प्रवासियों से सहयोग का नया अध्याय

हम यह भी उम्मीद करें कि जिस तरह प्रवासी चीनियों ने कोई तीन दशक पहले अपनी कमाई हुई दौलत चीन में लगाकर चीन की चमकीली तस्वीर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, वैसी ही भूमिका अब प्रवासी भारतीयों की होगी। प्रवासी भारतीय अपना अमूल्य योगदान देते रहेंगे…

हाल ही में विश्व बैंक के द्वारा जारी ‘माइग्रेशन एंड डेवलमपेंट ब्रीफ’ रिपोर्ट 2021 के मुताबिक विदेश में कमाई करके अपने देश में धन (रेमिटेंस) भेजने के मामले में इस वर्ष 2021 में भारतीय प्रवासी दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में प्रवासी भारतीयों ने 87 अरब डॉलर की धन राशि स्वदेश भेजी है। यह धन राशि पिछले वर्ष की तुलना में 4.6 फीसदी अधिक है। इसमें सबसे अधिक 20 फीसदी धन राशि अमेरिका से प्रवासी भारतीयों के द्वारा भेजी गई है। पिछले 6-7 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिए किए गए विशेष प्रयासों से प्रवासियों का भारत के लिए सहयोग और स्नेह लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के प्रवासियों के द्वारा 2021 में कुल 589 अरब डॉलर की राशि अपने-अपने देशों में भेजी गई है, जबकि 2020 में उनके द्वारा भेजी गई धनराशि 540 अरब डॉलर थी। प्रवासियों से धन प्राप्त करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की सूची में भारत वर्ष 2008 से अब तक पहले क्रम का देश बना हुआ है। प्रवासियों से धन प्राप्त करने में भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्त्र के क्रम हैं। जहां पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की ऋणात्मक विकास दर की स्थिति में पहुंच गई थी, वहीं दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आने के कारण भारतीय प्रवासियों की आमदनी में बड़ी कमी आई थी। फिर भी आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय प्रवासियों के द्वारा पिछले वर्ष भेजी गई 83 अरब डॉलर की बड़ी धनराशि से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला था। अब इस वर्ष 2021 में प्रवासियों के द्वारा भेजी गई 87 अरब डॉलर की धनराशि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के मद्देनजर बड़ी अहम रही है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय जब विदेशों में जो जहां था, उसे वहीं लॉक कर दिया गया था, उड़ानें रुक गई थी। इससे विदेशी ज़मीन पर लाखों भारतीय उद्यमी, कारोबारी तथा पर्यटक फंस गए थे। ऐसे में चिंता और अनिश्चितता के दौर में फंसे भारतीयों को प्रवासी भारतीयों का हर तरह से साथ मिला था। वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान कोरोना संक्रमण की दूसरी दर्दनाक लहर के बीच भारतीय प्रवासियों ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक मजबूत करने के लिए जहां पीएम केयर्स में भरपूर योगदान दिया, वहीं देश के कोने-कोने में कोरोना पीडि़त परिवारों को मदद पहुंचाने में प्रवासी भारतीयों के द्वारा बेमिसाल सहयोग व स्नेह के नए अध्याय लिखे गए हैं।

 यह उल्लेखनीय है कि प्रवासी भारतीयों के साथ भारत के संबंधों को फिर से ऊर्जाशील बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अहम भूमिका निभाई है। उन्हीं के प्रयासों से 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस समारोह शुरू हुआ और इससे प्रवासी भारतीय भारत के लगातार निकट आते गए हैं । यह कोई छोटी बात नहीं है कि प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश धन भेजने से जिस तरह बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भारत आती है, वह राशि सालाना प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की राशि से भी अधिक होती है। यह एक ऐसा बड़ा कारण भी है जिससे कोरोना काल में भारत का विदेशी मुद्रा कोष लगातार बढ़ते हुए दिखाई दिया है। रिजर्व बैंक के द्वारा 10 दिसंबर 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा कोष 637 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि दुनिया के करीब 210 देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय भारत की महान पूंजी हैं। प्रवासी भारतीय विश्व के समक्ष भारत का चमकता हुआ चेहरा हैं। साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी  हैं। दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों की ऊंची सफलताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।  हाल ही में गीता गोपीनाथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) में दूसरी शीर्ष अधिकारी बनी हैं। पराग अग्रवाल कम उम्र में ही ट्विटर के नए सीईओ बन गए हैं। नीली बेंडापुरी अमेरिका के एक अग्रणी विश्वविद्यालय की अध्यक्ष बनी हैं। साथ ही अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा कई उच्च प्रशासनिक पदों पर प्रवासी भारतीयों को ऊंची जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। जिस तरह प्रवासी भारतीय राजनेताओं और प्रवासी भारतीय उद्यमियों ने भारत के साथ सहयोग के सूत्र आगे बढ़ाए हैं, उससे भी प्रवासी भारतीयों के द्वारा स्वदेश की ओर धन प्रेषण और स्वदेश के साथ स्नेह व मैत्री में लगातार वृद्धि हुई है।

 ऐसे प्रभावी राजनेताओं में अमेरिका की पहली महिला और पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, मॉरीशस में प्रविंद जगन्नाथ, राजकेश्वर पुरयाग, अनिरुद्ध जगन्नाथ, नवीनचंद्र राम गुलाम, गुयाना में भरत जगदेव, डोनाल्ड रविंद्र नाथ रामोतार, सूरीनाम में चंद्रिका प्रसाद संतोखी, दक्षिण अफ्रीका में अहमद कथराडा, सिंगापुर में प्रो. एस. जयकुमार, न्यूजीलैंड में प्रियंका राधाकृष्णन, डा. आनंद सत्यानंद, त्रिनिडाड एवं टोबैगो में कमला प्रसाद बिसेसर, कुराकाओ में यूजीन रघुनाथ, ब्रिटेन में ऋषि सूनाक आदि नाम उभरकर दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में दुनिया में ऊंचाइयों पर दिखाई दे रहे प्रवासी भारतीय सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, संजय मेहरोत्रा, शांतनु नारायण, दिनेश पालीवाल, अजय बंगा आदि ने भारत के साथ सहयोग व स्नेह के सूत्र मजबूत बनाए हैं। यदि हम चाहते हैं कि प्रवासी भारतीय भारत को मजबूत बनाने में अपनी सहभागिता और अधिक बढ़ाएं, तो हमें भी प्रवासियों के दुख-दर्द में अधिक सहभागी बनना पड़ेगा। उनके साथ सांस्कृतिक सहयोग और स्नेह बढ़ाना होगा। उल्लेखनीय है कि जिस तरह से पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 की चुनौतियों से परेशान प्रवासियों की घर वापसी के लिए सरकार ने वंदे भारत मिशन चलाया और 45 लाख प्रवासी भारतीयों को भारत वापस लाया गया, उससे प्रवासी भारतीयों के मन में भारत के लिए और अधिक आत्मीयता बढ़ी है। लेकिन अभी भी हमें प्रवासियों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के निराकरण में अहम भूमिका निभानी होगी। वस्तुतः दुनिया के सारे प्रवासी भारतीय बहुत धनी नहीं हैं।

 अधिकांश देशों में इनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है। खासतौर से विभिन्न खाड़ी देशों में लाखों कुशल-अकुशल भारतीय श्रमिक इस बात से त्रस्त हैं कि वहां पर उन्हें न्यूनतम वेतन और जीवन के लिए जरूरी उपयुक्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जहां भारत के द्वारा विभिन्न विकसित और विकासशील देशों में प्रवासियों की वीजा संबंधी मुश्किलों को कम करने में भी मदद करनी होगी, वहीं विदेशों में रोजगार की प्रक्रियाओं के सरल व पारदर्शी बनाने पर जोर दिया जाना होगा ताकि भारतीय कामगारों को बेईमान बिचौलियों और शोषक रोजगारदाताओं से बचाया जा सके। हम उम्मीद करें कि जिस तरह प्रवासी भारतीयों ने इस वर्ष 2021 में 87 अरब डॉलर भारत भेजकर भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है, उसी तरह भविष्य में भी प्रवासी भारतीय भारत के लिए आर्थिक सहयोग के साथ-साथ विविध जरूरतों के लिए और स्नेहिल सहभागी बने रहेंगे। हम यह भी उम्मीद करें कि जिस तरह प्रवासी चीनियों ने कोई तीन दशक पहले अपनी कमाई हुई दौलत चीन में लगाकर चीन की चमकीली तस्वीर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, वैसी ही भूमिका अब प्रवासी भारतीयों की होगी। प्रवासी भारतीय फेसबुक, एमेजॉन और अन्य दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को टक्कर देने के लिए भारत में भी ऐसी टेक कंपनियां खड़ी करेंगे। साथ ही भारतीय प्रवासी अपने ज्ञान व कौशल की शक्ति से भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय समाज को आगे बढ़ाने में भी अपना अमूल्य योगदान देते रहेंगे।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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