के मामले में तलब भी किया है। जिन राज्यों में  सत्ताधारी दल को छोड़ कर अन्य दलों की सरकारें हैं, वहां कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन इसलिए किया जा रहा है कि वहां उनकी राजनीतिक विचारधारा का पोषण नहीं हो रहा। परिणामतः इन  राज्यों में कोरोना पर अंकुश लगाने में समस्या आ रही है। दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाज़ारी करने वाले व्यक्ति कालरा के तार भी भी कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड से निपटने के लिए  बिना किसी भेदभाव के सभी प्रभावित राज्यों को मदद करने का संकल्प लिया है। पंजाब, पश्चिमी बंगाल और राजस्थान  आदि राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामले इस आशय की पुष्टि करते हैं। इस स्थिति को और अधिक जटिल और विवादास्पद कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं के बेतुके बयानों ने कर दिया है। इन बेतुके बयानों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर कांग्रेस पार्टी के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश किया है। बढ़ती महामारी और संक्रमित मरीज़ों की बढ़ती तादाद से अस्पतालों पर जो अतिरिक्त भार पड़ा है, उसको नियमित करने का भी केंद्र निरंतर प्रयास कर रहा है। मेरे  लोकसभा क्षेत्र के कांगड़ा और चंबा जि़लों में कोरोना संक्रमण की स्थिति भी भयावह है। प्रदेश के सबसे बड़े जि़ला कांगड़ा में कोरोना संक्रमण के 10745 सक्रिय मामले हैं।

 हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समस्त प्रदेश में कोविड महामारी के मामलों पर स्वयं निगरानी करते हैं। एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में कोरोना के 135782 मामले दर्ज़ हुए हैं जिनमें से 34417 सक्रिय मामले हैं। प्रदेश सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए 6 नए पीएसए प्लांट खोलने का निर्णय लिया है। वर्तमान सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कालेजों, क्षेत्रीय अस्पतालों में मेक शिफ्ट अस्पताल खोलने का निर्णय लिया है। कांगड़ा जि़ला के परौर के राधास्वामी मंदिर प्रांगण को मेक शिफ्ट अस्पताल में  परिवर्तित किया गया है। मंडी के भंगरोटू में आईसीयू की सुविधा वाला अस्पताल खोला गया है। इस तरह के बहुत सारे उपायों के बावजूद कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अस्थायी लॉकडाउन लगाया गया है ताकि कोरोना की चेन टूट सके। इस आपदा की स्थिति में प्रदेश की कांग्रेस पार्टी भी अपनी पार्टी के नेताओं की तरह राज्य में बेतुके वक्तव्य देकर भ्रम फैला रही है जो प्रदेश वासियों के हित में नहीं। संकट की इस घड़ी में राजनीति दरकिनार कर संवेदनाओं के आधार पर प्रत्येक राजनेता को समाज के हित में कार्य करने की ज़रूरत है ताकि  कोरोना के संकट से छुटकारा मिल सके।

किशन कपूर

लोकसभा सांसद


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