विदेश व्यापार घाटे की नई चुनौती

12 अप्रैल को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के द्वारा वर्ष 2022-23 के वैश्विक व्यापार वृद्धि अनुमान से 4.7 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी किए जाने के मद्देनजर भारत के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात पर भी असर होने के साथ-साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका भी बढ़ेगी…

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192 अरब डॉलर हो गया है। फरवरी 2022 के आखिर से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल के वैश्विक दामों में इजाफे से पेट्रोलियम आयात के मूल्य में तेज उछाल के कारण पेट्रोलियम की आयात की जाने वाली खेपों का मूल्य एक साल पहले की तुलना में करीब दोगुना होने की वजह से आयात 610 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की प्रवृत्ति दिखाता है। वित्त वर्ष 2021-22 में देश के कुल आयात मूल्य में पेट्रोलियम आयात का हिस्सा 26 प्रतिशत था। पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और सोने का आयात एक-तिहाई तक बढ़ा और इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटे में इजाफा हुआ है। भारत का उत्पाद आयात वित्त वर्ष 2021-22 में पूर्ववर्ती वित्त वर्ष 2020-21 के 394.44 अरब डॉलर की तुलना में 54.71 प्रतिशत बढ़ा है। नतीजतन उत्पाद व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर का स्तर पार कर गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के अलावा देश के व्यापार घाटे के बढ़ने का एक बड़ा कारण चीन से तेजी से बढ़े हुए आयात भी है। इस समय चीन से तेजी से बढ़ा आयात और देश का तेजी से बढ़ा विदेश व्यापार घाटा इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि पिछले 6-7 वर्षों से व्यापार घाटा घटाने के लगातार प्रयास हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर को देशभर में आगे बढ़ाया है। हाल ही के वर्षों में चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए सरकार के द्वारा टिक टॉक सहित विभिन्न चीनी एप पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्रण, कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति जैसे विभिन्न प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2019 और 2020 में चीन से तनाव के कारण देशभर में चीनी सामान का जोरदार बहिष्कार दिखाई दिया था।

 मेड इन इंडिया का बोलबाला था। स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर का जोरदार असर था। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी, नवदुर्गा, दशहरा और दीपावली जैसे त्योहारों में बाजार में भारतीय उत्पादों की बहुतायत थी और चीनी सामान बाजार में बहुत कम दिखाई दिए थे।  भारत में चीन से होने वाले आयात में बड़ी गिरावट आने लगी थी। व्यापार घाटे में तेजी से कमी आने लगी थी। लेकिन वर्ष 2021-22 में विदेश व्यापार घाटा बढ़ना विचारणीय प्रश्न है। एक ऐसे समय में जब पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का उत्पाद निर्यात 400 अरब डॉलर के लक्ष्य को पार करते हुए 419 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है, तब व्यापार घाटा बढ़ना चुनौतीपूर्ण है। ज्ञातव्य है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का निर्यात 292 अरब डॉलर रहा था। निर्यात के मामले में भारत का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2018-19 में 330 अरब डॉलर का रहा था। भारत के तेजी से बढ़ते निर्यातों का ग्राफ इस बात का प्रतीक है कि भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। यदि हम उत्पाद निर्यात के नए आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि खासतौर पर पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा, कॉफी, प्लास्टिक, रेडीमेड परिधान, मांस एवं दुग्ध उत्पाद, समुद्री उत्पाद और तंबाकू की निर्यात वृद्धि में अहम भूमिका रही है। साथ ही उच्च इंजीनियरिंग निर्यातों, परिधान और वस्त्र निर्यात आदि से संकेत मिलते हैं कि यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है कि भारत प्राथमिक जिंसों का ही बड़ा निर्यातक है। अब भारत के द्वारा अधिक से अधिक मूल्यवर्धित और उच्च गुणवत्ता वाले सामानों का निर्यात भी किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि देश से वर्ष 2021-22 में कृषि उत्पादों और मसालों के अधिकतम निर्यात का सुकूनदेह परिदृश्य भी उभरकर दिखाई दिया है।

 अरब-ब्राजील चैंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार भारत 22 अरब राष्ट्रों की लीग के लिए ब्राजील व अन्य देशों को पीछे करते हुए सबसे बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है। देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गई। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक कोविड-19 की आपदाओं के बीच जहां भारत ने वैश्विक स्तर पर दुनिया के जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं भारत के द्वारा फरवरी 2022 के बाद रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण  दुनियाभर में कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का अवसर भी मुठ्ठियों में लिया है। देश के बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए एक ओर हमें आयात घटाने होंगे तथा दूसरी और निर्यात बढ़ाने होंगे। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि हम रणनीतिक रूप से आगे बढ़कर चीन से बढ़ते आयात और बढ़ते व्यापार घाटे के परिदृश्य को बहुत कुछ बदल सकते हैं। देश में अभी भी दवाई उद्योग, मोबाइल उद्योग, चिकित्सा उपकरण उद्योग, वाहन उद्योग तथा इलेक्ट्रिक जैसे कई उद्योग बहुत कुछ चीन से आयातित माल पर आधारित हैं। यद्यपि चीन के कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले एक-डेढ़ वर्ष में सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 13 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं। देश के कई उत्पादक चीन के कच्चे माल का विकल्प बनाने में सफल भी हुए हैं। अब इन क्षेत्रों में अतिरिक्त प्रयासों से चीन तथा अन्य देशों से आयात को कम किया जा सकता है।

 इस समय आजादी के 75वें साल में जब देश अमृत महोत्सव मना रहा है, तब एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता और चीनी सामान के आयात को नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया अभियान और अधिक उत्साहजनक रूप से आगे बढ़ाया जाना होगा। स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत आभियान को तेजी से आगे बढ़ाकर बिम्सटेक देशों में निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं को मुठ्ठियों में करना होगा। जरूरी है कि सरकार के द्वारा अन्य देशों की गैर शुल्कीय बाधाएं, मुद्रा का उतार-चढ़ाव, सीमा शुल्क अधिकारियों से निपटने में मुश्किल और सेवा कर जैसे निर्यात को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना होगा। तुलनात्मक रूप से कम उपयोगी आयातों पर कुछ नियंत्रण करना होगा, वहीं निर्यात की नई संभावनाएं खोजनी होंगी। निःसंदेह इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में वैश्विक मंदी का परिदृश्य उभर रहा है, तब भारत के विदेश व्यापार घाटे में कमी लाना कोई सरल काम नहीं है। 12 अप्रैल को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के द्वारा वर्ष 2022-23 के वैश्विक व्यापार वृद्धि अनुमान से 4.7 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी किए जाने के मद्देनजर भारत के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात पर भी असर होने के साथ-साथ भारत के व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका भी बढ़ेगी। ऐसे में भारत के द्वारा रणनीतिक रूप से निर्यात बढ़ाने तथा आयात नियंत्रण की उपयुक्त डगर पर आगे बढ़ने से ही तेजी से बढ़ते हुए भारत के  व्यापार घाटे में कमी आ सकेगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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