सोशल मीडिया : कितना लाभ, कितनी हानि

अगर सोशल मीडिया का अध्ययन भारत के संदर्भ में करें तो सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 तक यह संख्या लगभग 447 मिलियन तक पहुंच जाएगी। वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय उपयोगकर्ता औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस के उपयोगकर्ता सोशल मीडिया का सबसे अधिक (औसतन 4 घंटे) प्रयोग करते हैं, जबकि इस आधार पर जापान में सबसे कम (45 मिनट) सोशल मीडिया का प्रयोग होता है। सोशल मीडिया अपनी आलोचनाओं के कारण भी चर्चा में रहता है…

वर्तमान युग एक ऐसा युग है जिसे सोशल मीडिया युग का नाम दें तो सटीक माना जाएगा क्योंकि आज का युग सोशल मीडिया का युग है। प्रत्येक व्यक्ति सोशल होना पसंद करता है जिसके लिए वो वर्तमान के तथाकथित क्रांतिकारी हथियारों फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को प्रयोग में लाता है। आधुनिक समाज तकनीक का युग है। प्रत्येक व्यक्ति, व्यक्ति सामाजिक हो चाहे न हो, लेकिन सोशल होना चाहता है। अन्य शब्दों में लिखें तो व्यक्ति खुद को सोशल मीडिया के बिना अधूरा समझता है। आधुनिक तकनीक के युग में सोशल मीडिया दुनिया भर के लोगों से जुड़ने का एक महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है और इसने विश्व में संचार को एक नया आयाम दिया है। सोशल मीडिया आज लोगों के लिए सकारात्मक व नकारात्मक दोनों दृष्टियों से हथियार का काम कर रहा है। एक तरफ जहां सोशल मीडिया उन लोगों की आवाज़ बना है जो समाज की मुख्य धारा से अलग हैं और जिनकी आवाज़ को दबाया जाता रहा है।

 वर्तमान समय में सोशल मीडिया कई व्यवसायियों के लिए व्यवसाय के एक अच्छे साधन के रूप में कार्य कर रहा है तो सोशल मीडिया के साथ ही कई प्रकार के रोज़गारों के अवसर भी सोशल मीडिया से पैदा हुए हैं जिनका लाभ उठाकर कई लोगों को अपनी रोजी-रोटी कमाने का अवसर इससे प्राप्त हुआ है। वर्तमान समय में आम नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग काफी व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। यहां तक कि सरकारी संस्थाओं व विभागों ने भी अपने सोशल मीडिया खाते बनाए हैं जहां से संबंधित जानकारियों से लोगों को समय-समय पर जागरूक किया जाता रहता है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि प्रशासन व जनता के बीच जो अप्रत्यक्ष दूरी रहती थी, उसमें कड़ी का कार्य सोशल मीडिया से संभव हो पाया है। आज सोशल मीडिया सूचनाओं का केन्द्र प्रतीत होता है। कई शोधों में सामने आया है कि दुनिया भर में अधिकांश लोग रोज़मर्रा की जो सूचनाएं हैं, उन्हें सुबह उठते ही सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं।

 सोशल मीडिया भारत जैसे राष्ट्र के लिए कहें तो एक वरदान भी है और कई मायनों में यह समस्याओं का कारण भी बन गया है। अगर सोशल मीडिया का अध्ययन भारत के संदर्भ में करें तो सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 तक यह संख्या लगभग 447 मिलियन तक पहुंच जाएगी। वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय उपयोगकर्ता औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस के उपयोगकर्ता सोशल मीडिया का सबसे अधिक (औसतन 4 घंटे) प्रयोग करते हैं, जबकि इस आधार पर जापान में सबसे कम (45 मिनट) सोशल मीडिया का प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त विवादों के जन्मदाता के रूप में सोशल मीडिया अपनी आलोचनाओं के कारण भी चर्चा में रहता है। दरअसल सोशल मीडिया की भूमिका सामाजिक समरसता को बिगाड़ने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बांटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाली भी कई बार हो जाती है। भारत में नीति निर्माताओं के समक्ष सोशल मीडिया के दुरुपयोग को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है एवं लोगों द्वारा इस ओर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है। इससे विवादों को जन्म देने के पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया के प्रयोग के लिए कोई नियम मौजूद नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी नाम व पहचान से खाता बनाकर जो इच्छा हो, वो साझा कर सकता है।

 इससे जन्म मिलता है भ्रामकता और अपराधों को। कई शोध बताते हैं कि यदि कोई सोशल मीडिया का आवश्यकता से अधिक प्रयोग करता है तो उससे हमारा मस्तिष्क नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और हमंे यह डिप्रेशन की ओर भी ले जा सकता है। सोशल मीडिया कहीं न कहीं साइबर अपराधों को भी आग में घी डालने का कार्य करता है। यह फेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया पर गोपनीयता की कमी होती है और कई बार आपका निजी डाटा चोरी होने का खतरा रहता है। जहां तकनीक है, वहां अपराधियों के पास भी हाई लेवल तकनीक होगी जिससे साइबर अपराधों, जैसे हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है। ये लोग ऐसे सोशल मीडिया उपयोगकर्ता की तलाश करते हैं जिन्हें आसानी से फंसाया जा सकता है। सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। अतः सोशल मीडिया समाज के लिए एक समस्या भी है और एक अवसर भी। मगर निर्भर व्यक्तियों के प्रयोग पर करता है कि वो इसे अवसर के रूप में अपनाते हैं अथवा अपने लिए या दूसरों के लिए समस्या खड़ी करते हैं।

प्रो. मनोज डोगरा

लेखक हमीरपुर से हैं


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