डा. वरिंदर भाटिया

जब हम जीडीपी ग्रोथ रेट की बात करते हैं, तो हमें यह सेक्टर-वाइज देखना चाहिए- जैसे कृषि में कितनी वृद्धि हुई, मैन्युफैक्चरिंग में कितना विकास हुआ। इससे यह साफ होता है कि क्या यह आर्थिक प्रगति सभी तक समान रूप से पहुंच रही है या केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही सिमट कर रह गई है। बेरोजगारी को लेकर हमारा मानना है कि देश में बेरोजगारी उतनी ज्यादा नहीं है। समस्या यह है कि ज्यादातर युवाओं के लिए नौकरी का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी है। अगर नजरिया यही रहेगा, तो फिर नौकरियां सीमित होंगी। 20-25 साल की उम्र से लेकर 30-35 साल तक सरकारी नौकरी का इंतजार ठीक नहीं...

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर यह आरोप अक्सर लगता रहा है कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा कारोबार है, चाहे इसके लिए उन्हें किन्हीं भी देशों से हाथ मिलाना पड़े। फिर चाहे वे भारत के विरोधी ही क्यों न हों। ताजा घटनाक्रमों में यह बात एक बार फिर सामने आई है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मानो तो भारत के दुश्मनों को पुचकारने की कसम खा चुके हैं। पहले तो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी भूमिका ने साबित कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उनकी खाई कसमें झूठी हैं तो वहीं पाकिस्तान से बिजनेस करने में भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। भारत को यह कड़वा सच समझ में है। ट्रंप ने इस तरह के बयान भी दिए थे

वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 445256 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 फीसदी अधिक हैं, यानी हर घंटे लगभग 51 एफआईआर दर्ज की गईं। यह ध्यान देने वाली बात है कि ये सिर्फ दर्ज मामले हैं। भारत में कई घटनाएं कई कारणों से रिपोर्ट नहीं की जाती हैं। ये कारण पैसे और बाहुबल, सामाजिक कलंक, पारिवारिक दबाव, मौत की धमकी आदि के कारण हो सकते हैं। इसको कैसे काबू किया जा सकता है? ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’, इसका अर्थ है कि जहां महिलाओं की पूजा होती है, वहां भगवान निवास करते हैं। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को संबोधित करने के लिए

सनातन धर्म एक स्थायी पद्धति है जो सिर्फ एक धर्म होने से कहीं ज्यादा है क्योंकि इसमें एक ‘जीवन पद्धति’ शामिल है और इसका संयोजन है जो विभिन्न प्रकार की दृष्टिकोण प्रणालियों और रीति-रिवाजों को शामिल कर सकता है, जिसमें दर्शन भी शामिल है। यह लोगों को अस्तित्व, मानव जीवन के अर्थ और स्वतंत्रता के मार्ग का वर्णन करने के लिए एक और सार्वभौमिक दृष्टिकोण प्रदान करता है। अपने पवित्र ग्रंथ, प्रार्थनाओं या सनातन धर्म के दार्शनिक सिद्धांतों के माध्यम से यह आज भी लाखों लोगों को एक योग्य, शांतिपूर्ण और हमेशा संतुष्ट जीवन की ओर प्रेरित और निर्देशित करता है। शब्द के मान्यता प्राप्त पारंपरिक अर्थ में, सनातन धर्म या हिंदू धर्म,

मान लो, चीन से कोई सामान 100 रुपए का आता था, अब वह 154 रुपए का होगा। अगर भारत वही सामान 130-135 रुपए में बेचे, तो अमेरिका भारत से सामान खरीदेगा, क्योंकि यह सस्ता होगा जिससे भारतीय कंपनियों को ज्यादा ऑर्डर मिलेंगे, नए रोजगार पैदा होंगे। भारत का निर्यात बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। आसान भाषा में अगर कहें तो अमेरिका ने चीन का सामान महंगा कर दिया है, इसलिए भारत अब उसकी जगह ले सकता है और अपना व्यापार बढ़ा सकता है। तुलनात्मक तरीके से देखें तो भारत का कपड़ा उद्योग अब बढ़त में है, क्योंकि अमेरिका ने चीन और बांग्लादेश से आने वाले कपड़ों पर ज्यादा

प्रत्येक देश के विकास में उस देश की शिक्षा प्रणाली का बहुत बड़ा योगदान होता है। वर्तमान में हमारी स्कूल शिक्षा प्रणाली में कई कमियां हैं जिनमें सुधार करना बहुत जरूरी है। यदि हमें तेज गति से आर्थिक विकास करना है तो हमें अपनी स्कूल शिक्षा व्यवस्था बेहतर स्तर की बनानी ही होगी। इसके लिए मिडल स्तर के ऊपर के स्कूल छात्रों को वास्तविक जीवन से परिचय करवाइए। उन्हें हवा-हवाई कथाएं न सुनाएं। उन्हें किसी भी तरह की आसमानी किताब न पढ़ाएं। उन्हें जीवन जीना सिखाएं। प्रैक्टिकल बनाएं, ताकि आने वाली पीढिय़ों में एक समझदार एवं सभ्य समाज का निर्माण हो सके। याद रहे कि सांस्कृतिक शिक्षा भी जरूरी है ताकि लोग नै

अमरीकी टैरिफ में देरी और आगे की बातचीत की संभावना की रिपोर्ट के बाद ग्लोबल सेंटीमेंट में सुधार हुआ, जिससे वित्तीय बाजारों को स्थिर करने में मदद मिली है। इसके अलावा, कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है। डॉमेस्टिक फ्रंट पर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सिस्टम में एडिशनल लिक्विडिटी डालने के फैसले ने सकारात्मक गति को बढ़ाया है। टैरिफ वार्ता भू-राजनीतिक तनाव और अमरीकी डॉलर तथा कच्चे तेल की कीमतों पर उनके प्रभाव पर असर डालेगी...

कई बार निगेटिव सोच आपको तनाव में डाल देती है। ऐसे में आपको निगेटिव सोच से ध्यान हटाकर पॉजिटिव सोचना है। जिस तरह निगेटिव सोच आपके आने वाले समय को निगेटिव कर देती है, उसी तरह सकारात्मक सोच आपके आने वाले समय को पॉजिटिव एनर्जी से भर देगी। परीक्षा खराब होगी, यह सोचने से अच्छा है कि यह सोचें कि मेरी परीक्षा बहुत अच्छी जाएगी और मेरे बहुत अच्छे अंक आएंगे। केवल ऐसा सोचना भर ही आपके अंदर आत्मविश्वास पैदा कर देगा। तनाव हमेशा निराशावाद का उत्पाद है...

सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए सभी निवेशों के बावजूद, रोजगार के लिए कृषि पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण पिछले कुछ वर्षों में समग्र स्तर पर ग्रामीण आय में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ है...

अब इंडस्ट्री, सार्वजनिक प्रशासन, सार्वजनिक नीति या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कम से कम 10 साल के सीनियर लेबल के एक्सपीरियंस वाले ऐसे व्यक्ति भी कुलपति के पद के लिए पात्र हैं जिनका एकेडमिक रिकॉर्ड अच्छा है। क्या यह ठीक नहीं है? यदि ठीक है तो ऐसे ही और प्रस्तावित सुधारों को सकारात्मक तरीके से लेना क्या गलत होगा...