प्रदेश में निवेश संभावनाओं का विश्लेषण

प्राकृतिक गैस पाइप लाइन की उपलब्धता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र व कुछ अन्य औद्योगिक क्लस्टर्स में उपलब्ध है। बड़े उद्योगों को आकर्षित करने के लिए उनकी आवश्यकता व पसंद के आधार पर ‘‘कस्टमाइज्ड पैकेज’’ की घोषणा भी सरकार द्वारा की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य ‘‘एक पावर सरप्लस’’ राज्य के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। कानून व्यवस्था के रूप में भी पूरे देश में इसका एक बहुत सम्मानजनक स्थान है, जहां अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत कम अपराध होते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी नाममात्र की सुरक्षा के साथ चलते हैं, जो कि दूसरे राज्यों के लिए अनुकरणीय है। भ्रष्टाचार की दृष्टि से भी प्रदेश की गणना सबसे कम भ्रष्ट राज्यों की श्रेणी में होती है…

आज देश में राज्यों सरकारों के लिए निवेश आकर्षित करना एक प्राथमिकता बन गई है। अपने प्रदेश की क्षमताओं और निवेश संभावनाओं के बारे में निवेशकों को अवगत करवाने के लिए आए दिन निवेशक सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। हिमाचल भी इसमें पीछे नहीं है। गत वर्षों में विदेशों से लेकर देश व प्रदेश में निवेश लाने के लिए कई आयोजन व रोड़-शो किए गए, जिनके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। परंतु निवेश करने  से पूर्व निवेशक इस बात के प्रति आश्वस्त होना चाहता है कि जहां वो अपना पैसा लगा रहा है, क्या वह फलीभूत होगा भी कि नहीं। उस प्रदेश व स्थान की क्षमताओं,  कमियों तथा वहां उपलब्ध अवसरों की पूरी छानबीन करने के पश्चात ही उद्यमी वहां अपना उद्यम लगाने के लिए तैयार होता है। आइए! पहले हिमाचल में उपलब्ध क्षमताओं के बारे में संक्षिप्त में जान लें। आज राज्य की आर्थिकी का आकार लगभग 1.56 लाख करोड़  रुपए है। प्रति व्यक्ति आय 1.83 लाख प्रति वर्ष (वित्तीय वर्ष 2021-22 के आधार पर) है। औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र का राज्य की आर्थिकी में 30 प्रतिशत का योगदान है। व्यापार में सुगमता के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए राज्य के रूप में पूरे देश में  इसका 7वां स्थान है। मानव विकास सूचकांक में इसका तीसरा व उत्तरी राज्यों में पहला स्थान है। समावेशी विकास लक्ष्यों में यह दूसरे स्थान पर है व नवाचार सूचकांक 2020 के आकलन में हिमाचल को पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। आज प्रदेश एशिया का ‘‘फार्मा हब’’ बनकर उभरा है। 25 से भी अधिक विश्वस्तरीय औद्योगिक घरानों ने यहां अपने प्रतिष्ठान खोल रखे हैं। 66 सरकारी औद्योगिक क्षेत्र व औद्योगिक बस्तियां प्रदेश में विकसित हैं, जहां कई छोटे-बड़े उद्योग कार्य कर रहे हैं।

नए औद्योगक क्षेत्रों के विकास के लिए लगभग 3700 एकड़ भूमि उद्योग विभाग के पास उपलब्ध है तथा जिला ऊना, सोलन, कांगड़ा, मंडी तथा हमीरपुर में पिछले 4 वर्षों में 6 नए औद्योगिक क्षेत्र अधिसूचित किए गए हैं। प्राकृतिक गैस पाईप लाइन की उपलब्धता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र व कुछ अन्य औद्योगिक क्लस्टर्स में उपलब्ध है। बड़े उद्योगों को आकर्षित करने के लिए उनकी आवश्यकता व पसंद के आधार पर ‘‘कस्टमाइज्ड पैकेज’’ की घोषणा भी सरकार द्वारा की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य ‘‘एक पावर सरप्लस’’ राज्य के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। कानून व्यवस्था के रूप में भी पूरे देश में इसका एक बहुत सम्मानजनक स्थान है, जहां अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत कम अपराध होते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी नाममात्र की सुरक्षा के साथ चलते हैं, जो कि दूसरे राज्यों के लिए अनुकरणीय है। भ्रष्टाचार की दृष्टि से भी प्रदेश की गणना सबसे कम भ्रष्ट राज्यों की श्रेणी में होती है। एक आम उद्यमी की भी प्रशासन तक सहज पहंुच है। यहां का वातावरण स्वच्छ व स्वास्थ्यवर्धक है तथा प्रदेश आने वाले समय में हरित ऊर्जा पर आधारित आर्थिकी की ओर बढ़ने को कृतसंकल्प है, जिसके बारे में गत दिनांक 15 व 16 मार्च को प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ विश्व बैंक के वाइस चेयरमैन व उनके साथ आए विषेशज्ञों की गहन मंत्रणा हुई। जहां हमने उपरोक्त शक्ति बिंदुओं का उल्लेख किया है, वहां इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अभी भी प्रदेश के समक्ष अन्य मैदानी व बड़े राज्यों के मुकाबले निवेश आकर्षित करने के रास्ते में कई चुनौतियां हैं जैसे पहाड़ी राज्य होने के कारण बड़े भूखंडों व ज़मीन की सहज मंे उपलब्धता न हो पाना, तैयार माल के लिए बाज़ार तक सहज पहंुच का न बन पाना व समुचित कनैक्टेविटी का अभाव ऐसे मुद्दे हैं जो कि निवेश के रास्तें में रोड़ा बने हैं।

 प्रदेश से बाहर के उद्यमी को यहां पहंुचने के लिए श्रम करना पड़ता है। माल की आवाजाही के लिए अभी भी आवश्यक रेल नेटवर्क विकसित नहीं हो पाया है। परंतु इस बार केन्द्रीय बजट में 2653 करोड़ रुपए का प्रावधान भानुपल्ली-बिलासपुर, नंगल-तलवाड़ा तथा चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइनों के लिए किया गया है। आशा की जानी चाहिए कि ये रेलवे लाइनें शीघ्र पूर्ण हों। प्रदेश में कई राजमार्गों के चौड़ीकरण का कार्य वर्तमान में जारी है, जिसके पूरा होने पर भी कनैक्टेविटी में सुधार होगा। हवाई सेवाओं की नियमित उड़ानें करवाने से भी प्रदेश की कनैक्टेविटी की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। अभी ज्यादातर यह मौसम पर निर्भर रहती हैं। पड़ोसी राज्यों की सीमा के साथ लगते क्षेत्रों में ही अधिक औद्योगिक निवेश हुआ है। परंतु वहां भी गाहे-बगाहे अपने माल की ढुलाई के लिए ट्रक यूनियनों से उलझना पड़ता है। यह भी एक चिंता का विषय है। इस पूरे विश्लेषण से यह बात तो स्पष्ट है कि नकारात्मक बिंदुओं के मुकाबले प्रदेश में निवेश के लिए आज एक सकारात्मक वातावरण उपलब्ध है। कमियों को दूर करने का प्रयास हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में फलीभूत हुआ निवेश इस बात का द्योतक है कि निवेशक ने इन कमियों के बावजूद हिमाचल को अन्य राज्यों के मुकाबले अपनी निवेश स्थली चुना है, जो कि प्रदेश में भविष्य के निवेश के लिए एक अच्छा संकेत है।

संजय शर्मा

लेखक शिमला से हैं


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