बारहवीं की परीक्षा पर कुछ सुझाव

काफी लोग मानते हैं कि परीक्षाओं को ऑफलाइन आयोजित करना छात्रों की स्वास्थ्य सुरक्षा के हित में नहीं है। सार रूप में कहा जा सकता है कि छात्रों की सेहत पहले सामने रखें व परीक्षा का तरीका जल्दबाजी में फाइनल न करें…

कोरोना की वजह से टली 12वीं कक्षा की परीक्षा को 23 मई को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है और उस बैठक में परीक्षा कराने को लेकर चर्चा की गई। कोरोना संकट के बीच अनेक छात्र और अभिभावक सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन इस उच्च स्तरीय बैठक के बाद ये साफ  हो गया था कि 12वीं की परीक्षाएं रद्द नहीं की जाएंगी। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से अगले दो दिनों में इस मामले पर लिखित में राय मांगी है। कुछ समय पहले कोरोना की वजह से अधिकतर राज्यों में 10वीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया गया था और 12वीं की परीक्षा को स्थगित किया गया है। सीबीएसई ने भी 10वीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द करके 12वीं की परीक्षा को स्थगित किया है। इस समय देश के हालात कुछ ऐसे हैं कि अभी भी कोरोना के मामले उतने ज्यादा कम नहीं हुए हैं और साथ में कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। यही वजह है कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस बैठक में दिल्ली को छोड़कर देश के ज्यादातर राज्य 12वीं की परीक्षा कराए जाने के पक्ष में दिखाई पड़े। केंद्रीय मंत्रिमंडल समूह और सीबीएसई भी छात्रों के भविष्य को देखते हुए सीमित और महत्त्वपूर्ण विषयों की परीक्षा आयोजित कराए जाने को तैयार दिखा।

 ज्यादातर राज्यों ने जुलाई-अगस्त में संक्षिप्त प्रारूप में केवल 19 प्रमुख विषयों के लिए कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के सीबीएसई के प्रस्ताव का समर्थन किया है। वहीं  केरल, असम, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और मेघालय जैसे कई राज्यों ने केंद्र सरकार से शिक्षकों और छात्रों को परीक्षा केंद्र पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण करने का आग्रह किया है। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, असम और तमिलनाडु आदि राज्यों ने संक्षिप्त प्रारूप में बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का समर्थन किया। वहीं पंजाब ने व्यक्तिगत रूप से परीक्षा आयोजित करने पर जोर दिया, भले ही वह कुछ विषयों के लिए ही क्यों न हो। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीएसई ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के संबंध में पैनल के सामने दो विकल्प प्रस्तुत किए हैं। पहले विकल्प के तहत राष्ट्रीय बोर्ड ने सुझाव दिया है कि 19 प्रमुख विषयों की परीक्षा ‘मौजूदा प्रारूप’ में और डेजिगनेटेड परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएं और छोटे विषयों के अंकों की गणना प्रमुख विषयों में प्रदर्शन के आधार पर की जाए। गौरतलब है कि इस ऑप्शन के लिए परीक्षा पूर्व गतिविधियों के लिए एक महीने और परीक्षा आयोजित करने और परिणाम घोषित करने के लिए दो महीने और कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 45 दिनों की आवश्यकता होगी। पहला विकल्प केवल तभी एग्जीक्यूट किया जा सकता है जब बोर्ड के पास तीन महीने का समय हो और अगस्त-सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के साथ अक्तूबर में परिणाम घोषित किए जाने का प्रस्ताव हो। दूसरे फॉर्मेट के तहत केवल 45 दिन में परीक्षा समाप्त हो जाएगी। इस विकल्प के तहत सीबीएसई ने प्रस्ताव रखा है कि  कक्षा 12 के छात्र प्रमुख विषय की परीक्षा के लिए डेजिग्नेटेड सेंटर्स की बजाय खुद के स्कूलों से परीक्षा दें।

 परीक्षा की अवधि छोटी हो। स्टूडेंट्स केवल एक भाषा और तीन इलेक्टिव (प्रमुख पढ़ें) विषयों के लिए परीक्षा दें। इलेक्टिव विषयों में प्रदर्शन के आधार पर पांचवें और छठे विषयों के अंक तय किए जाएं। कोई भी छात्र जो कोविड के कारण परीक्षा में नहीं बैठ पा रहा है, उसे उपस्थित होने का एक और अवसर मिलेगा। इन दोनों विकल्पों पर प्रतिक्रिया मांगी गई है। जहां तक इन परीक्षाओं से जुड़े सुझावों का प्रश्न है, एक बात तो बहुमत से रखी जा रही है कि 12वीं कक्षा की परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। इस समय ऑफलाइन परीक्षा विकल्प है, क्योंकि देश में सभी छात्रों के पास ऑनलाइन परीक्षा से जुड़ा इंतजाम नहीं है। हमें स्कूलों के एजुकेशनल प्रबंध सिस्टम में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े इन्फ्रा को मजबूत बनाना होगा। देश में आईटी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ऑनलाइन एग्जाम करवाने के लिए विकसित किया जा सकता है। ऑनलाइन परीक्षा सूचना तकनीक की देन है। यह कोरोना काल में एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन परीक्षा के बहुत सारे फायदे हैं। ऑनलाइन परीक्षा काफी हद तक सुरक्षित है। एक बार सारे प्रश्न अपलोड करने के बाद सॉफ्टवेयर उन प्रश्नों को फेरबदल करके छात्रो को दिए जाते हैं। इसलिए शिक्षकों को पेपर लीक जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। यह प्रक्रिया छात्रों को नकल करने से रोकने में भी सक्षम है। यदि कोई छात्र नकल करने की कोशिश करेगा तो कंप्यूटर द्वारा उसे चेतावनी दी जाएगी। तीन चेतावनियों के बाद छात्र की परीक्षा समाप्त कर दी जाएगी। एक ऑनलाइन परीक्षा में, अंकों की गिनती तुरंत और सटीक रूप से की जाती है। यह पारंपरिक परीक्षाओं  में संभव नहीं है। इसकी वजह से पारंपरिक परीक्षाओं के परिणाम उत्पन्न करने में बहुत समय लगता है। ऑनलाइन परीक्षा का इस्तेमाल करके आप अपनी परीक्षा के परिणाम जल्द पाकर बहुत सारा समय बचा पाएंगे। आज भी महाविद्यालयों और पाठशालाओं मे परीक्षाओं की लागत बहुत होती है। प्रश्न और उत्तर पत्रिकाएं छापने से लेकर परिवहन लागत तक, एक परीक्षा आयोजित करने के लिए महाविद्यालयों को बहुत खर्चा उठाना पड़ता है।

 ऑनलाइन परीक्षा की वजह से अतिरिक्त खर्चों में कटौती होती है। ऑनलाइन परीक्षा का संचालन पूर्ण रूप से टेक्नोलॉजी द्वारा किया जाता है। जब आप विभिन्न स्थानों पर कई उम्मीदवारों के लिए परीक्षा आयोजित करना चाहते हैं तब यह खर्चे कम करने के लिए बहुत फायदेमंद होती है। ऑनलाइन परीक्षा में प्रश्नपत्र बनाना बहुत आसान है। पारंपरिक परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र बनाना कठिन कार्य है। शिक्षकों को खुद प्रश्न चुनकर, उसे प्रश्नपत्र के रूप में ढालना पड़ता है। इस कार्य में बहुत समय लगता है और गलतियों की संभावना भी होती है। ऑनलाइन परीक्षा में आप सभी तरह के प्रश्न अपलोड कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से पेपर के लीक होने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है। परीक्षा के बाद उसका विश्लेषण भी टेक्नोलॉजी द्वारा संभव है। आप व्यक्तिगत प्रदर्शन और पूरे समूह के प्रदर्शन का विश्लेषण कर सकते हैं। इसके अलावा आप क्षेत्र के आधार पर भी डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं। यह विश्लेषण आपको एक बेहतर निर्णय लेने में मदद करेंगे। ऑनलाइन परीक्षा की प्रक्रिया से विद्यार्थियों के साथ संपर्क में रहना बहुत आसान हो जाता है। जो लोग परीक्षा करवाने का विरोध कर रहे हैं, उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उनका मत है कि बच्चों की जिंदगी परीक्षा से ज्यादा जरूरी है। उनका सवाल यह है कि जब देश में ढाई लाख रोजाना कोरोना केस आ रहे हैं और हजारों लोगों की मौत हो रही है, तो ऐसे में हम अपने बच्चों की सलामती से क्यों रिस्क लें? उनका मत है कि परीक्षा लेने के तरीके और भी हैं। काफी लोग मानते हैं कि देश में कोरोना से जुड़े हालात सुधरने तक इन परीक्षाओं को ऑफलाइन आयोजित करना छात्रों की स्वास्थ्य सुरक्षा के हित में नहीं है। सार रूप में कहा जा सकता है कि छात्रों की सेहत पहले सामने रखें और परीक्षा का समय और तरीका जल्दबाजी में फाइनल न करें।

संपर्क :

डा. वरिंदर भाटिया, कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App