सरकारी स्कूलों में बढ़ी स्टूडेंट्स स्ट्रेंथ
कोरोना काल में 15 हजार छात्रों ने छोड़े प्राइवेट स्कूल, अभिभावकों की आर्थिक तंगी बनी वजह
चंडीगढ़, 23 जुलाई (ब्यूरो)
कोरोना महामारी के नुकसान के साथ इसका फायदा भी हुआ है। महामारी का फायदा चंडीगढ़ शहर के सरकारी स्कूलों को हुआ है। महामारी के चलते मार्च 2020 से अब तक की बात करें तो शहर के प्राइवेट स्कूलों को छोड़ 15 हजार से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं। इससे जहां चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के अधिकारी खुश हैं, वहीं स्कूलों का टीचिंग स्टाफ परेशान हैं। शिक्षकों की परेशानी का कारण स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। यदि दो से तीन महीने में सरकारी स्कूलों में कक्षाएं शुरू हो जाती हैं तो स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी खलेगी। कोरोना महामारी के दौरान स्टूडेंट्स का सरकारी स्कूलों में प्राइमरी विंग से लेकर सीनियर सेकेंडरी की क्लासों के लिए रुझान बढ़ा है। यदि प्राइमरी विंग की बात करें तो नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक पांच हजार स्टूडेंट्स की ज्यादा एडमिशन हुई हैं।
वहीं, छठी से बारहवीं कक्षा के स्टूडेंट्स की संख्या 10 हजार से ज्यादा बढ़ चुकी है। सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या बढऩे के बाद महामारी के दौरान अब तक चार स्कूल अपग्रेड हो चुके हैं, जिनमें सबसे पहले गवर्नमेंट मॉडल प्राइमरी स्कूल सेक्टर.49 था, जिसे अपग्रेड करके मिडल का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार से शहर के स्लम एरिया में स्थापित रायपुर कलां और मलोया में स्थापित दो हाई स्कूलों को सीनियर सेकेंडरी का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार सेक्टर.45 बुडै़ल में मौजूद एक हाई स्कूल को भी सीनियर सेकेंडरी बनाया गया है। कोरोना महामारी के दौरान यदि स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या की बात करें तो 15 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स दाखिला ले चुके हैं। वहीं, यदि अध्यापकों की बात करें तो विभाग के पास 1250 से ज्यादा टीचिंग पोस्ट खाली हो चुकी हैं। स्टूडेंट्स के बढऩे का कारण कोरोना के चलते अभिभावकों की आर्थिक स्थिति रही, जबकि अध्यापकों के कम होने में चंडीगढ़ द्वारा पंजाब सर्विस रूल्स को अडॉप्ट करना मुख्य कारण रहा। एक साल के भीतर एक हजार से ज्यादा अध्यापक रिटायर हुए हैं, जबकि बीते तीन सालों से विभाग एक भी पद पर भर्ती करने में नाकाम रहा है।
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