बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण रखें सरकारें

By: May 19th, 2022 12:06 am

हिमाचल प्रदेश सरकार प्रशासनिक अधिकारियों को हिदायत जारी करे कि वे बाजारों का औचक निरीक्षण करके महंगाई बढ़ाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें…

रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई अब सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है। अप्रैल माह में भारत की खुदरा महंगाई दर 7.79 पहुंच गई है। बैंकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी और जून महीने तक और भी बढ़ सकती हैं। ऐसे हालत में आम जनमानस किस तरह बैंकों से ऋण लेकर अपनी जरूरतें पूरी करे, यह मुसीबत बन चुका है। गरीब आदमी को अब अपना जीवनयापन करना बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। आलू से लेकर चाय पत्ती तक के दाम कई गुणा बढ़ चुके हैं। एयर कंडीशनर, टीवी, एलईडी आदि इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के दाम में वृद्धि के अब प्रबल आसार बन रहे हैं। गेहूं के दाम में उछाल आने की वजह से आटा, ब्रेड और बिस्कुट की कीमतों में इजाफा हुआ है। महंगाई अब वैश्विक समस्या बन चुकी है जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना वायरस काल के दौरान कारोबार ठप रहने की भरपाई दुकानदार अब मनमाने दाम में वस्तुएं बेेचकर पूरी कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध की आड़ में कई देशों में महंगाई बढ़ना चिंताजनक है। श्रीलंका में गैस, पेट्रोल और डीजल जनता को न मिलना इसका ताजा उदाहरण है। पड़ोसी देश श्रीलंका की खराब अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हंै। अगर श्रीलंका में जनता को मूलभूत सुविधाओं की दरकार हो सकती है तो भारत के पड़ोसी देश में क्यों नहीं, यही आजकल सवाल उठ रहा है। भारत में स्थिति कुछ हद तक सुखद होने के कारण ही केंद्र सरकार गरीब जनता को सस्ता राशन मुहैया करवा पा रही है। अगर यूक्रेन-रूस युद्ध पर विराम नहीं लगाया गया तो महंगाई दानव बनकर गरीब जनता को निगल जाएगी। इस युद्ध के कारण पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें लगातार बढ़ी हैं जिसके कारण मालवाहक गाडि़यों का भाड़ा भी बढ़ा है। वहीं विदेशों में भारतीय गेहूं की मांग भी बढ़ी है। पिछले बारह वर्षों में अब तक 46 प्रतिशत गेहूं के दाम बढ़ चुके हैं।

 एक वर्ष में तीस प्रतिशत महंगाई वृद्धि आम जनमानस का घरेलू बजट बिगाड़ चुकी है। आजकल नींबू के दामों को लेकर खूब विरोध हो रहा है। इसी बात से अंदाजा हो जाता है कि अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम भी पहले की भांति नहीं रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था अभी पूरी तरह पटरी पर लौटी नहीं, कि इस बीच यूक्रेन-रूस युद्ध ने नामी कम्पनियों तक को अपना कामकाज फिलहाल बंद रखने को मजबूर किया है। भारतीय मुद्रा डालर के मुकाबले कमजोर है, जिसकी वजह से महंगाई ने अब जोर पकड़ा है। अनाज में मसूर दाल, चीनी, चाय, मसाला, मांस, मछली, मुर्गा, रेडिमेड कपड़े, फुटवियर, बिजली, ईंधन, आलू, टमाटर, दूध, मूंगफली, सरसों तेल, सोयाबीन, सूरजमुखी तेल सहित फल-सब्जियों के दामों में कई गुणा वृद्धि हुई है। प्रत्येक परचून विक्रेता का अपना ही दाम होता है जिसका असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर अधिक पड़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस के चलते गरीब लोगों को सस्ता राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। मध्यवर्गीय परिवारों को उचित मूल्य की दुकानों में अब पहले की भांति सही सस्ता  अनाज नहीं मिल पा रहा है। जनता को एक साथ सभी राशन की वस्तुएं नहीं मिलती हैं। कुछेक विक्रेता कभी एक आइटम तो कभी दूसरी का टेंडर न होने का बहाना बनाकर जनता को गुमराह करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश की जनता को सस्ता राशन उपलब्ध करवाने के लिए सबसिडी दी जाती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल आगमन पर बेशक यहां की धामों की प्रशंसा करते रहे हैं। सच बात यह है कि केंद्र सरकार द्वारा खाद्यान्न पर सबसिडी बंद किए जाने से ऐसी धाम भी अब महंगी बन चुकी हैं।

 जयराम ठाकुर सरकार ने केंद्र सरकार से इस सबसिडी को यथावत रखने की कई बार गुहार लगाई। प्रदेश सरकार अब अकेले अपने बलबूते पर जनता को राशन मुहैया करवाने की कोशिश कर रही है। उचित मूल्य दुकानों में मिलने वाले राशन में अब कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। तीस रुपए में एक किलो दाल का पैकेट अब पचास रुपए से ऊपर छलांग लगा चुका है। महंगाई की मार से जनता जितनी आए दिन त्रस्त हो रही है, ठीक उतना ही छोटे दुकानदार इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। महंगाई के कारण बाजारों में सन्नाटा छाया है। लोग भवन निर्माण कार्यों में अब विलंब करने की सोच बना रहे हैं। सीमेंट, सरिया, रेत, बजरी, लोहा, सोना, चांदी, ईंट, सटील, हार्ड वेयर, मनियारी के दाम बढ़ने की वजह से दुकानदारों के कारोबार पर विपरीत असर पड़ा है। बैंकों से ऋण लेकर व्यवसाय चलाने वाले दुकानदारों के लिए यह समय किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं रहा है। गेहूं कटाई का काम लगभग खत्म हो रहा है और अब खेतों की जुताई चल रही है। डीजल के दाम बढ़ने के कारण आजकल खेतों की जुताई बहुत महंगी हो चुकी है। ट्रैक्टर मालिक अपनी मनमर्जी से खेतों की जुताई के अतिरिक्त दाम किसानों से वसूल कर रहे हैं। चार सौ रुपए कमाने वाला दिहाड़ीदार मजदूर आज के दौर में किस तरह अपने परिवारों का जीवन यापन करे, यह बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव में हारने के बाद भाजपा सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर जीएसटी में कटौती करके महंगाई कम करने में अपना अहम योगदान दिया था। प्रदेश सरकार ने जनता की हरसंभव मदद करके पूरे देश में नाम कमाया था।

 अब यूक्रेन-रूस की आपसी लड़ाई की वजह से पैट्रोल, डीजल और गैस के दामों में कई गुणा वृद्धि विश्व स्तर पर हो चुकी है। अकेले भारत को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना नासमझी है। सरकारों का यही दायित्व बनता है कि वे वस्तुओं के मनमाने दाम वसूलने वालों के खिलाफ शिकंजा कसते हुए जनता को राहत पहुंचाएं। पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों में जब तक कटौती नहीं होती तब तक महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं हैं। जरूरी है कि अब यूक्रेन-रूस युद्ध बंद करवाया जाए जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ा है। सरकारी मशीनरी को समय रहते बाजारों का औचक निरीक्षण करना चाहिए। अपनी मनमर्जी से वस्तुएं कई गुणा अतिरिक्त दामों में बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लानी चाहिए। दुकानदारों ने कोरोना वायरस और रूस-यूक्रेन युद्ध की आड़ में स्वयं महंगाई बढ़ाई है। ऐसे दुकानदार जनता को दोनों हाथों से लूटने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। सरकार की अनुमति के बिना सामान महंगा बेचना सरासर गलत है। हिमाचल प्रदेश सरकार प्रशासनिक अधिकारियों को हिदायत जारी करे कि वे बाजारों का औचक निरीक्षण करके महंगाई बढ़ाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिमाचल प्रदेश आगमन के मौके पर सस्ते राशन पर सबसिडी यथावत रखने का ऐलान करके जनता और प्रदेश सरकार को राहत पहुंचानी चाहिए।

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं


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