पीएम मोदी के आठ साल

By: May 28th, 2022 12:05 am

26 मई को प्रधानमंत्री मोदी की सत्ता के 8 साल पूरे हो चुके हैं। 2014 में पद की पहली शपथ की तारीख यही है, जबकि 2019 में दोबारा जनादेश मिलने के बाद मोदी ने 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। बहरहाल यह कालखंड कैसा रहा, इसका सम्यक विश्लेषण करना एक किताब का विषय है। हम उस भरोसे से शुरुआत करना चाहते हैं, जो मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले देश के साथ साझा किया था-‘अच्छे दिन आने वाले हैं।’ यदि इन 8 सालों में देश की जनता के सापेक्ष उस भरोसे का आकलन किया जाए, तो यकीनन दिन बदले हैं। अच्छे या बदतर दिनों की समीक्षा भी पूर्वाग्रही हो सकती है, लेकिन हम प्रधानमंत्री मोदी और उनके कार्यकाल के दौरान कुछ ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख जरूर करेंगे। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करना, मुस्लिम औरतों के संदर्भ में तीन तलाक को ‘अपराध’ तय करके संशोधन करना, नोटबंदी लागू करना, पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक करना, जीएसटी लागू करना, नागरिकता संशोधन कानून, करीब 80 करोड़ भारतीयों को बीते दो साल से मुफ्त अनाज बांटना, गरीबों के लिए पक्का घर और आयुष्मान भारत योजना आदि फैसलों ने साबित किया है कि मोदी सरकार नई नीयत और नीति की सरकार है। वह भारत का चेहरा बदलने को प्रतिबद्ध है। इनके अलावा, कई और योजनाएं हैं, जिनसे गरीब और आम भारतीय फायदा उठा रहे हैं। देश उन योजनाओं को बखूबी जानता है। कोई भी छिद्रान्वेषी इन योजनाओं में विसंगतियां और खामियां ढूंढ सकता है।

 भारत इतना विशाल और विविध देश है कि कमियां स्वाभाविक भी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता-काल की सबसे महत्त्वपूर्ण खासियत यह है कि सरकारी गलियारों और दफ्तरों से भ्रष्टाचार गायब है। देश ने करोड़ों-अरबों रुपए के घोटालों में मंत्रियों और सांसदों तक को जेल जाते देखा है। इन 8 सालों में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जिस पर संसद में हंगामे हुए हों और कैग की आपत्तिजनक रपटें आई हों। कोरोना वैश्विक महामारी मोदी-काल का ऐसा मंजर रहा है, जब हमने आम आदमी को सड़कों, चौराहों, रेल की पटरियों पर मरते देखा है। देश की अर्थव्यवस्था -23 फीसदी से भी नीचे लुढ़क गई थी। देश पर ताले लटके थे। बेशक करीब 12 करोड़ लोगों की नौकरियां और रोज़गार छिने। सूक्ष्म और लघु उद्योग दिवालिया होकर बंद हो गए अथवा उन हालात में पहुंच गए, लेकिन फिर भी समग्रता में भारत ने घुटने नहीं टेके। कोरोना वायरस रोधी टीकों का आविष्कार सुनिश्चित हुआ। विशेषज्ञों ने जांच पड़ताल की, मंजूरी दी और समूचे देश में मुफ्त टीकाकरण किया गया। राजनीति इस पर भी खूब की गई। औसत नतीजा सामने है कि आज कोरोना सामान्य संक्रमण की जमात में आ चुका है। देश की आर्थिक विकास दर पलट कर 7-8 फीसदी हो चुकी है।

ये मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक के हैं। करीब 9 करोड़ नौकरियां बहाल हुई हैं। बेशक सरकार में 8 लाख से ज्यादा पद खाली हैं और उन पर तेजी से भर्तियां नहीं की जा रही हैं, लेकिन बाज़ार सक्रिय है। निजी कंपनियां बुनियादी ढांचे सरीखी निर्माण गतिविधियों में लगी हैं। जाहिर है कि रोज़गार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने रेहड़ी, पटरी, खोमचों या आम कारोबारी की जमात में 29 करोड़ से ज्यादा ‘मुद्रा लोन’ मुहैया कराए हैं। विपक्ष इन पर भी सवाल कर रहा है। कांग्रेस और राहुल गांधी का मोदी सरकार को कोसना स्वाभाविक है। कोरोना समाप्त होने लगा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ गया। दुनिया के तमाम विकसित देशों में भी महंगाई और मुद्रास्फीति की दरें सातवें आसमान पर हैं, लिहाजा भारत भी प्रभावित हुआ है। आजकल सिर्फ महंगाई, बेरोज़गारी, किसानी और हिंदू-मुसलमान ही देश की बुनियादी समस्याएं लगती हैं, लेकिन वे ही भारत नहीं हैं। भारत उनसे बहुत बड़ा है। रोटी के साथ-साथ विदेश नीति, सामरिक नीति, व्यापार, उत्पादन, आत्मनिर्भरता, इंटरनेट, बिजलीकरण, ग्रामीण विकास, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष आदि भी बेहद महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं। बेशक मोदी सरकार ने इनमें भी कई मील-पत्थर स्थापित किए हैं। सारांश यह है कि मोदी सरकार के 8 साल बिल्कुल ही निराशा का दौर नहीं हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App