अब बैसाखी को दर्शन देंगे भगवान कार्तिक स्वामी

By: Dec 1st, 2021 12:05 am

कुगती मंदिर के कपाट बंद, अंतिम दिन दर्शनों के लिए खूब उमड़ा आस्था का सैलाब

कार्यालय संवाददाता—भरमौर

पढऩे में बेशक यह अटपटा लगे, लेकिन यह 100 फीसदी सच है कि यहां पर 133 दिनों के बाद कलश में रखे गए जल को देखकर वर्षभर के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा। गर्भगृह में रखे कलश के भीतर जल की मात्रा को देख कर यहां पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा। अगर कलश में पानी की मात्रा बेहद कम या सूखा रहता है, तो माना जाता है कि वर्ष में सूखे की स्थिति का यहां पर सामना करना पड़ेगा। वहीं, कलश में जितना अधिक जल होगा, उतनी ही बारिश वर्ष में यहां पर होगी। जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती के प्राचीन भगवान कार्तिक स्वामी को लेकर यहीं मान्यता है। मंगलवार को विधिवत रूप से पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट 12 अप्रैल तक के लिए बंद हो गए है।

13 अप्रैल यानी बैशाखी पर्व पर पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती में स्थित प्राचीन कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट मंगलवार से आगामी 133 दिनों के लिए बंद हो गए। 134वें दिन यानी बैसाखी को विधिवत रूप से पूजा-अर्चना होगी और बाद में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। मान्यता है कि देवभूमि पर प्रकृति बर्फ की चादर ओढ कर सुप्त अवस्था में चली जाती है और देवता स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान कर जाते है। इस अवधि के बीच मंदिर की तरफ रुख करने वालों के साथ अनहोनी की आशंका रहती है।

सदियों से निभाई जा रही परंपरा

कार्तिक स्वामी मंदिर के पुजारी मचलू राम का कहना है कि मंदिर बंद हो गया है। अब बैसाखी पर्व पर मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद खुलेंगे। उनका कहना है कि सदियों से इस परंपरा का यहां पर निर्वाहन किया जा रहा है। 30 नबंवर को मंदिर के कपाट बंद होने से ठीक पहले कुगती मंदिर में कार्तिक स्वामी के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ सोमवार शाम से ही जुटना आरंभ हो गई थी। मंगलवार को भारी तादाद में श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने से पहले मंदिर में दर्शन किए।

मणिमहेश से पहले कार्तिक मंदिर में हाजिरी

उतरी भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के तहत लाहुल-स्पीति से आने वाले शिवभक्तों का कुगती एक अहम पड़ाव रहता है। इसको लेकर भी एक मान्यता है कि जो यात्री मणिमहेश यात्रा के दौरान सबसे पहले कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करते हैं उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता।


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