यहां एक तरफ आज गुजरात और हिमाचल में चुनावी माहौल पूरी तरह से गर्म हो रखा है और प्रधानमंत्री जी की बिलासपुर में हुई रैली तथा मुख्यमंत्री के पूरे प्रदेश की हर विधानसभा में लगातार हो रहे दौरों से हिमाचली जनता चुनावमयी हो चुकी है तो दूसरे राज्य गुजरात में आम आदमी पार्टी की बढ़ती
2014 में जब माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपना चुनाव प्रचार शुरू किया था तो उन्होंने सेवानिवृत्त सैनिकों को इक_ा करके उनकी राजनीति में भागीदारी की बात कही थी, पर उसके बाद भी ओआरओपी के लिए सैनिक अभी भी अंदोलन कर रहे हैं और सडक़ों पर हैं। सबसे बड़ी बात सैनिक सैन्य सेवा के
अगस्त माह के अंत तथा सितंबर की शुरुआत से बरसात का मौसम धीरे-धीरे कम होने लगता है। मक्की तथा धान की फसल अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रही होती है, देश का किसान फसल को देखकर खुश होता है, उसी दौरान गणेश चतुर्थी के त्यौहार को लगभग पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया
भारत क्षेत्रफल तथा आबादी के हिसाब से विश्व का एक बड़ा देश है। हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले तथा अलग-अलग धर्म, जाति से संबंध रखने वाले लोग रहते हैं। भौगोलिक संरचना के हिसाब से अगर देखें तो उत्तर- पूर्व में पहाड़, पश्चिम और दक्षिण में समुद्र और उत्तर-दक्षिण में मरुस्थल होने से
पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो घटनाएं हो रही हैं उनमें मुख्यत: श्रीलंका की आर्थिक व्यवस्था के डावांडोल होने पर राजनीतिक उथल-पुथल में राष्ट्रपति द्वारा सभी दलों के नेताओं को कैबिनेट में शामिल करके प्रधानमंत्री बदलने का निर्णय भी राजनीतिक तथा आर्थिक अस्थिरता पर लगाम नहीं लगा पाया है। हमारे दूसरे
थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने की रिटायरमेंट के बाद अब भारतीय सेना के नए सीडीएस की नियुक्ति पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है कि देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस कब मिलेगा और उसके लिए अभी कितना इंतजार करना पड़ेगा। पिछले महीने 30 अप्रैल को जब थल सेना अध्यक्ष जनरल
पिछले कुछ दिनों जब से पांच राज्यों के चुनावों के परिणाम आए हैं, हमारे गृह क्षेत्र हिमाचल में राजनीतिक सरगर्मियां इतनी बढ़ गई हैं कि आने वाले कुछ दिनों में बड़े उलटफेर और उथल-पुथल होने की संभावनाएं दिख रही हैं। कांग्रेस की हार व बीजेपी की जीत के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की पंजाब में
टीकाकरण से जैसे ही ओमिक्रॉन का प्रभाव मंद पड़ा है, शहर-बाजारों की रौनक धीरे-धीरे लौटने लगी है और स्कूल भी करीब-करीब दो वर्ष बंद रहने के बाद बच्चों, नौनिहालों के कौतूहल से सजने लगे हैं। चुनाव आयोग ने भी रैलियां करने की अनुमति दे दी है। इस अनुमति का नेताओं ने भी भरपूर फायदा उठाना
सेना में नई वर्दी की बात तो चल रही है, पर यह मात्र कम्बैट या चितकबरी वर्दी को बदला जा रहा है, इसके अलावा भी सेना में अन्य आठ किस्म की वर्दियां पहनी जाती हैं। यह तो जाहिर है कि एक सैनिक और सिविलयन में जो फर्क आम देखा जा सकता है वह उनका हेयर
पिछले सप्ताह देश के कुछ राज्यों में मचे चुनावी शोर जिसमें नेता अपनी सहूलियत के हिसाब से दलबदल करके 5 वर्ष पहले जिस दल से चुनकर विधानसभा गए थे, अब उस दल से प्रत्याशी बनाने की उम्मीद कम होने पर दूसरा दल चुन रहे हैं। जनसेवा का जज्बा इतना कूट-कूट कर भरा है कि चाहे