नई जनसंख्या नीति चाहिए

हम उम्मीद करें कि उत्तरप्रदेश के द्वारा घोषित की गई नई जनसंख्या नीति और असम के द्वारा तैयार की जा रही दो बच्चों की जनसंख्या नीति की तरह देश के अन्य प्रदेश भी आर्थिक और बुनियादी संसाधनों की चुनौतियों के बीच उपयुक्त जनसंख्या वृद्धि दर के लिए एक दंपत्ति दो बच्चों की नीति तैयार करने के लिए दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश देना चाहिए…

इस समय देश में जनसंख्या नियंत्रण का मसला उभरकर दिखाई दे रहा है। विगत 11 जुलाई को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी की है। इस नीति के तहत दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का लाभ न दिए जाने की बात कही गई है। इस नई जनसंख्या नीति का मकसद सभी लोगों के लिए जीवन के प्रत्येक चरण में गुणवत्ता में सुधार लाना है। इस नीति का उद्देश्य जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त करना, मातृ मृत्यु और बीमारियों के फैलाव पर नियंत्रण, नवजात और पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की मृत्यु रोकना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार करना है। खासतौर से प्रदेश में वर्ष जनसंख्या नीति में जन्म दर को 2026 तक 2.1 फीसदी और 2030 तक 1.9 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। निश्चित रूप से उत्तरप्रदेश की तरह देश के अन्य राज्यों में ही नहीं, वरन राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए आगे बढ़ने की भी जरूरत है। ज्ञातव्य है कि इन दिनों देश की जनसंख्या से संबंधित विभिन्न रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत में छलांगे लगाकर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक-सामाजिक चुनौतियां लगातार विकराल रूप लेती जा रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत में जहां एक ओर जनसंख्या विस्फोट को रोकना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर जनसंख्या में कमी से भी बचना होगा ताकि भविष्य में विकास की प्रक्रिया और संसाधनों का विदोहन मुश्किल न हो जाए।

 इसी परिप्रेक्ष्य में जहां देश में कुछ राज्य दो बच्चों की जनसंख्या नीति के लिए आगे बढ़ रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रीम कोर्ट से भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग की जा रही है। गौरतलब है कि सप्रीम कोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करने वाले याचिकाकर्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने कहा है कि जनसंख्या के मामले में हमारा देश चीन के बराबर पहुंचने वाला है। देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, कृषि भूमि, पेयजल और अन्य मूलभूत जरूरतों की उपलब्धता की तुलना में जनसंख्या लगातार चिंताजनक स्थिति निर्मित करते हुए दिखाई दे रही है। चूंकि जनसंख्या नियंत्रण समवर्ती सूची में है, इसीलिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह नागरिकों के गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए कड़े और प्रभावी नियम कानून व दिशानिर्देश तैयार करे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सरकारी नौकरी, सबसिडी और चुनाव में खड़े होने के अधिकार आदि पाने के लिए दो बच्चों की नीति अनिवार्य किए जाने की संभावनाओं पर विचार करे। साथ ही विधि आयोग को अन्य देशों के जनसंख्या नियंत्रण कानूनों को परख कर एक उपयुक्त जनसंख्या रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया जाए। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि उत्तरप्रदेश की तरह देश के अन्य राज्यों में भी तेजी से बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर जबरदस्त दबाव बढ़ता जा रहा है। चूंकि संसाधनों को विकसित करने की रफ्तार जनसंख्या वृद्धि की दर से कम है, इसलिए देश में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या देश की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं की जननी बनकर देश के विकास के लिए खतरे की घंटी दिखाई दे रही है।

 निःसंदेह बढ़ती जनसंख्या के कारण देश गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और सार्वजनिक सेवाओं की कारगर प्राप्ति जैसे मापदंडों पर बहुत पीछे दिखाई दे रहा है तथा देश के अधिकांश लोग गरिमामय जीवन से दूर हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के मुद्दों पर प्रकाशित मानव विकास सूचकांक 2020 में 189 देशों की सूची में भारत 131वें पायदान पर है। वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में 107 देशों की सूची में भारत 94वें स्थान पर है। विश्व बैंक के द्वारा तैयार  किए गए 174 देशों के वार्षिक मानव पूंजी सूचकांक 2020 में भारत का 116वां स्थान है। यह सूचकांक मानव पूंजी के प्रमुख घटकों स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, स्कूल में नामांकन और कुपोषण पर आधारित है। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 के समय देश का स्वास्थ्य ढांचा देश की बड़ी जनसंख्या को कोरोना की पीड़ाओं से बचाने में लाचार नजर आया है। यद्यपि इस समय करीब 141 करोड़ आबादी वाला चीन दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा रखता है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा जून 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 2027 तक दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के तौर पर चीन से आगे निकल जाने का अनुमान है। ज्ञातव्य है कि भारत दुनिया का पहला देश है, जिसने अपनी जनसंख्या नीति बनाई थी, लेकिन देश की जनसंख्या वृद्धि दर आशा के अनुरूप नियंत्रित नहीं हो पाई है। संयुक्त राष्ट्र वर्ल्डोमीटर के मुताबिक वर्ष 2020 में भारत की जनसंख्या करीब 138 करोड़ पर पहुंच गई है। दुनिया की कुल जनसंख्या में भारत की हिस्सेदारी करीब 17.5 फीसदी हो गई है। जबकि पृथ्वी के धरातल का मात्र 2.4 फीसदी हिस्सा ही भारत के पास है। अतएव एक ऐसे समय में जब चीन जनसंख्या और विकास के मॉडल में अपनी भूल संशोधित कर रहा है, तब दुनिया के जनसंख्या और अर्थविशेषज्ञ चीन के जनसंख्या परिवेश से भारत को कुछ सीख लेने की सलाह देते हुए दिखाई दे रहे हैं।

 उनका मत है कि भारत में जहां एक ओर जनसंख्या विस्फोट को रोकना जरूरी है, वहीं जनसंख्या में ऐसी कमी से भी बचना होगा कि भविष्य में विकास की प्रक्रिया और संसाधनों का विदोहन मुश्किल हो जाए। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि यदि देश में जनसंख्या नियंत्रित रही तो भारत के युवाओं को उपयुक्त शिक्षण और प्रशिक्षण से मानव संसाधन के रूप में उपयोगी बनाया जा सकता है। भारत की जनसंख्या में करीब पचास प्रतिशत से ज्यादा उन लोगों का है, जिनकी उम्र पच्चीस साल से कम है। ऐसे में वे मानव संसाधन बनकर देश के लिए आर्थिक शक्ति बन सकते हैं। कोविड-19 के बीच देश के साथ-साथ दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को संभालने में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी प्रभावी भूमिका निभा रही है। वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) करने की प्रवृत्ति को व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला है। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। हम उम्मीद करें कि उत्तरप्रदेश के द्वारा घोषित की गई नई जनसंख्या नीति और असम के द्वारा तैयार की जा रही दो बच्चों की जनसंख्या नीति की तरह देश के अन्य प्रदेश भी आर्थिक और बुनियादी संसाधनों की चुनौतियों के बीच उपयुक्त जनसंख्या वृद्धि दर के लिए एक दंपत्ति दो बच्चों की नीति तैयार करने के लिए दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ेंगे। हम उम्मीद करें कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त दिशा-निर्देश देने के लिए आगे बढ़ेगा। जनसंख्या नियंत्रण के ऐसे प्रयासों से देश के करोड़ों लोगों के चेहरे पर गुणवत्तापूर्ण जीवन की मुस्कुराहट आ सकेगी। साथ ही समाज और देश विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App