प्रतियोगी परीक्षा संचालन को कड़े प्रबंध हों

By: May 11th, 2022 12:06 am

शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल ने बेशक दूसरा स्थान प्राप्त किया है, मगर जेओए की परीक्षा में करीब 1.18 लाख युवाओं का बैठना इस बात को दर्शाता है कि हम भयावह बेरोजगारी के दौर से गुजर रहे हैं…

हिमाचल प्रदेश में आयोजित हो रही प्रतियोगी परीक्षाएं अब मजाक बन चुकी हैं। लोग पैसे के दम पर प्रश्न पत्र लाखों रुपए में खरीदकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जा रहे हैं। कल तक यही कयास लगाए जा रहे थे कि सिर्फ जेओए प्रश्नपत्र लीक मामले में एसआईटी का गठन किया गया है। पुलिस ने अब पुलिस भर्ती परीक्षा प्रश्नपत्र मामले में भी तीन अभ्यर्थियों सहित एक स्कूल कर्मचारी को इस मामले में गिरफ्तार किया है। इससे तमाम ऐसी आयोजित हुई परीक्षाएं संदेह के घेरे में हैं। जेओए का प्रश्नपत्र लीक करने वाला और लीक पेपर से उत्तर तलाश करके उत्तर पुस्तिका में लिखने वाला भी एक ही संस्थान के दोनों निकलें तो मामला गहन जांच का है। क्या ऐसे निजी कालेज प्रबंधक अब तक प्रश्नपत्र समय से पहले ही लीक करके अपनी जेबें भरते रहे, यह सवाल उठ रहा है। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जा रही परीक्षाएं मजाक का पात्र न बन जाएं, इसके लिए सुरक्षा प्रबंध कड़े करने की जरूरत है। पुलिस परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने का विवाद अभी थमा नहीं और अब जेओए का नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो अब लगभग सभी परीक्षाएं आजकल नियमों को ताक पर रखकर ली जा रही हैं। स्मार्ट मोबाइल फोन का प्रचलन नकल को अधिक बढ़ा रहा है। अक्सर ऐसी विवादित परीक्षाओं के मामले न्यायालय में चले जाने से मेहनती छात्रों का भविष्य अधर में लटक रहा है। जूनियर आफिस असिस्टेंट (जेओए) आईटी का पेपर लीक होना देवभूमि की साख को धूमिल कर रहा है।

 निजी कालेज प्रबंधक दिल्ली से आने वाली निरीक्षण टीमों को ही लाखों रुपए की रिश्वत नहीं चढ़ा रहे हैं, बल्कि युवाओं में नकल का प्रचलन बढ़ाने में भी मशगूल हैं। नेरचौक कालेज के तीन स्टाफ सहित 9 लोग इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं जो परीक्षा शुरू होने से पहले आधा घंटा प्रश्नपत्र लीक करने की गलती कर बैठे। जेओए के तीन सौ पदों के लिए पूरे प्रदेश में 517 परीक्षा केंद्र बने थे जिनमें सवा लाख अभ्यर्थियों को कॉल लैटर भेजे गए थे। करीब एक लाख अठारह हजार युवाओं ने जेओए की परीक्षा दी है। जाहिर बात है कि लाखों युवाओं ने रोजगार से जुड़ने का सपना संजोया होगा। एक परीक्षा केंद्र स्टाफ की गलती की वजह से तमाम परीक्षा केंद्रों की गहनता से जांच किया जाना एसआईटी के लिए जरूरी बन गया है। कल तक सुंदरनगर निजी कालेज नेरचौक को प्रश्नपत्र लीक किए जाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा था। फिलहाल पुलिस ने दर्जनभर स्टाफ के मोबाइल फोन से डाटा खंगालने का अभियान शुरू किया है। जल्द ही अब अन्य मछलियां भी पुलिस के हत्थे चढ़ने की उम्मीद है। स्मार्ट मोबाइल फोन से पेपर लीक किए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई ऐसे मामले उजागर हो चुके हैं। बावजूद इसके प्रदेश सरकार ने ऐसी परीक्षाओं में स्मार्ट मोबाइल फोन परीक्षा केंदों में लेकर जाना प्रतिबंधित नहीं किया। इस मामले से एक बात साफ हो जाती है कि परीक्षा केंद्रों के स्टाफ के पास परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन बंद रहना चाहिए। बेरोजगारी युवाओं को दीमक की तरह चाट रही है। नतीजतन युवा बेरोजगारी की चक्की में पिसकर नशों के आदी ही नहीं बने, आत्महत्या जैसी अनहोनी घटनाओं को अंजाम दिए जाने के लिए मजबूर हुए हैं। कोरोना वायरस काल के दौरान बेरोजगारी ने इस कदर भयावह रूप धारण कर लिया कि निजी क्षेत्रों में काम करने वाले अधिकतर लोगों का रोजगार छिन गया।

 बेरोजगार युवा नौकरी पाने के लिए समाचारपत्रों पर टकटकी यह सोचकर लगाए रखते कि कहीं सरकार ने कोई रोजगार के पद सृजित न किए हों। अनुबंध आधार पर रोजगार हासिल करने के लिए भी युवाओं को कई औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है। भारी भरकम प्रतियोगी परीक्षा की फीस भरनी पड़ती है। कोर्ट-कचहरी में कई दस्तावेज बनाने के लिए लाइनों में खड़ा होने के लिए मजबूर होना पड़ता है। परीक्षा केंद्रों में कई किलोमीटर का सफर तय करके जाना पड़ता है। परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्थाओं के चलते हर बार प्रश्नपत्र लीक मामले उजागर होना एक तरह से मजाक बन गया है। परीक्षा केंद्रों में  सीसीटीवी कैमरों व सुरक्षा कर्मियों का अभाव तथा इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक न होने का खामियाजा भी परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ता है। अधिकतर छात्रों के पास आजकल के दौर में स्मार्ट मोबाइल फोन उपलब्ध हैं। परीक्षा केंद्रों में कुछेक परीक्षार्थी स्मार्ट मोबाइल फोन के माध्यम से नकल किए जाने की फिराक में रहते हैं। परीक्षार्थी अक्सर स्मार्ट मोबाइल फोन से प्रश्नपत्र अपने दोस्तों को फोन पर भेजकर उसका जवाब मांगते हैं। परीक्षा केंद्रों में तैनात स्टाफ स्वयं स्मार्ट मोबाइल फोन पर व्यस्त होने की वजह से इस फर्जीवाड़े को रोकने में नाकाम रहता है। ऐसा आलम सिर्फ रोजगार संबंधी ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं का नहीं, अन्य परीक्षाएं भी इसी तरह से होती हैं। छात्र स्मार्ट मोबाइल फोन को आजकल एक गाइड की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

 परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर वे स्मार्ट मोबाइल फोन में रखकर नकल मारने की फिराक में रहते हैं। वहीं स्टाफ भी स्मार्ट मोबाइल फोन का परीक्षा केंद्रों में दुरुपयोग न करता हो, ऐसा विश्वास अब करना मुश्किल है। परीक्षाएं शुरू होने से पहले ही छात्रों के स्मार्ट मोबाइल फोन स्विच ऑफ करके सुरक्षा कर्मियों के  सुपुर्द किए जाने चाहिए। परीक्षा संचालकों की लापरवाही की वजह से लाखों युवाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। प्रतियोगी परीक्षाओं से सरकारें भारी भरकम राजस्व वसूल करने में सफल हो जाती हैं, मगर परीक्षार्थियों को सिवाय मानसिक प्रताड़ना के कुछ हासिल नहीं होता है। सरकारें प्रश्नपत्र लीक होने के बाद ऐसी परीक्षाएं रद्द किए जाने के लिए मजबूर हो जाती हैं। वहीं कई बार युवा ऐसी परीक्षाओं के परिणाम से नाखुश होकर न्यायालय की शरण में चले जाते हैं। न्यायालय ऐसे मामलों का फैसला दशकों बाद देते हैं जिसके चलते युवाओं की सभी आशाओं पर पानी फिर जाता है। राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते भी कई बार ऐसे मामले जानबूझ कर न्यायालय में चलाए जाते हैं जिससे कोई लाभ नहीं ले सके। कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रतियोगी परीक्षाएं अब मजाक बनकर रह गई हैं। शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश ने बेशक दूसरा स्थान प्राप्त किया है, मगर जेओए के तीन सौ पदों के लिए करीब एक लाख अठारह हजार युवाओं द्वारा इस परीक्षा में बैठना इस बात को दर्शाता है कि हम भयावह बेरोजगारी के दौर से गुजर रहे हैं। परीक्षाओं के संचालन के लिए कड़े प्रबंध करने होंगे।

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं


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