ताजमहल का अद्भुत रहस्य

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर लोग मानते हैं कि ताजमहल से पहले यहां बहुत ही पुराना शिव मंदिर हुआ करता था। इसमें एक ऐसा प्राकृतिक शिवलिंग था जहां पर अपने आप पानी रिसता था और अभी भी वहां से पानी गिर रहा है। इस प्रकार की मान्यता आसपास के लोगों के द्वारा मानी जाती है। ताजमहल में नीचे की तरफ भी कई मीटर की दूरी पर विभिन्न कमरों का निर्माण किया गया था। इन्हें हम गुप्त कमरे भी कह सकते हैं, लेकिन अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया गया कि इन कमरों का निर्माण क्यों किया गया था और इनका इस्तेमाल किसलिए किया जाता था। भारत सरकार ने ताजमहल के ऐसे सभी गुप्त दरवाजे बंद कर दिए हैं जिनका अभी तक कोई ठिकाना ही नहीं है कि ये कहां तक जाते हैं और कहां खुलते हैं…

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में आगरा के ताजमहल के दरवाजों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को निर्देश दे कि वह ताजमहल के भीतर के 20 कमरों के दरवाजों को खोले और इसमे इस बात की जांच कराए कि क्या भीतर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हैं, क्या इसमे हिंदू धर्म की पुस्तकें छिपाकर रखी गई हैं। गौरतलब हो कि तहखाने के जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है, वे पर्यटकों के लिए 1972 में ही बंद किए जा चुके हैं। आखिरी बार 16 साल पहले वर्ष 2006 में तत्कालीन संरक्षण सहायक मुनज्जर अली ने तहखाने के कमरों का संरक्षण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की सिफारिश पर किया था। तब यहां दीवारों में सीलन, दरारें भरने के लिए प्वाइंटिंग और प्लास्टर का काम कराया गया। तहखाने के कमरों के लिए रास्ता चमेली फर्श पर मेहमानखाने की ओर और दूसरा मस्जिद की ओर है, जिस पर अब लोहे का जाल डालकर बंद कर दिया गया है। इन्हीं कमरों में यमुना किनारे की ओर से पहुंचा जा सकता था, जो उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी बुर्ज के पास बने हुए थे। लकड़ी के दरवाजे हटाकर ईंटों की दीवार लगा दी गई है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डा. डी. दयालन की पुस्तक ‘ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन’ में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों में तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था।  ताजमहल के तहखाने में कई रहस्य भी दफन हैं। ताजमहल की मुख्य गुंबद के चारों ओर बनी मीनारों का रास्ता तहखाने से भी है। वर्तमान में तहखाने में स्थित मीनार का दरवाजा बंद है। 20 कमरों के आगे मुख्य गुंबद के ठीक नीचे का हिस्सा ईंटों से बंद किया गया है। लाल पत्थर की चौखट कभी यहां थी, जिन्हें ईंटों से बंद कर दिया गया।

इसके अंदर कमरे हैं या कुछ और, इसका ब्यौरा एएसआई अधिकारियों के पास भी नहीं है। भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक भवन बनाए गए हैं जो किसी न किसी घटना या प्रेम कहानी का प्रतीक हैं। सम्राट शाहजहां बेगम मुमताज को इतना प्यार करता था कि उसकी मृत्यु के बाद उसने अपना होश-हवास खो बैठा और खाना-पीना भी छोड़ दिया। वह मुमताज़ की मृत्यु से इस कदर पागल सा हो गया कि उसने यह निर्णय लिया कि वह मुमताज़ की यादों को भूलने नहीं देगा और उसने किले के ही सामने यमुना नदी के किनारे ताजमहल का निर्माण करने का आदेश दिया। आज भी ताजमहल का रहस्य एक ऐसा रहस्य है जो पूरी तरह से अभी तक उजागर नहीं हुआ है। अर्थात यहां पर ताजमहल के बारे में पूर्णता किसी को ज्ञात नहीं है कि ताजमहल के बहुत से दरवाजे ऐसे हैं यह भी पता नहीं है कि यह दरवाजे कहां खुलते हैं। ताजमहल में ऐसी सुरंग बनी हुई है, जिन्हें अब बंद कर दिया गया है। यहां तक कि भारत सरकार ने भी आदेश दे दिया कि ताजमहल पर कोई भी रिसर्च नहीं करेगा तथा इसके अंदर के सभी दरवाजे तथा रास्ते बंद कर दिए गए। इनमें से ताजमहल के कुछ अद्भुत रहस्य हैं खास दरवाजा। ताजमहल में ऐसे कई दरवाजे हैं जिन्हें किसी न किसी मकसद से बनाया गया था। इसी में से एक है खास दरवाजा। ताजमहल में हमेशा शाहजहां इसी दरवाजे से प्रवेश किया करता था। यह दरवाजा यमुना नदी के किनारे ताजमहल से थोड़ी दूर स्थित है जहां पर नाव के द्वारा जाया जाता है।

 यह दरवाजा अंतिम समय पर जब शहंशाह शाहजहां की मृत्यु हुई थी, उस समय उनके पार्थिव शरीर को ताजमहल में लाने के लिए खुला था। उसके पश्चात इस दरवाजे को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। क्या आप जानते हैं कि ताजमहल में शाहजहां और मुमताज़ के असली और नकली दो प्रकार के मकबरे हैं। ऐसा क्यों है? लेकिन यह उनके नकली मकबरे हैं जबकि तहखाने में जाने पर शाहजहां और मुमताज महल के असली मकबरे हैं। ऐसा क्यों किया गया, इसके बारे में इतिहासकारों ने कई प्रकार के विचार प्रस्तुत किए हैं। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि इन मकबरों में बेहद कीमती आभूषण, पत्थर और रत्न अभी तक छुपे हुए हैं तो कुछ इतिहासकार पूरे ताजमहल में भारत देश की दौलत को छुपा कर रखा गया है, ऐसा मानते हैं। क्या आपने कभी गौर किया है कि मुमताज की मजार के ठीक ऊपर एक ऐसा छिद्र है जहां से पानी टपकता है और यह कारीगरों ने जानबूझकर छोड़ा था, क्योंकि उन्हें इस बात का पता चला गया था कि ताजमहल पूर्ण होते ही उनके हाथ काट दिए जाएंगे। इसी प्रकार ताजमहल के जो 11 नक्काशीदार पिल्लर हैं, उनमें से एक गोलाकार है, जबकि बाकी सभी तिकोने बने हुए हैं। ताजमहल में किया गया बेहद मजबूत कांच का उपयोग, ताजमहल को इस प्रकार से आकृति दी गई कि वह सुंदर तो है ही, साथ ही इतना मजबूत है कि इस पर गोलियों का भी कोई असर नहीं पड़ता। बताया जाता है कि एक बार अंग्रेज अधिकारी ताजमहल के कमरों में प्रवेश करने लगा था, किन्तु ताजमहल के कमरे बहुत ही छोटे बने थे और अंग्रेज को झुकना पसंद नहीं था।

 इसलिए उसने अपनी बंदूक निकाल कर ताजमहल के दरवाजे पर सौ फायर किए, किंतु फिर भी ताजमहल के दरवाजे का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए क्योंकि ताजमहल के दरवाजे और रोशनदान इतने मजबूत कांच के बनाए गए थे कि उन पर गोलियों का भी कोई असर नहीं होता है। ताजमहल में एक पानी का स्रोत भी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अभी भी इस बात का पता नहीं लगा पाए कि यह पानी का स्रोत आखिर आया कहां से? पौराणिक मान्यताओं के आधार पर लोग मानते हैं कि ताजमहल से पहले यहां बहुत ही पुराना शिव मंदिर हुआ करता था। इसमें एक ऐसा प्राकृतिक शिवलिंग था जहां पर अपने आप पानी रिसता था और अभी भी वहां से पानी गिर रहा है। इस प्रकार की मान्यता आसपास के लोगों के द्वारा मानी जाती है। ताजमहल में नीचे की तरफ भी कई मीटर की दूरी पर विभिन्न कमरों का निर्माण किया गया था। इन्हें हम गुप्त कमरे भी कह सकते हैं, लेकिन अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया गया कि इन कमरों का निर्माण क्यों किया गया था और इनका इस्तेमाल किसलिए किया जाता था। भारत सरकार ने ताजमहल के ऐसे सभी गुप्त दरवाजे बंद कर दिए हैं जिनका अभी तक कोई ठिकाना ही नहीं है कि ये कहां तक जाते हैं और कहां खुलते हैं। कुल मिला कर ऐसा महसूस होता है कि ताजमहल से जुड़े अनगिनत रहस्यों को सहजता से देश के लोगों के सामने लाया जाना चाहिए। इससे इस इमारत की न तो खूबसूरती कम होगी और न ही मुहब्बत की निशानी की कशिश कम होगी।

डा. वरिंदर भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App