जनरल को आखिरी सलाम

By: Dec 10th, 2021 12:04 am

भारत के सर्वोच्च सेनापति, प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत को नियति ने हमसे छीन लिया। वह, उनकी पत्नी मधुलिका और 11 अन्य जांबाज सैनिक एक खौफनाक, भयावह, दर्दनाक और त्रासद हेलीकॉप्टर हादसे के शिकार हो गए। यकीन नहीं होता इस सामूहिक मौत पर…! हेलीकॉप्टर भी असाधारण श्रेणी का था-एमआई-17वी5। देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते रहे हैं। सेना के रणबांकुरे जवान भी इस रूसी हेलीकॉप्टर के जरिए आवाजाही करते रहे हैं।

इसे दुनिया का सबसे मजबूत, विश्वसनीय और सुरक्षित हेलीकॉप्टर माना जाता रहा है, लेकिन उसकी उड़ान भारत के सर्वोच्च सेनापति, सैन्य रणनीतिकार और सेनाओं की थियेटर कमान के सूत्रधार जनरल रावत को हमेशा के लिए लील गई। असामयिक, अकाल्पनिक, अस्वाभाविक मौत…..! बेशक देश विक्षुब्ध है, ग़मगीन है और मन के भीतर ढेरों सवालों को मथते हुए संयमित है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? हवाई हादसे होते रहे हैं। साल में औसतन 20 विमान दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। 1963 की वह घोर त्रासदी भी याद आती है, जब एक ही हवाई हादसे ने हमारे कई वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को छीन लिया था। मौजूदा हादसा उससे भी वीभत्स और हत्यारा साबित हुआ है, क्योंकि हेलीकॉप्टर में देश के प्रधान सेनापति मौजूद थे। उस अतिविशिष्ट पदेन चेहरे की सुरक्षा हर कीमत पर पुख्ता की जानी चाहिए थी। यकीनन वायुसेना के अधिकारियों, इंजीनियरों और पायलटों ने पुरजे-पुरजे को जरूर खंगाला होगा। सुरक्षा सुनिश्चित की होगी। उनकी विलक्षण योग्यता पर कोई संदेह या सवाल नहीं है, लेकिन इसी को नियति कहते हैं। वायुसेना की विशेषज्ञ जांच उन कारणों की गहराई और सच्चाई तक जरूर पहुंचेगी, जिनके कारण देश के प्रथम सीडीएस को ‘शहीद होना पड़ा। हमारे प्रशिक्षित सैन्य अधिकारी और कमांडो भी ‘शहीद हो गए। क्या इस नुकसान की कीमत आंकी जा सकती है? क्या इस शून्य की यथाशीघ्र भरपाई संभव है? सीडीएस जनरल रावत एक सपने को यथार्थ में परिणत कर रहे थे।

हमारी तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता, साझापन और समन्वय ऐसा हो कि कोई विरोधाभास न रहे, लिहाजा जनरल रावत 22 दिसंबर, 2023 तक के कार्यकाल में ही थियेटर कमान की स्थापना करना चाहते थे। उनकी इच्छा थी कि प्रधानमंत्री मोदी 15 अगस्त को लालकिले से इस कमान की घोषणा करें। जनरल रावत कमाल, अद्वितीय, कर्मयोगी सेनापति थे, लिहाजा अमरीका ने जो काम 30 साल में किया था, उसे वह तीन साल में ही अंजाम देना चाहते थे। वह चीन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होना चाहते थे। वह आतंकवाद के जबरदस्त खिलाफ थे, लिहाजा आतंकियों को ढेर करना ही उनका बुनियादी लक्ष्य रहा था। ‘ऑपरेशन ऑल आउट उनकी ही स्वप्निल उपज थी। बहरहाल अब सब कुछ अधूरा लटक गया। सेना के संपूर्ण आधुनिकीकरण का पुरोधा और स्वप्नजीवी सेनापति चला गया। अब नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। लेकिन कमोबेश वायुसेना को अपनी हवाई सुरक्षा पर व्यापक और गहन मंथन करना होगा। एमआई-17 हेलीकॉप्टर के कारण ही कई बार परेशानियां हुई हैं और हादसों में 40 से अधिक लोगों की मौत भी हुई है। हमें पता है कि सेना की जांच सार्वजनिक नहीं की जाती। उस पर गोपनीयता की कई चादरें और परतें होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह देश की सुरक्षा का मामला है, लेकिन सबसे मजबूत और सुरक्षित हेलीकॉप्टर की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए। हमारी सेना में अब भी पुराने और खटारा विमान और हेलीकॉप्टर होंगे। उन्हें सेना यथाशीघ्र बदलेगी, यह काम भी करना है।


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