अपराधों का शिकार होते हिमाचली बच्चे

यह हत्यारे की व्यक्तिगत मानसिक विकृति है। सामाजिक रूप से बेटियों पर इस तरह के अत्याचार हमें सोचने पर मजबूर करते हैं। यह घटना बच्चों, युवतियों तथा महिलाओं की सुरक्षा में खतरे का संकेत है। ऐसे अपराधों में बालिकाओं को सचेत रहने के लिए जागरूक करना चाहिए…

रोजी-रोटी, व्यापार, कारोबार तथा मेहनत-मजदूरी तथा अनेक उद्योगों में आजीविका कमाने के लिए विभिन्न राज्यों के  बहुत से प्रवासी हिमाचल प्रदेश का रुख करते हैं। इनमें लकड़ी का काम, मिट्टी की खुदाई, सीमेंट का काम, शीशे की कटाई, नक्काशी, मार्बल, टाईल्स, सिलाई-कढ़ाई, कपड़े का व्यापार करने वाले मुख्य हैं। हिमाचल प्रदेश में कार्य करने वाले इन प्रवासियों में वैसे तो पूरे देश भर से लोग आते हैं, परंतु उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर से मुख्य हैं। ये प्रवासी प्रदेश के मुख्य शहरों, नगरों तथा कस्बों में तो कार्य कर ही रहे हैं, परंतु वर्तमान में प्रदेश के हर गांव, गली-मुहल्ले तथा जनजातीय तथा दूरदराज के क्षेत्रों में भी फैल चुके हैं। ये लोग हमारे आस-पड़ोस में ही रहते हैं। आजकल कई ग्रामीणों ने भी पुश्तैनी घरों को छोड़कर नगर-मोहल्ले, गली एवं नुक्कड़ पर अपने नए घर-मकानों तथा तथा दुकानों का निर्माण कर लिया है तथा सड़क के किनारे अपने कारोबार शुरू कर दिए हैं तथा पुश्तैनी घरों को बिना जान-पहचान के इन अपरिचित प्रवासियों को महज कुछ पैसों के लिए बिना जांच-पड़ताल से किराए पर देना शुरू कर दिया है।

 आम तौर पर यही अपरिचित प्रवासी ही हमारी सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए देखे गए हैं। इन अपरिचित प्रवासी लोगों में कुछ विकृत मानसिकता तथा अपराधी प्रवृत्ति के लोग चोरी-डकैती, लूटपाट, मारपीट, बलात्कार तथा हत्या जैसी घटनाओं में संलिप्त पाए जा रहे हैं। प्रदेश में बहुत सी घटनाएं धर्म परिवर्तन तथा लड़कियों को बहला-फुसलाकर, प्रेम प्रसंग चलाकर तथा भगाकर शादी करने की भी सामने आई हैं जो कि हमारी संस्कृति तथा  सामाजिक आचरण के विपरीत है। हालांकि प्रेम प्रसंग तथा शादी किसी का व्यक्तिगत मामला हो सकता है, तथापि बहुत से मामलों में लड़कियों के साथ मासूमियत या अबोधपन का फायदा, किसी प्रलोभन या जोर जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इस तरह के बहुत से शादी के मामलों में कुछ समय अपने पति के साथ रहने तथा बच्चे पैदा करने के पश्चात कई युवतियां बर्बाद होकर अकेले जीवनयापन करने के लिए मजबूर हो चुकी हैं। ऐसी अनेक घटनाओं से पीडि़त होकर कई माता-पिता मानसिक तथा सामाजिक परेशानियों व कानूनी पेचीदगियों में फंस चुके हैं जिसका कोई हल तथा समाधान नहीं है। आम तौर पर यह समझा जाता है कि किसी भी अपराध, चोरी-डकैती, बलात्कार या हत्या के पीछे किसी परिचित नौकर या घर पर सामान्य सेवाएं देने वाले व्यक्ति परिवार या रिश्तेदार ही शामिल होते हैं तथा ऐसे मामलों में प्रथमदृष्टया पुलिस का शक तथा जांच की सुई परिवार के घनिष्ठ लोगों एवं परिचितों पर ही जाती है, लेकिन वर्तमान में बाहर से आने वाले प्रवासियों के आने पर प्रदेश में इन अपराधों में संलिप्त लोगों में वृद्धि हुई है। पांच अप्रैल, 2022 को जि़ला ऊना के नगर पंचायत अंब के वार्ड नंबर नौ, प्रतापनगर में एक सनसनीखेज़ वारदात सामने आई है जिसमें घर पर अकेली नाबालिग लड़की को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। दिन-दिहाड़े हुई इस घटना में पंद्रह वर्षीय नाबालिग लड़की प्रिया राणा की तेज़धार हथियार से गला रेत कर हत्या की गई। इस हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। यह लड़की दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। प्रिया राणा की मां एक अध्यापिका हैं तथा घटना के समय अपने कार्यस्थल पर थी। इस संगीन वारदात में हत्यारे ने लड़की को घर पर अकेली पाकर उसकी गर्दन के नीचे, दोनों बाजुओं तथा कमर पर तेजधार हथियार से कई वार किए। पुलिस इस हत्याकांड को एकतरफा प्यार की नज़र से किए गए अपराध की दृष्टि से भी देख रही है।

 जांच, पूछताछ, शक के आधार पर तथा इस पड़ोस में लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक मुस्लिम लड़के आसिफ मोहम्मद उर्फ हनी को गिरफ्तार कर हत्या में प्रयोग किए गए हथियार को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। इस संदर्भ में ऊना के पुलिस अधीक्षक ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि हत्या का आरोपी आसिफ मोहम्मद इससे पूर्व इस लड़की के घर में प्लम्बिंग का कार्य कर चुका है तथा अब अखबार बांटने के बहाने इस घर में जाता था। परिवार में जान-पहचान का फायदा उठाकर यह आरोपी लड़की के घर में दाखिल हुआ तथा अपने गलत इरादे में असफलता पाकर उसने लड़की की हत्या कर दी। इस जघन्य हत्याकांड से प्रदेश में दहशत, खौफ तथा डर का वातावरण सा बन गया है। उधर समाज को अपना समर्थन देते हुए अंब न्यायालय की बार काउंसिल ने अपराधी के पक्ष में केस न लड़ने का फैसला सराहनीय है। इससे सामाजिक समरसता तथा भाईचारे की मिसाल सामने आई है। यह फैसला अपराध को समर्थन न देने की सामाजिक एवं सामूहिक आवाज़ है। हालांकि इस अपराध तथा अपराधी पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

यह तो अभी जांच के अधीन है तथा मामले की सच्चाई सामने आना बाकी है, लेकिन इस प्रकार के अपराध को हिमाचल जैसे शांत प्रदेश के लोग कभी स्वीकार नहीं करेंगे। लड़कियों के ऊपर इस प्रकार के अपराधों की निंदा तथा भर्त्सना की जानी चाहिए तथा उन्हें सामाजिक, प्रशासनिक एवं पुलिस की सुरक्षा दी जानी चाहिए। इस संदर्भ में किसी भी गांव-मुहल्ले में  किसी भी अपरिचित व्यक्ति को अपना मकान किराए पर देने से पहले उस व्यक्ति का आधार कार्ड, परिचय पत्र, लाइसैंस या उससे संबंधित सरकारी एजेंसी द्वारा कोई भी दस्तावेज अवश्य रूप से देखा जाना चाहिए। मकान मालिकों को ऐसे व्यक्तियों की पूरी जानकारी एवं पूछताछ कर इन किराएदारों के संबंध में पूर्ण जानकारी स्थानीय पुलिस को देनी चाहिए। आम नागरिकों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की सूचना पुलिस को देनी चाहिए। फूल जैसी बेटी की अकारण तथा असमय हत्या होना किसी भी माता-पिता तथा परिजनों के लिए एक बज्रपात है। यह हत्यारे की व्यक्तिगत मानसिक विकृति है। सामाजिक रूप से बेटियों पर इस तरह के अत्याचार हमें सोचने पर मजबूर करते हैं। यह घटना बच्चों, युवतियों तथा महिलाओं की सुरक्षा में खतरे का संकेत है। परिवार में प्रत्येक बुजुर्ग तथा प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों, विशेषकर बालिकाओं को ऐसे संदिग्ध तथा अपरिचित व्यक्तियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शिक्षित, जागरूक तथा सचेत करना चाहिए।

प्रो. सुरेश शर्मा

लेखक घुमारवीं से हैं


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