अब भाड़ में जाए मेरा दिल

By: Jan 19th, 2022 12:05 am

इधर जबसे मुझे अपने खासमखास सूत्रों से पता चला कि अमेरिका के डॉक्टरों ने बड़ा कारनामा करते हुए मरे दिलवाले के मरे दिल की जगह सूअर का दिल लगा उसे एक बार फिर दिलवाला बना दिया है, तबसे मैंने भी अपने दिल की बची खुची परवाह करनी छोड़ दी है। इस खबर का पता चलने के बाद मैं भी अपने सूअर का दिल ट्रांसप्लांट कराने को बहुत एक्साइटेड हूं। मित्रो! आज तक अपने से अधिक इस हार्ट की ही परवाह की। ये न करो, दिल टूट जाएगा! वो न करो, दिल टूट जाएगा। बस, हमेशा इसी डर में जीता रहा। चाहकर भी कहीं कुछ ऐसा वैसा नहीं कर पाया जिससे यह प्राब्लम में आए। इसको बचाए रखने की वजह से मैं ही बहुधा प्राब्लम में आया। इसकी वजह से प्यार के दिनों में किसी से प्यार न किया। इसलिए कि मैं टूट जाऊं तो टूट जाऊं, पर मेरा ये दिल न टूटे। बड़ा बनता था अपने को बदतमीज ये दिल! नाजुक इतना कि…कहीं कुछ करने लगता ही था कि मुझे सावधान करते कहता, ‘भैये! जो भी करना, सोच समझ कर करना। जोश में आकर कहीं ऐसा वैसा कुछ मत करना जिससे मैं कल को टूट जाऊं। फिर घूमते रहना छाती में पेसमेकर लगवाए।’ जब देखो, कदम कदम पर डराता रहता था कि जो वह मेरी गलती से धड़कना बंद हो गया तो मेरी छुट्टी हो जाएगी। अब कर ले बच्चे! मेरा जो करना।

 अब तो मैं ही तुझे बंद करके न रखूं तो मेरा नाम भी…जब तू फेल हो जाएगा और तेरी जगह मेरे सूअर का दिल लग जाएगा तो कम से कम तेरी तरह वह डराएगा तो नहीं। आदमी का दिल सीने में उठा मैंने आज तक आखिर कौन सा तीर मार लिया? हे मेरे दिल! अब मुझे तेरा विकल्प मिल गया। अब शेष  जिंदगी संकल्प पर नहीं, विकल्प पर जिऊंगा। सोच रहा हूं, क्यों न अब मैं भी इस दिल की जबरदस्ती छुट्टी कर अपने भी सूअर का दिल लगवा ही लूं। आदमी का दिल लगाकर बहुत जी लिया दोस्तो। जब भी तोड़ा, आदमी के दिल ने ही मेरे दिल को तोड़ा। तब देखूंगा, कौन मेरे सूअरी दिल को तोड़ेगा? बस, अब एक ही प्रॉब्लम बची है, और वह है- जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर की।

 वैसे अपने यहां जेनेटिकली मॉडिफाइड तो छोड़़ो, अभी तक आदमी भी ठीक ढंग से मॉडिफाइड भी नहीं हो पाया है। जेनेटिकली मॉडिफाइड और मॉडिफाइड में कितना सा फर्क होता होगा भाई साहब? उन्नीस बीस का होगा तो तो कोई बात नहीं। पर फिर भी…अपनी इसी शंका निदान के लिए मैं नंगे पांव ही दौड़ा दौड़ा अपने हर किस्म की शंका निदानी मित्र के पहुंचा तो उसने पहले की तरह मुझे बिना चीनी की चाय के बदले अबके चाशनी वाली चाय बनाई तो मैं चौंका, ‘बंधु! ये क्या? मुझे अपने ही घर में मीठा पिलाकर मारने का इरादा है क्या?’ ‘अब मरे तेरे दुश्मन! दोस्त! अब डरने की कतई बात नहीं। जो खाना मजे से खा। छोड़ परे अब परांठे शरांठे खाने का डर। जो करना, दिल को मारकर कर।’ ‘मतलब?’ ‘अब आदमियों के फेल दिल की जगह सूअरों के दिल लगने लगे हैं’, कहते कहते उसने मेरी चाय में एक चमच चीनी और डाली तो मेरे हाथ पांव कांपे। ‘पर यार! एक प्रॉब्लम है।’ मैंने अपनी शंका एक बार फिर घुमा फिराकर उसके सामने रखी। ‘क्या?’ ‘जिस सूअर का दिल वहां आदमी के ट्रांसप्लांट हुआ है वह हमारे जैसे सूअरों का दिल नहीं, जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का दिल है।’ ‘अरे! तो क्या हो गया! अपने यहां जब जेनेटिकली मॉडिफाइड बंदे ही नहीं तो उन्हें जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर के दिल की क्या जरूरत? जब आदमी देसी है तो उसके दिल भी देसी सूअर का ही फिट होगा न!’ उन्होंने अपनी छाती पीटते कहा तो मेरी नाइंटी नाइन प्वाइंट नाइन प्रतिशत दुविधा तत्काल दूर हो गई।

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com


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