पुस्तक समीक्षा : रचना प्रकाशन का एक और धमाकेदार अंक

By: Sep 19th, 2021 12:04 am

रचना प्रकाशन का जनवरी-जून 2021 का अंक भी धमाकेदार रहा। हिमाचल का हिंदी उपन्यास विशेषांक इस बार रचना ने पेश किया है। जाहिर है पाठकों को कई भूले-बिसरे किस्से भी ताजा होंगे। पत्रिका रचना के संपादक सुशील कुमार फुल्ल इस अंक की शुरुआत यशपाल की बात से यूं करते हैं कि उपन्यास में आंचलिकता क्या अब भी बरकरार है। लिहाजा वे पाते हैं कि आंचलिकता के बिना उपन्यास चल ही नहीं पाएगा।

बहरहाल कल्पनाशीलता भी अपनी भूमिका बाखूबी निभाती है। श्रद्धा राम फिल्लौरी के ‘भाग्यवती को वे आंचलिकता का भरपूर उदाहरण मानते हैं। इस अंक की खासियत यह भी है कि इसमें उपन्यासों की लगे हाथ समीक्षा और टिप्पणी भी चस्पां कर दी गई है। अच्छा लगता है जब साथ के साथ समालोचना भी होती जाए। संपादक की यह भी खासियत रहती है। उपन्यास के इस विशेष अंक में दर्जनों उपन्यासकारों को जगह मिली है। इसी में कुछ कविताओं का भी समावेश किया गया है, जो इसकी खूबसूरती भी बढ़ाता है। सरोज परमार और चंद्ररेखा ढडवाल की कुछ बेहतरीन कविताओं को इसमें जगह मिली है। उम्मीद है यह अंक साहित्य के जिज्ञासुओं के लिए संदर्भ ग्रंथ के तौर पर काम आएगा। कुल 72 पन्नों में समाहित इस अंक को जय माता दी प्रिंटिंग प्रेस राजपुर (पालमपुर) से मुद्रित किया गया है।

-ओंकार सिंह


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