निरोगी काया के लिए सरकार के संकल्प

एमबीबीएस में हिमाचल में 850 विद्यार्थियों को दाखिला प्रति वर्ष मिल रहा है। वहीं आयुर्वेद पंचकर्मा को लेकर प्रदेश सरकार बड़ी योजना लेकर आई है। कोविड काल के दौरान हिमाचल सरकार के आयुर्वेदिक काढ़े को सब जगह सराहना मिली है। कुल मिला कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने, संवारने, सुसज्जित करने में  जयराम सरकार ने साहस दिखाते हुए श्रम किया है। इसके परिणाम जल्द ही सबके सामने होंगे…

हिमाचल सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करते हुए सुविधाएं प्रदान करने एवं सुधार करने में सर्वोत्तम कार्य किए हैं। इसे पहले चली आ रही व्यवस्था से बेहतर माना जा सकता है। पिछले दो वर्षों से पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। यह परिस्थितियां अपने आप में अत्यंत कठिन थी। एक ओर जनता के अमूल्य जीवन को बचाने की चुनौती थी, दूसरी ओर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं- डॉक्टर्स, नर्सेस, पैरा मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारियों के मनोबल को बनाए रखना भी एक महत्त्वपूर्ण काम था। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में जिस प्रकार से महामारी के खिलाफ प्रदेश के हर वर्ग ने लड़ाई लड़ी, वो ऐतिहासिक है। यह लड़ाई बहुत कठिन थी। दुश्मन अदृश्य था। एक ओर बहुमूल्य जीवन बचाने की चुनौती थी तो दूसरी ओर जीवन को संवारने की अत्यंत कठिन परीक्षा थी। लॉकडाउन के कारण नौकरी छूट रही थी तो घर में रह कर कई प्रकार के दबाव मनुष्य झेल रहा था।

 स्वास्थ्य सेवाएं नई बीमारी के लिए रत्ती भर भी माकूल नहीं थी। मार्च 2020 में कोरोना की टेस्ट की एक भी लैब नहीं थी। टेस्ट की रिपोर्ट आने में 10 दिन लगते थे, लेकिन जिन विकट परिस्थितियों में प्रदेश सरकार ने काम संभाला, वो मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति को ही दर्शाता है। नई लैब रिकॉर्ड समय में बनाना, नए हॉस्पिटल बनाना, जो भी वैज्ञानिकों ने बताया वही प्रदेश में लागू किया, ऑक्सीजन प्लांट 2 से 43 करना आसान नहीं था। पूरे विश्व में जहां ऑक्सीजन की कमी की खबरें आईं, परंतु हिमाचल में ऑक्सीजन की कमी बिल्कुल नहीं रही। यहां तक कि बाहर रहने वाले हिमाचल के लोग भी इलाज करवाने हिमाचल में आए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस चुनौती को सेनापति की तरह स्वीकार कर खुद आगे रह कर लड़ा। आज जब दो वर्ष बाद बंदिशें हटाई जा रही हैं तो उसके पीछे वैक्सीनेशन में प्रदेश के अव्वल आने की गाथा भी एक है। प्रदेश में रिकॉर्ड समय में चार नए सर्व सुविधा सम्पन्न हॉस्पिटल बना कर जयराम ठाकुर ने अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया है। केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जगत प्रकाश नड्डा और अनुराग ठाकुर के खुले दिल के सहयोग से जयराम ठाकुर का नाम अब कोविड से लड़ने में विश्व के अग्रणी नेताओं की श्रेणी में आ गया है। पिछले चार वर्षों में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम से मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक में काम करना शुरू हुई है, वहीं बिलासपुर में जगत प्रकाश नड्डा के गंभीर प्रयासों और प्रदेश सरकार के त्वरित निर्णयों से एम्स जैसा संस्थान कार्य करना शुरू हो गया है। प्रदेश के चंबा, हमीरपुर और नाहन मेडिकल कालेजों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने अभी इन संस्थानों का मौके पर निरीक्षण कर अगस्त 2022 तक भवन निर्माण पूरा करने के आदेश दिए है। इसके साथ 553 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 20 शहरी  प्राथमिक  स्वास्थ्य केंद्रों, 1573 स्वास्थ्य उप केंद्रों को स्तरोन्नत करके हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर बना दिया गया है। 2022 के अंत तक सभी स्वास्थ्य उप केंद्रों को हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में परिवर्तित कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत हिमाचल प्रदेश ने निर्धारित समय अवधि से पहले लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है, जो कि पूरे देश को दिशा देने का काम कर रहा है। सात नई सीबीएनएएटी मशीनें खरीदी गईं, जिसके परिणामस्वरूप एमडीआर टीबी परीक्षण में 92 फीसदी तक की वृद्धि हुई जो देश में सबसे अधिक है। मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के तहत सभी एमडीआर टीबी रोगियों को 1500 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

 बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं  के तहत  2021-22 के दौरान प्रोत्साहन राशि को 2000 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर  2750 रुपए कर दिया गया है। राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में जीवन धारा कार्यक्रम के तहत कैंसर की जांच एवं रक्त जांच की निःशुल्क परामर्श के अलावा सुविधा प्रदान की जा रही है। प्रदेश में वर्तमान में 15 डायलिसिस यूनिट कार्यरत हैं जिसके अंतर्गत दिसंबर 2021 तक 13992 रोगियों पर 191857 बार डायलिसिस  किए जा चुके हैं। प्रदेश के 10 स्थानों पर उपशामक देखभाल सुविधा शुरू की गई है और नवंबर 2021 तक गंभीर बीमारी से पीडि़त 1771 रोगी लाभान्वित हो चुके हैं। टेलीस्ट्रोक कार्यक्रम के तहत लकवा के रोगियों के लिए मुफ्त इंजेक्शन (चार घंटे के भीतर) का प्रावधान है। यह इंजेक्शन 595 रोगियों को दिया गया है। प्रत्येक इंजेक्शन की लागत 40000 रुपए तक है। टेलीस्ट्रोक कार्यक्रम के तहत दिसंबर 2021 तक 52 रोगियों का थ्रोम्बोलिसिस मुफ्त किया जा चुका है। इसमें भी प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 40000 रुपए तक है। कैंसर देखभाल कार्यक्रम के तहत कीमोथेरेपी के लिए 10 सिविल अस्पतालों की पहचान की गई है और 2021-22 के दौरान 31.12.2021 तक कुल 4649 कीमोथेरेपी दी गई है। जनजातीय क्षेत्र में टेलीमेडिसिन सुविधा का कार्यक्रम सफल साबित हुआ है और जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में स्वास्थ्य सुविधा और परामर्श की सुविधा का लाभ उठाया है।

 बिलासपुर के एम्स में ओपीडी के बाद मई से इंडोर मरीजों की भर्ती शुरू करने की तैयारियां पूरी हो रही हैं। ऊना में पीजीआई का सेंटर खोलने के लिए युद्ध स्तर की तैयारियों ने जोर पकड़ा है। आईजीएमसी शिमला, टांडा  के साथ चंबा, हमीरपुर, नाहन और नेरचौक में लोगों का विश्वास बढ़ा है। अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक में शुरू होने के बाद सुपर स्पेशलिटी कोर्स हिमाचल में शुरू होने के प्रयास हुए हैं। एमबीबीएस में हिमाचल में 850 विद्यार्थियों को दाखिला प्रति वर्ष मिल रहा है। वहीं आयुर्वेद पंचकर्मा को लेकर प्रदेश सरकार बड़ी योजना लेकर आई है। कोविड काल के दौरान हिमाचल सरकार के आयुर्वेदिक काढ़े को सब जगह सराहना मिली है। कुल मिला कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने, संवारने, सुसज्जित करने में  जयराम सरकार ने साहस दिखाते हुए श्रम किया है। इसके परिणाम जल्द ही सबके सामने होंगे।

त्रिलोक कपूर

वरिष्ठ भाजपा नेता


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