हिमाचल की नई खेल नीति

By: Jan 21st, 2022 12:06 am

हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं। खेलो इंडिया, गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमी खोलनी होगी। इन प्रशिक्षण केन्द्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करना चाहिए…

पिछले चार सालों से हिमाचल प्रदेश में खेल नीति को नया स्वरूप देने की बात चल रही थी। अभी  हाल ही में  बीते सप्ताह इस नीति को मंत्रिमंडल की बैठक में कानूनी जामा पहनाया गया है।  हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए विश्व स्तरीय खेल ढांचा तो बन कर तैयार हो चुका है, मगर प्रशिक्षकों व अन्य सुविधाओं के अभाव में वहां पर उस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ नहीं हो पाया है। हिमाचल प्रदेश में अभी तक भी खेल संस्कृति का अभाव साफ देखा जा सकता है। प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल सरकार में बनी खेल नीति में हिमाचल के खिलाडि़यों को सरकारी नौकरी में तीन प्रतिशत आरक्षण बहुत बड़ी सौगात है। अब दो दशक बाद विभिन्न पहलुओं के ऊपर चर्चा कर बनी नई खेल नीति में खिलाडि़यों के प्रशिक्षण पर बल दिया गया है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक विजेता खिलाडि़यों की नगद ईनामी राशि को सम्मानजनक स्तर तक बढ़ाना बहुत अच्छा कदम है। केन्द्र व केरल सरकार की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में पहली बार पदक विजेता खिलाडि़यों के प्रशिक्षकों को भी नगद ईनामी राशि देने की बात की गई है।

 हिमाचल प्रदेश सरकार के खेल मंत्री राकेश पठानिया की अध्यक्षता में धर्मशाला के मिनी सचिवालय में नई खेल नीति के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके खिलाडि़यों, प्रशिक्षकों व खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ एक मैराथन बैठक हुई। इस बैठक में खेल उत्थान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई । इसके बाद भी खेल मंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर विभिन्न खेल संघों से मिल कर लंबी चर्चा कर नई खेल नीति के लिए व्यावहारिक पहलुओं तक जाने की सोची थी, मगर कोरोना के दोबारा कहर से वह सब नहीं हो पा रहा था। इसके बाद अब खेल विभाग के अधिकारी व खेल के जानकार खेल नीति को नए स्वरूप तक ले जाने के लिए संघर्षशील हो गए और देर बाद ही सही हिमाचल प्रदेश को अब नई खेल नीति मिल गई है। खेलों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो, इससे जब हजारों विद्यार्थी फिटनेस कार्यक्रम से गुजरेंगे तो उनमें कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। खिलाडि़यों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन  के लिए राज्य में अधिक से अधिक खेल अकादमियां व शिक्षा संस्थानों में खेल विंग, स्थान की सुविधा व प्रतिभा को देखते हुए सरकारी व खेल संघों के माध्यम से खोलने को कही गई है। अवार्डी व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाडि़यों को पेंशन योजना का भी प्रावधान किया गया है।

 नई खेल नीति में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण व प्रतियोगिता के लिए विशेष अवकाश की बात है।  खेलों के लिए प्रेरित कर खेल मैदान तक ले जाने के लिए  विद्यार्थियों को स्कूल व कालेज स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात भी इस नई खेल नीति में कही गई है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद भी अभी तक सुधरा नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों के बल पर कभी-कभी अच्छे परिणाम देने वाला हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं।  खेलो इंडिया, गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमी खोलनी होगी। इन प्रशिक्षण केन्द्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करना चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश की संतानों को भी हिमाचल प्रदेश में रह कर ही वह प्रशिक्षण सुविधा मिल सके।

 आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे तो उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान की तर्ज़ पर अपना राज्य क्रीड़ा संस्थान हो। वहां पर हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगें तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों व पूर्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों के लिए सेमिनार व कम अवधि के प्रशिक्षक बनने के कोर्सेज हों। साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हौ जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट प्रदर्शन किए जा सकें। यह सब अब तभी संभव है जब सरकार बजट में प्रावधान करे। यह खेल नीति खिलाड़ी व प्रशिक्षक के इर्द-गिर्द है। अगर कागज से उतार कर इसे धरातल पर लाया जाता है तो विश्व स्तर के परिणाम जरूर आएंगे। देखते हैं साल से भी कम बचे समय में सरकार नई खेल नीति को कितना लागू करवा पाती है। हिमाचल प्रदेश में खेल संस्कृति के लिए यह खेल नीति मील का पत्थर साबित हो, यही कामना करते हैं।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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