प्रदेश में होगी दालचीनी की पैदावार, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने प्रदेश में सिनामोमम वेरम की खेती का किया आगाज
सीएसआईआर-आईएचबीटी ने प्रदेश में सिनामोमम वेरम की खेती का किया आगाज
कार्यालय संवाददाता — पालमपुर
प्रदेश में दालचीनी की खेती की शुरुआत हो गई है। सीएसआईआर- आईएचबीटी ने जिला ऊना के गांव खोलीं से इसका आगाज कर दिया है। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान प्रदेश में सिनामोमम वेरम यानि दालचीनी की खेती की शुरुआत आईसीएआर-भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कालीकट, केरल और कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से कार्यान्वित किया है और भारत को दालचीनी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। असली दालचीनी सिनामोमम वेरम से प्राप्त होती है। सिनामोमम कैसिया एक अन्य प्रजाति है, जिसकी छाल का उपयोग असली दालचीनी के स्थान पर किया जाता है। देश में दालचीनी के बड़े आयात को देखते हुए और यह कि भारत में आयात किया जाने वाला सिनामोमम कैसिया है, न कि सिनामोमम वेरम, इसकी खेती के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान की गई तथा देश में उत्पादन क्षेत्र का विस्तार करने की योजना बनाई गई। सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश के ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, हमीरपुर और सिरमौर जिले इसकी खेती के लिए संभावित क्षेत्र हैं।
प्रदेश के कृषि, पशुपालन एवं मत्स्यपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने ऊना जिला के गांव खोली में प्रगतिशील किसान योगराज के खेतों में इसके पौधे लगाकर प्रदेश में दालचीनी की खेती पर पायलट परियोजना का शुभारंभ किया। आईएचबीटी के निदेशक डा. संजयकुमार भी मौजूद रहे। डा. रमेश, डा. सतबीर सिंह, डा. अशोक कुमार और डा. सनत्सुजात सिंह ने किसानों को दालचीनी की खेती के लिए प्रशिक्षित किया तथा दालचीनी प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना की। सिनामोन, जिसे लोकप्रिय रूप से दालचीनी के नाम से जाना जाता है, एक सदाबहार झाड़ीदार पेड़ है, जिसकी छाल और पत्तियों में एक मीठी-मसालेदार सुगंध होती है। पेड़ का मुख्य भाग इसकी छाल होती है, जिसका प्रयोग मुख्यत: मसाले के रूप में किया जाता है।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App