तालिबान का विरोध…

By: Aug 24th, 2021 12:05 am

खूंखार आतंकवादी संगठन तालिबान ने जितनी जल्दी अफगानिस्तान पर कब्जा किया, उतनी जल्दी उसका विरोध भी शुरू हो गया। शायद तालिबान ने ऐसा कभी सपनें में भी नहीं सोचा होगा। जिस तालिबान को पहले रूस और उसके बाद अमरीका कई वर्षों तक अफगानिस्तान में अपनी हजारों की तादाद में सेना की तैनाती के बाद भी नेस्तनाबूद नहीं कर सके, वह तालिबान इस विरोध से हड़बड़ा गया है क्योंकि उसका सबसे पुराना दुश्मन उसके विरोध में उठ खड़ा हो गया है और वह दुश्मन ख़तरनाक पंजशीर घाटी में बैठा है। जिस पंजशीर को आज तक तालिबान कभी भी नहीं जीत पाया। इस पंजशीर को शेरों की घाटी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी मिट्टी में देशभक्ति की ज्वाला कूट-कूट कर भरी हुई है। यहां के लड़ाके मौत को हंसते हुए गले लगाने वाले हैं।

-नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, मंडी


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