उद्योगपतियों का महत्त्व

By: Dec 10th, 2021 12:04 am

हमारे देश के कुछ सत्ताधारी, राजनेता और अन्य लोग आर्थिक व्यवस्था और रोजगार की रीढ़ उद्योगपतियों पर सवाल खड़े करते रहते हैं। देश का एक भी सत्ताधारी या राजनेता बता दे कि वो अपनी तरफ से कितने लोगों को रोजगार देते हैं, वो लोग ऐसा क्या काम करते हैं जिससे उनकी कमाई सरकारी खजाने में जाकर देश के विकास में योगदान देती है। बेशक सत्ताधारी देश को चलाने के लिए योजनाएं अमल में लाते हैं, लेकिन यह योजनाएं भी बिना पैसे के कामयाब नहीं हो सकती हैं। इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए देश के हरेक उद्योगपति का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अंडानी-अंबानी ही नहीं, बल्कि देश का वो छोटे से छोटा कारोबारी और उद्योगपति भी जो अपने यहां चार लोगों को भी रोजगार दिए हुए हैं, वो देश के लिए बहुत ही बेहतरीन काम कर रहे हैं। सरकारी नौकरी हर बेरोजगार को उपलब्ध कराना सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है और देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने में उद्योग जगत की मुख्य भूमिका है।

राहुल गांधी ने लोकसभा में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए जो यह आरोप लगाया था कि यह हम दो, हमारी दो की सरकार है और इसमें जिन कॉरपोरेट जगत के लोगों की ओर इशारा किया था, उनके बारे राहुल गांधी को यह भी सोचना चाहिए कि उनका देश की आर्थिक व्यवस्था की दशा सुधारने के लिए कितना बड़ा योगदान है? यह कितना टैक्स सरकारी खजाने में जमा करके सरकार को देश का विकास करने में कितना योगदान देते हैं और सबसे बड़ी बात इनके यहां से लाखों-करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी चलती है। किसानों और अन्य वर्ग विशेष को जो मुफ्त की सुविधाएं सरकार की तरफ से दी जाती हैं, उसमें भी सबसे बड़ा योगदान देश के सभी कॉरपोरेट जगत द्वारा दिए गए टैक्स का ही होता है। यह मान लो कि यह दो कॉरपोरेट जगत के कर्ताधर्ता अपना कारोबार समेट लें तो राहुल गांधी इस पर यह सोचना चाहिए कि इससे देश में कितने लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए राहुल गांधी, मोदी सरकार के अन्य विरोधी राजनीतिक दलों और अन्य लोगों को मोदी सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने के लिए मोदी सरकार को घेरना चाहिए, न कि देश के किसी कॉरपोरेट जगत पर उंगली उठानी चाहिए।

-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा


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