जुगाड़ के सहारे रेंगता खेल विभाग

By: Jul 30th, 2021 12:06 am

देश के लिए पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले नामी प्रशिक्षकों को अब भारत सरकार का खेल मंत्रालय भी दो लाख रुपए राशि प्रति माह की सीमा को हटा करके विदेशी प्रशिक्षकों के बराबर एक करोड़ रुपए से अधिक वार्षिक  सम्मानजनक राशि पर अनुबंधित करने की बात कर रहा है। गुजरात सरकार भी अपने विशेषज्ञ प्रशिक्षकों को रहने व खाने के अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपए  तक मासिक फीस अपनी राज्य स्तर की खेल अकादमियों में दे रही है। जब प्रशिक्षक स्तरीय परिणाम दिलाते रहेंगे, तब अनुबंध कायम रहेगा तथा फीस में भी बढ़ोतरी होती रहेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार कब तक ऐसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले खेल छात्रावास खोलेगी….

हिमाचल प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में प्रशिक्षक तो बहुत दूर की बात है, अधिकांश जगह शारीरिक शिक्षक भी नहीं हैं और बात होती है ओलंपिक से पदक जीतने की। हिमाचल प्रदेश में खेलों के लिए वह वातावरण ही नहीं बन पा रहा है जिसके आधार पर हिमाचल में खेलों को गति मिल सके ।  राज्य में खेलों के उत्थान के लिए बना  हिमाचल प्रदेश का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग तीन दशक बाद भी अभी तक कामचलाऊ जुगाड़ के सहारे रेंग रहा है। हिमाचल प्रदेश में खेल अभी भी शैशवावस्था से ऊपर उठ नहीं पा रहे हैं।

राज्य में खेलों के उत्थान के लिए अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों में हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का गठन हुआ। इस विभाग में निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप-निदेशक, जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारियों, प्रशिक्षकों, कनिष्ठ प्रशिक्षकों व युवा संयोजकों के पद सृजित हैं। विभाग का कार्य प्रदेश में युवा गतिविधियों व खेलों का विकास करना है। हिमाचल प्रदेश में यह विभाग खेल क्षेत्र में  उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले स्तर तक ले जाने के लिए प्रशिक्षण, खेलों के लिए आधारभूत ढांचा, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता होने पर नगद पुरस्कार व अवार्ड देने के लिए बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश के इस विभाग का निदेशक प्रशासनिक सेवा से ही अधिकतर नियुक्त होता रहा है। केवल टीएल वैद्य व सुमन रावत ही दो ऐसे निदेशक रहे हैं जो विभाग से पदोन्नत होकर उच्चतम स्तर पर पहुंचे थे। उपनिदेशक और कभी-कभी संयुक्त निदेशक पद तक विभाग के प्रशिक्षक व युवा  संयोजक पदोन्नत होकर पहुंच जाते हैं। इन विभागीय अधिकारियों को अधिक तकनीकी जानकारी होती है। पिछले साल हुई एक उपनिदेशक की सेवानिवृत्ति के बाद आज हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के पास कोई भी उपनिदेशक नहीं है। वरिष्ठ जिला युवा सेवाएं एवं खेल कई महीने से विभाग का काम देख रहा है। नियमित जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी भी केवल चार ही जिलों में हैं, राज्य के शेष जिलों में काम चलाऊ अधिकारी बिठा रखे हैं।

सरकार को चाहिए कि जल्दी ही उपनिदेशक के पद पर नियमित पदोन्नति की जाए तथा जिलों में भी नियमित अधिकारी हों। विभाग में नाम मात्र के प्रशिक्षक हैं। अधिकतर खेलों में तो एक भी प्रशिक्षक पूरे जिले के लिए उपलब्ध नहीं है। विभाग में अधिक से अधिक प्रशिक्षकों की भर्ती होनी चाहिए। खेल विभाग ने नियमों को ठेंगा दिखा कर छह सप्ताह में प्रशिक्षण पूरा किए सर्टिफिकेट कोर्स वाले को प्रशिक्षक भर्ती कर दिया है। सेवा नियमों में एक समय एमपीएड के साथ कंडैंस कोर्स जो छह माह का होता था, उसे पास किया हुआ प्रशिक्षक के पद के लिए योग्य था, न कि छह सप्ताह का सर्टिफिकेट कोर्स किया हुआ। कहते हैं अब छह सप्ताह वाले सर्टिफिकेट कोर्स वाली योग्यता को खत्म कर एक साल के डिप्लोमा कोर्स को मान्य किया है। भविष्य में इस तरह का गोलमाल नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे हिमाचल प्रदेश की खेल जगत में काफी खिल्ली उड़ी है। प्रदेश में विभिन्न खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड तो बन गई हैं, मगर उनका न तो सही रखरखाव है और न ही उन पर उस स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के दो खेल छात्रावास बिलासपुर व ऊना में कुछ चुनिंदा खेलों के लिए आधा-अधूरा प्रशिक्षण दे रहे हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों की कमी व प्रबंधन में अव्यवस्था साफ देखी जा सकती है।

उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षक बहुत कम हैं। कई वर्षों के गहन शिक्षण व प्रशिक्षण के अनुभव वाला प्रशिक्षक ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जिताने की क्षमता रखता है। इसलिए आज भारत सरकार व कई राज्य अपने यहां नियमित अनुभवी विषेशज्ञ प्रशिक्षक न होने के कारण अनुभवी विषेशज्ञ प्रशिक्षकों को अपने यहां उच्च खेल परिणाम देने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों में अनुबंधित कर रहे हैं। गुजरात सहित कई राज्य अपने यहां मोटे अनुबंध पर विषेशज्ञ प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए अनुबंधित कर रहे हैं। देश के लिए पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले नामी प्रशिक्षकों को अब भारत सरकार का खेल मंत्रालय भी दो लाख रुपए राशि प्रति माह की सीमा को हटा करके विदेशी प्रशिक्षकों के बराबर एक करोड़ रुपए से अधिक वार्षिक  सम्मानजनक राशि पर अनुबंधित करने की बात कर रहा है। गुजरात सरकार भी अपने विषेशज्ञ प्रशिक्षकों को रहने व खाने के अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपए  तक मासिक फीस अपनी राज्य स्तर की खेल अकादमियों में दे रही है। जब प्रशिक्षक स्तरीय परिणाम दिलाते रहेंगे, तब अनुबंध कायम रहेगा तथा फीस में भी बढ़ोतरी होती रहेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार कब तक ऐसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले खेल छात्रावास खोलेगी या जो खेल छात्रावास चल रहे हैं, उनको उच्च स्तर तक विकसित करके वहां पर प्रतिभाशाली प्रशिक्षकों को अनुबंधित करें। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए अनुभवी प्रबंधकों का होना भी जरूरी होता है। इसलिए जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करवा सकते हैं, ऐसे हाई परफार्मेंस निदेशकों का होना भी जरूरी हो जाता है। मगर यहां तो जिन्होंने कभी वह खेल जिसके वे प्रशिक्षक हैं राष्ट्रीय स्तर पर तो बहुत दूर की बात है, राज्य स्तर पर भी नहीं खेला है और जिन्होंने कभी खेल प्रबंधन करवाया ही नहीं, वे खेल संयोजक अनुबंधित होने की चर्चा में हैं। हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग को सद्बुद्धि मिले।

 

भूपिंद्र सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेलःbhupindersinghhmr@gmail.com


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