हमीरपुर में दोगुना हुआ पुरुषों की आत्महत्या का आंकड़ा
महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा लगा रहे मौत को गले, मनोचिकित्सकों का दावा डिप्रेशन का हो रहे शिकार
सुरेंद्र ठाकुर—हमीरपुर
कोरोना काल में अव्यवस्थित हुई व्यवस्थाओं ने जहां हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, वहीं इसका सीधा असर इनसान की जिंदगी पर भी पड़ा है। रोजगार छिनने और परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ ने एक तरफ जहां खासकर पुरुषों को डिप्रेशन में ला दिया, वहीं आत्महत्या जैसे कठोर कदम भी पुरुषों ने उठाए हैं। जुटाए गए आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि महिलाएं की अपेक्षा पुरुषों ने पिछले दो साल में ज्यादा आत्महत्याएं की हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार पुरुषों के आत्महत्या के मामलों में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। वहीं मनोचिकित्सकों की मानें तो अस्पतालों में पिछले दो सालों में डिप्रेशन के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। इसके मुख्य कारण नशे का अधिक प्रचलन तथा कोरोना काल में बेरोजगारी का बढऩा माना जा रहा है। कोविड काल में कई लोगों की नौकरियां छूट गई हैं। परिवार के भरण पोषण की चिंता में पुरुष डिप्रेशन का शिकार हुए हैं। अधिक तनाव में चले जाने के कारण पुरुषों ने आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम उठाए हैं। एकत्रित किए गए आत्महत्या के स्टीक आंकड़ों के अनुसार इस साल सितंबर महीने के अंत तक हमीरपुर जिला में सुसाइड के 48 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 31 पुरुष जबकि 17 महिलाएं शामिल हैं।
इससे यह साबित हो गया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष मौत को ज्यादा गले लगा रहे हैं। बात यदि वर्ष 2020 की करें तो इस वर्ष आत्महत्या के मामलें 67 रिकार्ड हुए थे। इनमें 37 पुरुष जबकि 30 महिलाएं शामिल थीं। इस वर्ष जहां आत्महत्या करने वालों में महिलाओं का ग्राफ कम हुआ वहीं पुरुषों का आंकड़ा महिलाओं के मुकाबले दोगुने स्तर पर जा पहुंचा है। आत्महत्या को गले लगाने में पुरुषों के सामने आए अधिक आंकड़े ने सभी को चौंका दिया है। मनोचिकित्सकों को यह मत है कि पुरुष के ऊपर परिवार की अधिक जिम्मेदारियों होती हैं तथा वह परिवार की खुशी के लिए ज्यादा मेहनत करता है। पुरुष की मेहनत पर ही अधिकांश घर निर्भर रहते हैं। ऐसे में जब कोरोना काल में कई पुरूषों की जॉब छिन गई तो इनमें से कई डिप्रेशन का शिकार हो गए। अधिक तनावग्रस्त हो जाने के कारण ही कइयों ने मौत को गले लगा लिया। (एचडीएम)
इस वर्ष सितंबर महीने के अंत तक आत्महत्या के 48 मामले पंजीकृत हुए हैं। इनमें 31 पुरुष, जबकि 17 महिलाएं शामिल हैं। वर्ष 2020 में आत्महत्याओं का आंकड़ा 67 था। बीते वर्ष 37 पुरुषों, जबकि 30 महिलाओं ने आत्महत्या की थी
डा. आकृति शर्मा, पुलिस अधीक्षक हमीरपुर
क्या कहते हैं मेडिकल कालेज के मनोचिकित्सक
इस बारे में डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. संदीप कुमार का कहना है कि दो साल से डिप्रेशन के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। नशे का प्रचलन बढ़ा है, जिससे पुरुष डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां जाने से भी पुरुष तनावग्रस्त हुए हैं। ऐसे मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। घातक नशे का सेवन भी आत्महत्या के ग्राफ में बढ़ोतरी का मुख्य कारण हो सकता है। लोगों को तनाव से मुक्त रहना चाहिए। तनावग्रस्त होने के बाद मुनष्य घातक कदम उठा लेता है। तनावमुक्त रहने के लिए नियमित व्यायाम करें, मनोचिकित्सक से परामर्श लें।
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