मंडी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा होगी सुलभ

वर्तमान में शिमला में जनसंख्या घनत्व चरम सीमा पर पहुंच चुका है। विद्यार्थियों को शिमला शहर में रहने के लिए ट्रैफिक जाम, रूम इत्यादि के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश की राजधानी तथा पर्यटक स्थल होने के कारण वर्ष भर शिमला में अनेक कार्यक्रम चले रहते हैं। इस कारण से विद्यार्थियों को वर्ष भर अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के बहुत ही कम शैक्षणिक संस्थान विद्यमान हैं। यदि कोई विद्यार्थी पीएचडी करना चाहता है तो उसे एकमात्र राज्य स्तरीय सरकारी विश्वविद्यालय शिमला में कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है…

आठ नवंबर 2021 को हिमाचल प्रदेश सरकार (कैबिनेट) ने मंडी जिला में क्लस्टर विश्वविद्यालय से पूर्ण विश्वविद्यालय बनाने हेतु कमेटी गठित करने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय स्थापित करने की रूपरेखा तय करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला और क्लस्टर विश्वविद्यालय मंडी के कुलपतियों तथा शिक्षा सचिव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। 22 जुलाई 1970 को शिमला के समर हिल में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से 6 महीने और 3 दिन पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। 25 जनवरी 1971 हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य मिलने से लेकर वर्तमान समय तक हिमाचल प्रदेश में एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय था और अब 51 साल के बाद हिमाचल प्रदेश को सरकारी क्षेत्र की दूसरी यूनिवर्सिटी मंडी में मिलने जा रही है।

  मंडी जिला हिमाचल प्रदेश के मध्य में स्थित है। इस जिले के समीप कुल्लू, कांगड़ा, हमीरपुर, लाहौल-स्पीति और चंबा के छात्रों को विशेष रूप से लाभ मिल सकता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से संबद्ध सरकारी और निजी कॉलेजों की संख्या 400 से अधिक हो गई है। एक विश्वविद्यालय द्वारा इतने कॉलेजों को समुचित ढंग से संचालित करना कठिन कार्य होता है। ऐसे में मंडी विश्वविद्यालय की स्थापना से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का भार भी कम होगा तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मार्ग को सुदृढ़ करने के लिए अनेकों नवीन कदम धरातल पर उतारे जा सकते हैं। वर्ष 2014 में मंडी में क्लस्टर विवि खोलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रदेश सरकार के प्रस्ताव व डीपीआर को वर्ष 2016 में मंजूरी दे दी थी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा अधिनियम 2018  के अंतर्गत  मंडी क्लस्टर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। 24 मई 2018 को राजपत्र में यह प्रकाशित हुआ। क्लस्टर यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति डा. सीएल चंदन बने। मंडी कॉलेज को क्लस्टर विश्वविद्यालय का लीड कॉलेज बनाया गया है। इसमें द्रंग कॉलेज, बासा कॉलेज और सुंदरनगर कॉलेज को शामिल किया गया है। क्लस्टर विवि के पास अभी अन्य कॉलेजों से संबद्धता देने की शक्तियां नहीं हैं। यदि क्लस्टर विश्वविद्यालय मंडी हिमाचल प्रदेश का दूसरा पूर्ण विश्वविद्यालय बनने में सफल होता है तो यह आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों पर पहुंचाने का कार्य करेगा। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं कि प्रदेश के सारे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के लिए शिमला पहुंच सकें। ऐसे में प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

 वर्तमान में शिमला में जनसंख्या घनत्व चरम सीमा पर पहुंच चुका है। विद्यार्थियों को शिमला शहर में रहने के लिए ट्रैफिक जाम, रूम इत्यादि के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश की राजधानी तथा पर्यटक स्थल होने के कारण वर्ष भर शिमला में अनेक कार्यक्रम चले रहते हैं। इस कारण से विद्यार्थियों को वर्ष भर अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के बहुत ही कम शैक्षणिक संस्थान विद्यमान हैं। यदि कोई विद्यार्थी पीएचडी की डिग्री करना चाहता है तो उसे एकमात्र राज्य स्तरीय सरकारी विश्वविद्यालय शिमला में कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। वर्ष 2009 में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की स्थापना से उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी थी, लेकिन कैंपस विवाद के कारण यह उम्मीद धरातल पर सही सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सफल नहीं हो सकी। ऐसे में पिछले कई दशकों से हिमाचल प्रदेश के पढ़े-लिखे युवा उच्चतर शिक्षा की प्राप्ति के लिए बाहरी राज्यों की तरफ रुख करने के लिए मजबूर थे। हिमाचल प्रदेश सरकार को मंडी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि तथा बजट की आवश्यकता पड़ेगी। सरकार को इन दोनों आधारभूत आवश्यकताओं की सही व समुचित धरातलीय व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला भूमि विवाद का कटु अनुभव प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है। इस विवाद से सबक लेते हुए मंडी विश्वविद्यालय के स्थायी कैंपस के लिए भूमि चयन अति आवश्यक कार्य होगा।

 यदि यह विश्वविद्यालय सही ढंग से स्थापित हो जाता है तो आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश के शिक्षा जगत में यह नई इबारत लिखेगा। वर्तमान में मनुष्य के सामने अनेकों मानव जनित व प्राकृतिक समस्याएं नियमित रूप से पैदा हो रही हैं। यदि सही समय पर समस्याओं पर शोध किया जाए तो यह कई तरह के संकटों से बचा सकता है। शोध करने के लिए उच्चतर शिक्षा अति आवश्यक होती है। हिमाचल प्रदेश में उच्चतर शिक्षा की पहुंच नगण्य है। नई शिक्षा नीति भी उच्चतर शिक्षा के मार्ग को सुदृढ़ करती है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में उच्च स्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना समय की मांग भी बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से हर वर्ष सैकड़ों विद्यार्थी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, लेकिन उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में नौकरियों के अभाव के कारण उन्हें मजबूरन अन्य व्यवसायों की तरफ रुख करना पड़ता है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के मध्य में स्थित जिला मंडी में यदि प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय को स्टिक रूपरेखा के साथ स्थापित करती है तो यह हिमाचल को शिखर की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगाा।

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक सुंदरनगर से हैं


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