सेना और वर्दी-2

सेना में नई वर्दी की बात तो चल रही है, पर यह मात्र कम्बैट या चितकबरी वर्दी को बदला जा रहा है, इसके अलावा भी सेना में अन्य आठ किस्म की वर्दियां पहनी जाती हैं। यह तो जाहिर है कि एक सैनिक और सिविलयन में जो फर्क आम देखा जा सकता है वह उनका हेयर कट, कपड़े पहनने का तरीका और उनका व्यवहार। भारतीय सेना एक ऐसी संस्था है, जिसका हर नुमाइंदा एक पोटैंशल लीडर होता है और यह उसके व्यवहार और कपड़े पहनने के तरीके से साफ झलकता है। सैनिक की यूनिफार्म पहनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और यूनिफॉर्म को पहनने का सम्मान और गर्व मात्र सैनिक को ही प्राप्त होता है, न कि किसी और को। किसी भी जगह पर चल रहे समारोह में अगर कोई सैनिक वर्दी पहनकर पहुंचता है तो दिल में खुद ब खुद उसके लिए सम्मान जाग उठता है। भारतीय सेना में अलग-अलग मौकों के लिए 8 तरह के यूनिफॉर्म पहने जाते हैं, जिनमें जनरल ड्यूटी ड्रेस जिसे सैनिक ज्यादातर समय पहनता है, यह हरे रंग की होती है। सर्दियों में इसे ड्रेस 5 एस डीए जिसे अंगोला शर्ट और हरी जर्सी स्वेटर के साथ पहना जाता है, यह वर्दी पहले खाकी होती थी जिसे कुछ समय पहले पाकिस्तानी सेना की वर्दी से अलग करने के लिए हरा किया गया। दूसरी तरह की ड्रेस ब्लू पेट्रोल जो अधिकारियों के लिए सर्दियों के दिनों की सरिमोनियल या मैस ड्रेस होती है। मैस के लिए एक और वर्दी सर्दियों में सिक्सअल्फा और गर्मियों के लिए सिक्स बरैबो जिसे पहनकर सैनिक मैस में होने वाले सिरमोनियल समारोह में उपस्थित होते हैं। इसके अलावा सिरमोनियल ड्रेस जिसे गार्ड ऑफ ऑनर, रीथ लेइंग और सैन्य समारोहों में पहना जाता है।

इस यूनिफार्म के साथ मेडल्स, क्रॉस बेल्ट एनेक स्कार्फ , कमरबंद तथा डेकोरेशन आदि पहने जाते हैं। नंबर पांच चितकबरा जिसको अभी बदलने की बात चल रही है। इसको जंगल ड्रेस भी कहा जाता है। इस यूनिफार्म को लड़ाई, एक्सरसाइज तथा अन्य कामों के लिए पहना जाता है। इसके अलावा सेना में काली वर्दी जो कि एनएसजी कमांडो और आरमड कोर के सैनिकों द्वारा पहनी जाती है। डांगरी जिसमे पेंट और शर्ट एक साथ ही जुड़ा होता है, यह एक तरह की वर्दी है जिसे आरमड कोर और एयर वोर्न ट्रुप पहनते हैं। एक सैनिक की अगर दिनचर्या को देखें तो वह सुबह 5.00 बजे पीटी ड्रेस में जाता है। ब्रेकफास्ट के बाद जनरल ड्यूटी हरी ड्रेस में, दोपहर के बाद शाम की गेम्स ड्रेस में और रात को मैस में फंक्शन के हिसाब से मैस ड्रेस में जाता है। यह सैनिक की दिनचर्या की आम तथा रूटीन में बदली जाने वाली वर्दियां हैं। और हर सैनिक इस दिनचर्या को बड़े सम्मान के साथ जीता है। सैन्य वर्दी हर कोई नहीं पहन सकता। इसे सेना का जवान ही पहन सकता है। जब हम सेना के जवान को वर्दी पहने देखते हैं, तो लोगों में एक जोश पैदा होता है तथा देश के प्रति भावनाएं जाग उठती हैं। इसी कारण सैन्य वर्दी का सेना में अहम रोल माना जाता है। तभी तो सैन्य वर्दी का रंग कैसा हो, इस पर निर्णय लेना एक अहम जिम्मेदारी है। वर्दी के प्रति सम्मान की भावना हर भारतीय में होनी चाहिए।

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक


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