हिमाचली प्रशिक्षु चिकित्सक छात्रों का संकट

By: Apr 26th, 2022 12:06 am

हिमाचल प्रदेश के भविष्य के प्रति चिंताग्रस्त प्रशिक्षु छात्रों एवं अभिभावकों के प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से इस संदर्भ में विभिन्न संगठनों व मंचों के माध्यम से इस समस्या को लेकर अपना पक्ष रख रहे हैं। इन प्रमुख नेताओं का आश्वासन इन सबके लिए एक आशा की किरण के रूप में प्रकट होता है व इसके सार्थक हल की दिशा में महत्त्वपूर्ण पग प्रमाणित होगा। हिमाचल प्रदेश के लगभग 372 प्रशिक्षु छात्र यूक्रेन के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में विभिन्न वर्षों के पाठ्यक्रम में अध्ययनरत हैं…

26 फरवरी 2022 को दो यूरोपियन देशों यूक्रेन व रूस के मध्य आरंभ युद्ध के परिणामस्वरूप, विभिन्न वर्षों के पाठ्यक्रम में अध्ययनरत विभिन्न भारतीय राज्यों के लगभग 18 हजार प्रशिक्षु चिकित्सकों का भविष्य अधर में लटक चुका है, जिनमें हिमाचल प्रदेश के लगभग 372 से अधिक छात्र भी सम्मलित हैं। ये अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर चिंताग्रस्त व तनावग्रस्त हैं। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि दो देशों के मध्य युद्ध के कारण यूक्रेन के शिक्षा संस्थान एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों की आधारभूत संरचना पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुकी है। इस देश के प्रमुख शहरों जैसे कीव, खार्कीव, चेरनिविस्ट आदि स्थित प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थान पूर्ण रूप से क्षत-विक्षत हो चुके हैं और भविष्य में इन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का सुचारू संचालन वर्तमान युद्ध की इन विकट परिस्थितियों में संभव नहीं हो सकता है। देश व प्रदेश के अधिकांश प्रशिक्षु छात्रों के अभिभावकों द्वारा विषम आर्थिक परिस्थितियों में, अपने बच्चों को डॉक्टरी जैसे मानवता की सेवा से प्रेरित शिक्षा हेतु विदेश में भेजना, वर्तमान में भारतीय अभिभावकों की विवशता का कारण है क्योंकि देश व प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश लेने की जटिल प्रक्रिया एवं व्यापक प्रतिस्पर्धा व चिकित्सा क्षेत्र के पाठ्यक्रम में सीमित सीटों की संख्या एक बड़ी समस्या है।

इसके अतिरिक्त देश के निजी चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में मनमानी व भारी भरकम फीस अपने देश के चिकित्सा संस्थानों में अधिकांश छात्रों के प्रवेश के लिए प्रमुख बाधा के रूप में उभरती है। यूक्रेन जैसे देशों में डॉक्टरी की पढ़ाई करना सस्ता व सुगम होना भारतीय छात्रों को आकर्षित करता है। इसके दृष्टिगत देश के अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए यूक्रेन जैसे देशों में डॉक्टरी की पढ़ाई करना, उनकी आर्थिक स्थिति के अनुरूप होने के कारण, इस देश के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में भारतीय छात्रों का अधिक संख्या में प्रवेश लेना इसका प्रमुख कारक है। युद्ध की इस विकट परिस्थिति में भारत सरकार व प्रदेश सरकार की भूमिका बहुत ही सराहनीय रही है। केंद्र सरकार द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी के कुशल नेतृत्व में आपरेशन गंगा के अंतर्गत देश व प्रदेश के हजारों प्रशिक्षु छात्रों की सकुशल स्वदेश वापसी, प्रत्येक भारतीय को केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में किए गए सार्थक व अथक प्रयास से गौरवान्वित करते हैं। वर्तमान में इन छात्रों के अभिभावकों की प्रमुख समस्या एवं चिंता भविष्य में इन प्रशिक्षु छात्रों के सुचारू शिक्षण एवं अध्यापन को लेकर है।

यद्यपि कुछ शिक्षण संस्थानों से अध्यापन कार्य ऑनलाइन माध्यम से भी जारी है, परंतु निकट भविष्य में इन प्रशिक्षु छात्रों को अध्यापन संबंधित बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। भारत सरकार द्वारा इन दो देशों के मध्य जारी युद्ध में निष्पक्ष व्यवहार, यूक्रेन के शिक्षकों को इन भारतीय छात्रों के प्रति पक्षपाती व विरोधी बना सकता है, जिसका सबसे अधिक नुक्सान इन प्रशिक्षु छात्रों का होगा। भारतीय विदेश मंत्री द्वारा अपने वक्तव्य में भविष्य में इन प्रशिक्षु छात्रों के शिक्षण की व्यवस्था यूक्रेन के पड़ोसी देशों जैसे हालैंड, रोमानिया, हंगरी आदि में करने पर विचार करने का आश्वासन अव्यावाहारिक प्रतीत होता है क्योंकि इन देशों में चिकित्सा क्षेत्र के संस्थानों में अध्ययन करना यूक्रेन जैसे देशों की तुलना में अत्यधिक महंगा है, जो कि इन छात्रों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति के विपरीत होगा। अधिकांश अभिभावकों ने बैंकों से शिक्षा ऋण के माध्यम से ही अपने बच्चों को विदेश में शिक्षा हेतु भेजा है। जिस प्रकार से वर्तमान में युद्ध की स्थिति है, इन पड़ोसी देशों में भी असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो चुकी है व भविष्य में इन देशों पर भी इस युद्ध के कारण अस्थिरता, अशांति जैसी विकट परिस्थितियां उभर सकती हैं। इससे इन देशों की सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव परिलक्षित होंगे, जोकि भारतीय प्रशिक्षु छात्रों के भविष्य में बहुत सी समस्याओं को उत्पन्न करने में सहायक सिद्ध हो सकते हंै।

हिमाचल प्रदेश के भविष्य के प्रति चिंताग्रस्त प्रशिक्षु छात्रों एवं अभिभावकों के प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से इस संदर्भ में विभिन्न संगठनों व मंचों के माध्यम से इस समस्या को लेकर अपना पक्ष रख रहे हैं। इन प्रमुख नेताओं का आश्वासन इन सबके लिए एक आशा की किरण के रूप में प्रकट होता है व इसके सार्थक हल की दिशा में महत्वपूर्ण पग प्रमाणित होगा। हिमाचल प्रदेश के लगभग 372 प्रशिक्षु छात्र यूक्रेन के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में विभिन्न वर्षों के पाठ्यक्रम में अध्ययनरत हैं जिनमें प्रत्येक पाठ्यक्रम वर्ष में, अधिकतम 20 या 25 प्रशिक्षु छात्र अध्ययनरत हैं। कुछ छात्रों का अंतिम वर्ष का ही पाठ्यक्रम शेष है। हिमाचल प्रदेश में 6 चिकित्सा शिक्षण संस्थान प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में तथा एक निजी चिकित्सा शिक्षण संस्थान सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। प्रदेश सरकार, भारतीय चिकित्सा परिषद व केन्द्र सरकार के परस्पर समन्वय व अनुशंसा से इन प्रशिक्षु छात्रों की फीस निर्धारित कर, विशेष अनुमति व वर्ष वार पाठ्यक्रम के आधार पर, प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अतिरिक्त सीटों का प्रावधान कर, इन प्रशिक्षु छात्रों को प्रदेश में संचालित विभिन्न चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या समायोजन को सुनिश्चित किया जा सकता है, ताकि इन प्रशिक्षु छात्रों एवं इनके अभिभावकों को इस आर्थिक व मानसिक यंत्रणा से मुक्ति मिल सके।

किशन बुशहरी

लेखक नेरचौक से हैं


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