लोक जनशक्ति पार्टी पर चाचा का कब्जा, लोकसथा में पांच सांसदों ने पशुपति पारस को चुना अपना नेता

By: Jun 15th, 2021 12:08 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

बिहार में जमीन खो चुकी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथों में है, लेकिन अब पार्टी में बड़ी फूट पड़ चुकी है। यही नहीं लोजपा ने अब चिराग पासवान की जगह पशुपति पारस को लोकसभा में अपना नेता चुन लिया है। चिराग पासवान से न मिलकर सोमवार को पशुपति पारस ने अपने सांसदों के साथ जाकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। स्पीकर को लोकसभा में लोजपा नेता के लिए पारस के नाम का लेटर सौंपा गया है, जिसे छह में से पांच सांसदों का समर्थन हासिल है। इस तरह अब पार्टी पर पशुपति पारस का वर्चस्व कायम हो गया है। पशुपति ने कहा कि चिराग पासवान मेरा भतीजा और पार्टी का अध्यक्ष है और मेरी उनसे कोई खिलाफत नहीं है।

21 साल में पहली बार टूटी पाटी

28 नवंबर, 2000 को लोजपा बनी थी। 21 साल में पहली बार पार्टी में टूट हुई है। अब संगठन में भी बड़ी संख्या में लोग पारस के साथ जा सकते हैं। इससे चिराग की ताकत और घट सकती है। अभी तक चिराग को रामविलास पासवान का पुत्र होने का फायदा मिलता रहा था, लेकिन अब उनकी पार्टी पर कब्जे को लेकर जोर-आजमाइश होनी तय है।

चाचा से बिना मुलाकात लौटे चिराग

लोजपा की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है। चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके घर पहुंचे थे, लेकिन काफी देर तक गाड़ी का हॉर्न बजाने के बावजूद भी गेट नहीं खोला गया, जबकि गाड़ी खुद चिराग चला रहे थे। करीब 20 मिनट बाद पशुपति पारस के घर का मुख्य दरवाजा तो चिराग के लिए खुल गया, लेकिन उन्हें घर में एंट्री नहीं मिली। वह गाड़ी में बैठकर अपने चाचा से मिलने का इंतजार करते रह गए। उन्हें बिना मिले ही वापस लौटना पड़ा।


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