कृषि को मजबूती देने का परिदृश्य

निःसंदेह कृषि विकास और किसानों को खुशियां देने वाली इन संभावनाओं को साकार करने के लिए जरूरी होगा कि एक अप्रैल से नए बजट के लागू होने के बाद कृषि एवं किसानों के हितों संबंधी बजट प्रावधानों के क्रियान्वयन पक्ष पर अधिकतम ध्यान दिया जाए। प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सीड टेक्नोलॉजी के अपनाने पर आगे बढ़ना होगा…

हाल ही में 8 फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पृथक कृषि बजट लाने के सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि आगामी वर्ष 2022-23 का बजट देश के किसानों और खेती के लिए प्रतिबद्धता दिखा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत किए गए दूरदर्शी रणनीतिक बजट में कृषि और किसान हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। जब हम आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के बजट की तस्वीर को देखते हैं तो पाते हैं कि इस बजट में कृषि की विकास दर बढ़ाने, कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन दिया गया है। कृषि और कृषक कल्याण योजनाओं का कुल बजट इस बार 1.24 लाख करोड़ रुपए रखा गया है जो पिछले बजट की तुलना में करीब छह हजार करोड़ ज्यादा है। नए बजट के तहत किसानों को कम समय के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए 19500 करोड़ रुपए का आवंटन सुनिश्चित किया गया है। निःसंदेह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसानों की चिंता को कम करने की कोशिश नए बजट में की गई है। एमएसपी पर खरीददारी का लक्ष्य 2.37 लाख करोड़ रुपए रखा गया है। सरकारी फसल खरीद की ये रकम सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी। नए बजट में प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के मद्देनजर पहले चरण में गंगा के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर में किसानों की भूमि पर मुख्य रूप से ध्यान देने के साथ ही पूरे देश में इसे आगे बढ़ाया जाएगा। किसानों की सबसे अधिक लागत हाईब्रिड बीज और रासायनिक खादों व कीटनाशकों के उपयोग पर आती है। अतएव प्राकृतिक खेती से छोटे किसानों को लाभ होगा। चूंकि मोनोक्रॉपिंग खेती से भूजल संकट बढ़ता जा रहा है, अतएव नए बजट से किसानों को मोटे अनाज पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे मानव स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे। मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज (मिलेट्स) वर्ष घोषित किया गया है।

वित्तमंत्री सीतारमण ने आगामी बजट में कृषि के डिजिटलीकरण के लिए 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। किसानों और कृषि संबंधी सूचनाओं को बेहतर आदान-प्रदान के लिए कृषि सूचना प्रणाली और सूचना प्रौद्योगिकी तथा राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना को सुदृढ़ और प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि को हाईटेक बनाने के लिए आधुनिक आईटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग, रोबोटिक्स आदि के उपयोग को शामिल किया जाएगा। किसानों को बेहतर तकनीक उपलब्ध कराने के साथ ही भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव में ड्रोन तकनीक मदद करेंगे। खेती में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड नई योजनाएं लाएगा, जिसके जरिए नई मशीनों और उपकरणों के स्टार्टअप शुरू किए जा सकेंगे। किसानों को भी आसानी से ये उपकरण उनके घर के आसपास उपलब्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 के बजट में स्वामित्व योजना को तेजी से आगे बढ़ाने की बात कही गई है। स्वामित्व योजना का शुभारंभ अक्तूबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया था। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री कमल पटेल के द्वारा वर्ष 2008 में उनके राजस्व मंत्री रहते तैयार की गई मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार योजना के तहत जिले के दो गांवों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में भूखंडों के मालिकाना हक के पट्टे ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से किसानों को सौंपे गए थे। इन गांवों में किसानों की गैर कृषि आय तेजी से बढ़ती जा रही है।

 ऐसे में नए बजट से स्वामित्व योजना को अधिक तेजी से लागू करके किसानों के लिए खेती की विभिन्न ऋण जरूरतों को सरलता से पूरा करने और किसानों की गैर कृषि आय बढ़ाने का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत बनाया गया है। किसानों की गैर कृषि आय बढ़ाने के लिए पशुधन विकास, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों को बड़े प्रोत्साहन सुनिश्चित किए गए हैं। खाद्य प्रसंस्कृत क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाने के नए प्रावधान किए गए हैं। फसल बीमा के लिए 15500 करोड़ रुपए और उर्वरक सबसिडी के लिए 105222 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यद्यपि किसान सम्मान निधि के तहत सालाना सम्मान निधि 6000 रुपए ही रहेगी, लेकिन इस मद पर बजट राशि तीन हजार करोड़ रुपए बढ़ाई गई है। निःसंदेह नए बजट के माध्यम से अमृत काल में, भारत के द्वारा उच्च कृषि विकास के साथ-साथ समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाना सुनिश्चित की गई है। कृषि में आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालने और उन्हें बेहतर जीवन-शैली की ओर ले जाने की क्षमता निर्माण हेतु भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम क्षेत्रों के किसानों को भी नए साधन उपलब्ध कराने, जल संरक्षण और नदियों को जोड़ने के माध्यम से भूमि के एक बड़े हिस्से को सिंचाई के दायरे में लाने तथा सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को प्रोत्साहित करने की रणनीति भी नए बजट में है। नए बजट में फसल अवशेष प्रबंधन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इससे प्रदूषण कम होगा और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए 46 जिला क्लस्टरों की पहचान की गई है।

 अनुमान है कि आगामी वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात 50 अरब डॉलर मूल्य से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच सकता है। निःसंदेह कृषि विकास और किसानों को खुशियां देने वाली इन संभावनाओं को साकार करने के लिए जरूरी होगा कि एक अप्रैल से नए बजट के लागू होने के बाद कृषि एवं किसानों के हितों संबंधी बजट प्रावधानों के क्रियान्वयन पक्ष पर अधिकतम ध्यान दिया जाए। प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सीड टेक्नोलॉजी के अपनाने पर आगे बढ़ना होगा। बिना बेहतर बीज के प्राकृतिक खेती बहुत मुश्किल होगी। नए बजट के प्रावधानों के तहत खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के साथ-साथ तिलहन के अधिकतम उत्पादन पर फोकस करना होगा। भंडारण सुविधा बढ़ाना होगी। बाजार में फर्टिलाइजर की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सरकार के द्वारा फर्टिलाइजर की पर्याप्त पूर्ति सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई जानी होगी। प्राकृतिक कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडी) के द्वारा निर्यात मानक विकसित किए जाने होंगे। हम उम्मीद कर सकते हैं कि वर्ष 2022-23 के बजट से कृषि क्षेत्र आगे बढ़ेगा और देश के करीब 14 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही कृषिगत उत्पादन बढ़ने से कृषि आधारित उद्योग आगे बढें़गे। हाईटेक खेती के कारण ग्रामीण युवाओं का रुझान खेती की ओर बढ़ेगा। इससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। हम उम्मीद करें कि नए बजट से देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में खेती का योगदान बढ़ेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील करने में कृषि क्षेत्र अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगा।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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