मंडी विश्वविद्यालय शिक्षा जगत को वरदान

विश्वविद्यालय के खुलने से अनेक लोगों को रोजगार मिलेगा जो कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। हिमाचल प्रदेश में उच्चतर शिक्षा की पहुंच नगण्य है।  ऐसे में हिमाचल प्रदेश में उच्च स्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना समय की मांग भी बन चुकी है। हिमाचल के मध्य में स्थित मंडी में यदि प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय स्थापित करती है तो यह हिमाचल को शिखर की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा…

13वीं विधानसभा का तेरहवां सत्र 15 दिसंबर 2021 को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। यह सत्र विशेष तौर पर शिक्षा जगत के लिए स्मरणीय रहेगा। 14 दिसंबर 2021 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सरकार को विधानसभा सदन ने मंडी जिला में सरदार पटेल विश्वविद्यालय बनाने की हरी झंडी प्रदान की। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले में सरदार पटेल विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश स्थापना और विनियमन विधेयक 2021 ध्वनिमत से पारित हुआ। इस विश्वविद्यालय की वित्तीय व्यवस्था को लेकर माननीय व प्रदेश की जनता में अनेकों भ्रम प्रचलित थे। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री गोबिंद ठाकुर ने घोषणा की कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जितना भी धन अपेक्षित होगा, उसका वर्ष 2022-23 के बजट में प्रावधान कर दिया जाएगा। यह वक्तव्य इस विश्वविद्यालय के भविष्य  व गुणवत्ता के प्रति सजग सरकार की सजगता की अभिव्यक्ति भी करता है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का विवाद प्रदेश की जनता व  विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह पैदा करता है। वर्ष 2009 में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की स्थापना से उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी थी, लेकिन कैंपस विवाद के कारण यह उम्मीद धरातल पर सही सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सफल नहीं हो सकी।

 सरकारी शिक्षा के उत्थान के लिए 22 जुलाई 1970 को शिमला के समरहिल में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से 6 महीने और 3 दिन पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व मिलने से लेकर वर्तमान समय तक हिमाचल प्रदेश में एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय था और अब 51 साल के बाद हिमाचल प्रदेश को सरकारी क्षेत्र की दूसरी यूनिवर्सिटी मंडी में स्थापित हो पाई है। हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति पढ़ाई के लिए शांत, एकांत तथा स्वास्थ्यवर्धक वातावरण उपलब्ध करवाती है। हिमाचल प्रदेश के बहुत से अभ्यर्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश के एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय समरहिल पर निर्भर रहना पड़ता था। शिमला प्रदेश की राजधानी व विश्व विख्यात पर्यटक स्थल होने के कारण जनमानस से भरा रहता है। ऐसे में विद्यार्थियों को आवास, खानपान, आवागमन को लेकर अनेकों समस्याओं का निरंतर सामना भी करना पड़ता था।

 अनेकों विद्यार्थी इस आधारभूत समस्या के साक्षी भी हैं। इस समस्या के सही वास्तविक आकलन का श्रेय हिमाचल प्रदेश में कार्यरत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को जाता है। इस संगठन द्वारा करीब 2 वर्ष पहले ही क्लस्टर विश्वविद्यालय को पूर्ण विश्वविद्यालय बनाने की रूपरेखा व मुहिम शुरू कर दी थी। ऐसा माना जाता है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतीय जनता पार्टी एक ही विचार परिवार से हैं। लेकिन इस विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर एबीवीपी ने अपने विचार परिवार की सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हालांकि अन्य किसी भी विद्यार्थी संगठन ने न कभी ऐसी कोई मांग ही की और न ही उसके लिए किसी प्रकार का बड़ा आंदोलन ही किया। आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभिन्न तरीक़ों से कभी ज्ञापन, कभी हस्ताक्षर अभियान, कभी भूख हड़ताल, कभी धरना दिया व अंत में हुंकार रैली से सरकार पर दबाव बनाने में सफल रही। मंडी जिला में आयोजित हुंकार रैली के दौरान मंडी, कुल्लू और पालमपुर क्षेत्र के कॉलेजों से 4652 विद्यार्थियों ने भाग लिया। शायद यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास की एक यूनिक घटना या जन कल्याणकारी कार्य की एक सजग कोशिश मानी जा सकती है, जिसमें किसी संगठन द्वारा विचारधारा से ऊपर उठकर विद्यार्थियों के कल्याण के लिए एक सजग व ईमानदार प्रयास किया है। संगठन चाहे कोई भी हो, किसी भी विचारधारा से संबंधित हो, यदि वह सरकार व समाज को सही मार्ग पर लाने के लिए पूर्ण ईमानदारी व स्वार्थहीन कदम उठाए तो उसका स्वागत व सत्कार हर लाभार्थी को तहे दिल से करना चाहिए।

 हिमाचल प्रदेश में इस समय करीब 17 निजी विश्वविद्यालय कार्यरत हैं। इस छोटे से प्रदेश में इतने अधिक निजी विश्वविद्यालय होने के बाद भी एडमिशन की कोई कमी नहीं है। इसके पीछे का मूल कारण हिमाचल प्रदेश का सौहार्दपूर्ण व एकांत वातावरण प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में हब बनता जा रहा है। यह प्रदेश के लिए एक अच्छा व सुखद दृश्य माना जा सकता है। जिस प्रदेश में पढ़े-लिखे व वैचारिक लोगों की अधिकता होती है, वह प्रगति के नवीन मार्ग को तो प्रशस्त करता ही है, साथ में समाज के गरीब, असहाय लोगों के जीवन को ऊपर उठाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मंडी में प्रदेश का दूसरा विश्वविद्यालय बनने से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला और उससे संबद्ध अनेक महाविद्यालयों का अत्यधिक कार्यभार भी कम होगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में आ रही अनियमितताओं में भी सुधार देखने को मिलेगा। विश्वविद्यालय के खुलने से अनेक लोगों को रोजगार मिलेगा जो कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। हिमाचल प्रदेश में उच्चतर शिक्षा की पहुंच नगण्य है। नई शिक्षा नीति भी उच्चतर शिक्षा के मार्ग को सुदृढ़ करती है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में उच्च स्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना समय की मांग भी बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से हर वर्ष सैकड़ों विद्यार्थी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, लेकिन उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में नौकरियों के अभाव के कारण उन्हें मजबूरन अन्य व्यवसायों की तरफ रुख करना पड़ता है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के मध्य में स्थित मंडी में यदि प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय स्थापित करती है तो यह हिमाचल को शिखर की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक सुंदरनगर से हैं


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