सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा-1

दिवाली में मिठाई और भैया दूज में मेवों का राजशाही खानपान जैसे-जैसे खत्म हो रहा है, वैसे-वैसे सर्दी भी बढ़ना शुरू हो गई हैं। चद्दर से कंबल और कंबल से रजाई तक पहुंची हिमाचली ठंड का आकलन करें तो मध्य भारत की हिंदी पट्टी में मनाई जाने वाली छठ पूजा का नदी स्नान अगर गंगा व यमुना के साथ-साथ व्यास और सतलुज में भी किया जाना होता तो शायद थोड़ा मुश्किल लगता, पर हमारे पूर्वजों ने बड़े सोच-समझकर छठी देवी की पूजा को पहाड़ी इलाके के बजाय मैदानी एवं तराई इलाके तक ही सीमित रखा है। राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पद्मश्री से स्वयंभू मणिकर्णिका अपने आप को इतनी ज्यादा शिक्षित और बुद्धिमान समझने लग गई कि 1947 में मिली आजादी को भीख तक बता डाला, शायद इसमें कसूर उस फिल्मी पर्दे पर डायलॉग रटकर ज्ञानी दिखने वाली अदाकारा का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसने आज तक उसकी हर ऊल-जलूल बयानबाजी पर या चुप्पी साधी रखी या समर्थन किया।

आज समय आ गया है कि हमें ऐसे इतिहासविदों की बयानबाजी पर मंत्रणा करके उनका सही जवाब देना होगा, नहीं तो आने वाली पीढ़ी किताबों के बजाय व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के इतिहास पर विश्वास करने लग जाएगी। इसके अलावा जब से अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनी है और जिस तरह से चीन और पाकिस्तान उस सरकार को समर्थन कर रहा है, उसके लिए बहुत जरूरी था कि भारत अफगानिस्तान से प्रभावित होने वाले अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिल बैठकर, इस समस्या के समाधान पर चर्चा करे।

इसी संदर्भ में पिछले सप्ताह नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक बैठक हुई जिसमें तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, रूस तथा ईरान के सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए और उन्होंने भारत के सुर में सुर मिलाते हुए अफगानिस्तान को मदद करने पर हामी भरी। इस मीटिंग में यह तय करने पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान को कट्टरपंथ और उग्रवाद से मुक्त करवाया जाए और कभी भी वैश्विक आतंकवाद का स्रोत नहीं बनने दिया जाए। इसके अलावा अफगान समाज में सभी वर्गों को भेदभाव रहित और एक समान मानवीय मदद मिलने को लेकर भी सहमति बनी। भारत की पहल पर आयोजित इस बैठक में पाकिस्तान और चीन को भी निमंत्रण दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसमें भाग नहीं लिया। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल की अध्यक्षता में हुए इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं पर चर्चा हुई जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि उसके पड़ोसी देशों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने और सभी पड़ोसी देशों की सामूहिक सुरक्षा बढ़ाने में योगदान की बात भी हुई। भारत का मानना है कि आज काबुल में एक समावेशी सरकार बनाने की कोशिश होनी चाहिए तथा किसी भी आतंकवादी समूह द्वारा अफगान क्षेत्र का उपयोग नहीं होना चाहिए। हाल ही में गुजरात बंदरगाह पर पकड़ी गई ड्रग्स भी अफगानिस्तान से आई थी, इसलिए ड्रग्स और हथियारों की तस्करी को रोकने पर भी पहल होनी चाहिए।                                                      -क्रमशः

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक


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