उपचुनावों के बाद घोषित हो खेल नीति

By: Oct 1st, 2021 12:06 am

पद्मश्री शूटर विजय कुमार  की टोली ने प्रशिक्षण के बारे में अपने विचार पेश करते हुए कहा कि चल रहे खेल छात्रावासों में सुधार किया जाएगा तथा राज्य में नई हाई परफॉर्मेंस अकादमियों को खड़ा किया जाएगा। इन अकादमियों में अच्छी प्ले फील्ड व जिम के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों का नियुक्त होना भी जरूरी है। ये नियुक्तियां अनुबंध पर भी हो सकती हैंं जैसे पंजाब व गुजरात आदि राज्यों ने की है। द्रोणाचार्य अवार्डी हाकी प्रशिक्षक रोमेश पठानिया ने नगद ईनामों को और बढ़ाने व अवार्डी खिलाडि़यों और प्रशिक्षकों को पेंशन सहित और सुविधाएं दिए जाने की वकालत की है…

लंबे अरसे से प्रतीक्षित खेल नीति को उपचुनावोंं के बाद तुरंत घोषित कर देना चाहिए क्योंकि पहले से ही कोरोना महामारी के कारण विकास के कार्यों में बहुत बाधा उत्पन्न हो रही है। हर जगह देरी हो रही है। खेल नीति भी इससे अछूती नहीं रह रही है। खेल नीति को बहुत समय हो गया है, इसलिए समय की मांग है कि जल्द ही नई नीति को लागू करके इस पहाड़ी प्रदेश के खिलाडि़यों को वह सब मिल सके जिससे वे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना उत्कृष्ट देकर देश के लिए पदक जीत कर गौरव दिला सकें। युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने मंत्री बनते ही 2020 के अंत में धर्मशाला के मिनी सचिवालय में नई खेल नीति के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके खिलाडि़यों, प्रशिक्षकों व खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ एक मैराथन बैठक की। इस बैठक में खेल उत्थान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। इस बैठक में विभिन्न खेलों के राष्ट्रीय अवार्डी खिलाडि़यों की देखरेख में चार कमेटियों का गठन कर उनकी वहीं रिपोर्ट ली थी। अर्जुन अवार्डी सुमन रावत की अध्यक्षता में मास-पार्टिसिपेशन पर चर्चा हुई।

 जब हजारों विद्यार्थी फिटनेस कार्यक्रम से गुजरेंगे तो उनमें कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। लड़कियों की अधिक भागीदारी के लिए भी उपाय सुझाए गए। शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध खेल सुविधाओं को नियमानुसार सबके लिए आसानी ने मिलने की भी बात हुई। ओलंपियन बीएस थापा की टीम ने उपलब्ध खेल ढांचे के सदुपयोग तथा जमीन मिलने पर और अधिक प्ले फील्ड बनाने पर जोर दिया। पद्मश्री शूटर विजय कुमार  की टोली ने प्रशिक्षण के बारे में अपने विचार पेश करते हुए कहा कि चल रहे खेल छात्रावासों में सुधार किया जाएगा तथा राज्य में नई हाई परफॉर्मेंस अकादमियों को खड़ा किया जाएगा। इन अकादमियों में अच्छी प्ले फील्ड व जिम के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों का नियुक्त होना भी जरूरी है। ये नियुक्तियां अनुबंध पर भी हो सकती हैंं जैसे पंजाब व गुजरात आदि राज्यों ने की है। द्रोणाचार्य अवार्डी हाकी प्रशिक्षक रोमेश पठानिया ने नगद ईनामों को और बढ़ाने व अवार्डी खिलाडि़यों व प्रशिक्षकों को पेंशन सहित और सुविधाएं दिए जाने की वकालत की है। खेल मंत्री ने कहा है कि वह शिमला, हमीरपुर व कांगड़ा आदि स्थानों पर विभिन्न खेल संघों के साथ विस्तार से चर्चा करेंगे, मगर यह कोरोना के कारण पूरी तरह संभव नहीं हो पाया है। खेल मंत्री हिमाचली खिलाडि़यों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन  के लिए राज्य में अधिक से अधिक खेल अकादमियों व शिक्षा संस्थानों में खेल विंग की सुविधा व प्रतिभा को देखते हुए सरकारी व खेल संघों के माध्यम से खोलने को कह रहे हैं तथा भविष्य में इन सब खेल केन्द्रों को खेल विश्वविद्यालय से जोड़ने की बात भी मंत्री ने कही है।

 विभिन्न बड़ी कंपनियों से सीआरएस के माध्यम से राज्य में खेल ढांचे को सुदृढ़ करने मंशा भी मंत्री ने जताई है। मनरेगा से भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्ले फील्ड की सुविधा जुटाई जा रही है। यह सच है कि हिमाचल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशिक्षण केन्द्र हो। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद भी अभी तक सुधरा नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों के बल पर कभी कभी अच्छे परिणाम दे पाया है। हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्यों ने भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं।  खेलो इंडिया, गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमी खोलनी होगी। इन प्रशिक्षण केन्द्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करना चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश की संतानों को भी हिमाचल प्रदेश में रह कर ही वह प्रशिक्षण सुविधा मिल सके।

 जब आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छे स्तर की खेल सुविधाओं से लैस अकादमी हो। अच्छे प्रदर्शन के बाद जब नौकरी मिलती है तो वहां पर खिलाड़ी कर्मचारी को बिना किसी भेदभाव के प्रशिक्षण सुविधा भी पूरा साल उपलब्ध हो। यह सब जब खेल नीति में लिखित साफ -साफ नियम बना कर जब होगा तो हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक जीत कर प्रदेश व देश के लिए आसानी से गौरव प्राप्त करवा सकेंगे। कोरोना के कारण यह खेल नीति दिन प्रतिदिन लेट होती जा रही है। खेल विभाग के कुशल प्रशासकों व खेल जानकारों ने मिल कर खेल नीति के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है।  तैयार हो चुकी खेल नीति को अब उपचुनाव के बाद शीघ्र ही घोषित कर उसे लागू करने के समय में सरकार देरी न करे ताकि वह अपने कार्यकाल में इसके सकारात्मक पहलुओं को जारी रखे और नकारात्मक विषयों को खत्म कर सके। किसी भी नीति के नकारात्मक पहलुओं के बारे मेंं कार्यनिष्पादन के बाद ही पता चलता है। इस नीति में जो खामियां होंगी, उन्हें सरकार अपने इसी कार्यकाल में ठीक कर हिमाचल प्रदेश में खेलों के लिए उपयुक्त वातावरण बना सकेगी।

भूपिंद्र सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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