भूपिंदर सिंह

इस स्तर पर अपना अभ्यास जारी रखने के लिए महीने में पचास हजार रुपए चाहिए होते हैं। जो नौकरी में हैं वो तो बहुत कठिनाई से अपने वेतन से कुछ न कुछ जुगाड़ कर लेते हैं, मगर जो विद्यार्थी व बेरोजगार हैं, वे कैसे अपना अभ्यास जारी रखें, यह हिमाचल सरकार को सोचना होगा। क्या प्रदेश सरकार कुछ उपकार इन प्रतिभाशाली एथलीटों पर करेगी ताकि वे फ्री माईंड होकर अपना प्रशिक्षण जारी रख सकें। खिलाड़ी बनाए नहीं जाते हैं, वे जन्म से ही अलग होते हैं...

आज के ओलंपिक खिलाड़ी भी शौकिया न होकर अब पेशेवर हो गए हैं। सदी पूर्व जब जिम थोर्पे के ओलंपिक पदक इस लिए छीन लिए गए थे कि उसने कहीं खेल के नाम पर थोड़ा सा धन ले लिया था। आज अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ स्वयं विश्व रिकॉर्ड बनाने पर एक लाख अमरीकी डालर इनाम देता है और भारत में तो कु

योग के नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक-मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक रूप से अलौकिकता का सुधार होता है...

सुजानपुर व जयसिंहपुर के बड़े मैदानों पर तो पहले ही बहुत अतिक्रमण हो चुका है। अब मंडी के पड्डल मैदान में तो इंडोर बना कर उसे बर्बाद करने की कसरत शुरू हो गई है। सरकाघाट महाविद्यालय का खेल मैदान अभी तक भी कृषि विभाग का खेत ही नजर आता है। भवन निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण कहीं भी बन सकता है, तो फिर मैदान के लिए दुर्लभ समतल जगह को क्यों बरबाद किया जा रहा है। हर शिक्षा संस्थान को अपना खेल मैदान चाहिए...

खेल नीति में उन राष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए वजीफे की बात की गई है जो खेल छात्रावास के बाहर हों। उन्हें भी खेल छात्रावास के अंतर्गत दैनिक खुराक भत्ता व अन्य सुविधाओं के ऊपर खर्च होने वाली राशि के बराबर वजीफा देने की वकालत हो। खेल नीति में प्रदेश का अपना खेल संस्थान हो, ऐसी बात कही गई है। इसे अमलीजामा पहनाने की जरूरत है...

क्या हिमाचल सरकार पंजाब, गुजरात आदि राज्यों की तरह उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले बढिय़ा प्रशिक्षकों को यहां लगातार कई वर्षों के लिए अनुबंधित कर प्रदेश के खिलाडिय़ों को राज्य में ही प्रशिक्षण सुविधा दिलाकर खेल प्रतिभा का पलायन रोक नहीं सकती है...

खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए सुविधा मिलेगी, तो वे फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे...

हाल ही में आयोजित अखिल भारतीय अतंर राज्य एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सीमा ने पांच व दस मीटर की दौड़ों में रजत पदक जीते हैं। इस चैंपियनशिप में ही सेना में नौकरी कर रहे कांगड़ा के अंकेश ने आठ सौ मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीता है। सीमा, सावन, दिनेश व अंकेश आज राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सब एथलीटों को, जो हिमाचल से पलायन कर गए हैं, हिमाचल सरकार सम्मानजनक नौकरी दे तथा वजीफा भी दे...

सरकाघाट महाविद्यालय के खेल मैदान में मिट्टी के सैंकड़ों ट्रक डाल कर डंपिंग साईट बना दिया है। भवन निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण कहीं भी हो सकता है, तो मैदान के लिए समतल जगह क्यों बरबाद कर रहे हो...

आज जब मनुष्य के पास हर सुख-सुविधा आसानी से उपलब्ध है, मगर समय का अभाव सबके सामने है, ऐसे में फिटनेस बनाए रखने की दिक्कत सबके सामने है। इस सबके लिए योग सबसे बढिय़ा व सर्वसुलभ तरीका है...