बिम्सटेक देशों से व्यापार की संभावनाएं

हम उम्मीद करें कि बिम्सटेक देश पांचवें शिखर सम्मेलन में सुनिश्चित किए गए संगठन के चार्टर और परिवहन मास्टर प्लान के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेंगे। साथ ही आपसी कारोबार बढ़ाने के लिए शुल्क बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ मंजूरी प्रक्रिया, नियमन और मानक जैसी बाधाओं के अविश्वास के संकट को भी दूर करेंगे। हम उम्मीद करें कि बिम्सटेक देश बिम्सटेक एफटीए के माध्यम से दुनिया के मजबूत मुक्त व्यापार संगठन के रूप में आगे आएंगे…

इस समय भारत के लिए बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्नोलॉजिकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) देशों के साथ व्यापार की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। भारत के द्वारा बिम्सटेक देशों को संगठित करने का एक बड़ा कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के तहत पाकिस्तान के द्वारा पिछले कई वर्षों से आतंकवाद को प्रोत्साहन देने के कारण पड़ोसी देशों के साथ कारोबार संबंधी निराशाओं का परिदृश्य भी है। गौरतलब है कि बिम्सटेक के 7 सदस्य देशों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं जिनमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो, म्यांमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं। विगत 30 मार्च को बिम्सटेक का पांचवां शिखर सम्मेलन श्रीलंका की मेजबानी में आयोजित हुआ। इस शिखर सम्मेलन में डिजिटल माध्यम से अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहां कोविड-19 और यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण यूरोप में बदले हुए घटनाक्रम से अंतरराष्ट्रीय कारोबार व्यवस्था की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लग गया है, वहीं बिम्सटेक देशों के बीच आपसी व्यापार का नया दौर निर्मित हुआ है। मोदी ने कहा कि ऐसे में जरूरी हो गया है कि बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग को और सक्रिय बनाया जाए। साथ ही बंगाल की खाड़ी को आपसी कारोबार वृद्धि, संपर्क, स्वास्थ्य और सुरक्षा का सेतु बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच परस्पर व्यापार बढ़ाने के लिए बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) प्रस्ताव पर आगे बढ़ना जरूरी है। साथ ही सदस्य देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने और व्यापार सहयोग के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों को भी अपनाए जाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि 6 जून 1997 को स्थापित बिम्सटेक एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है। इसके मुख्य उद्देश्यों के तहत तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, क्षेत्रीय सुरक्षा व क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाकर सामाजिक प्रगति में तेजी लाना और सामान्य हित के मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। वस्तुतः बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित इसके सदस्य देश क्षेत्रीय एकता के प्रतीक हैं। बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया के बीच संपर्क बनाता है बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि बिम्सटेक आर्थिक विकास का शक्तिशाली इंजन है। इस क्षेत्र की तेजी से बढ़ती विकास दर से बिम्सटेक की अहमियत बढ़ी है। खासतौर से भारत के लिए बिम्सटेक का बड़ा महत्त्व है। इस संगठन में भारत की सीमा के नजदीकी क्षेत्रों को प्रधानता दी गई है तथा यह संगठन भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है। यह संगठन बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों में चीन के ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (ओबीओआर) इनिशिएटिव के विस्तारवादी प्रभावों से भारत को मुकाबला करने का अवसर प्रदान करता है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि पाकिस्तान और चीन दोनों मिलकर ओबीओआर जैसे भारत के प्रतिकूल आर्थिक कदमों में जिन बिम्सटेक देशों का साथ ले रहे हैं, वे देश भी बिम्सटेक के कारण भारत के साथ कारोबारी सहभागिता बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले 5-6 वर्षों में बिम्सटेक देशों के साथ भारत का कारोबार तेजी से बढ़ा है और भारत लाभ की स्थिति में है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत के द्वारा बिम्सटेक देशों को संगठित करने का एक बड़ा कारण पाकिस्तान के द्वारा पड़ोसी देशों के साथ कारोबार संबंधी निराशा भी है।

 पिछले दिनों पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के द्वारा अपनाए गए भारत विरोधी रवैये के कारण एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के आपसी कारोबार बढ़ने की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं। यद्यपि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) बहुत पहले 1985 में अस्तित्व में आया है और 1994 में दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) के समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं तथा फिर साफ्टा समझौता जनवरी 2006 से लागू हुआ, लेकिन अब तक पाकिस्तान की आतंकी और व्यापारिक रुकावटों के कारण सार्क देशों में हुए व्यापार समझौते का कोई खास प्रभाव उनके आपसी कारोबार पर दिखाई नहीं दिया है। पाकिस्तान के प्रतिकूल एवं अडि़यल आर्थिक रैवये और आतंकवाद को प्रश्रय के कारण ही सार्क के तहत चमकीली आपसी विदेश व्यापार की संभावनाएं रखने वाला दक्षिण एशियाई क्षेत्र आपसी विदेश व्यापार में बहुत पीछे है। यही कारण है कि फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक तरजीही वाले देश (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया। चूंकि पाकिस्तान के स्वार्थी रवैये के कारण अब सार्क महत्त्वहीन हो गया है, ऐसे में बिम्सटेक भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक प्रभावी मंच प्रदान करता है। चूंकि कोविड-19 की चुनौतियों व रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया में भारत की बढ़ती नई अहमियत के साथ-साथ भारत की आर्थिक और कारोबार तेजी अनुभव की जा रही है। भारत की विकास दर पिछले वर्ष 2021-22 में करीब 8 फीसदी की ऊंचाई के साथ विश्व में सर्वाधिक स्तर पर रहने के बाद अब यूक्रेन संकट के बीच भी चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 7.5 फीसदी के करीब रहने की संभावना है। ऐसे में बिम्सटेक देशों के साथ भारत का कारोबार तेजी से बढ़ना भारत के साथ-साथ अन्य छह देशों के लिए भी लाभप्रद होगा। निश्चित रूप से इस समय वैश्विक आर्थिक, भू-राजनीतिक और सैन्य चुनौतियों के बीच बिम्सटेक की अहमियत बढ़ गई है। ऐसे में बहुआयामी उद्देश्य वाले बिम्सटेक की कमियों को दूर किए जाने पर भी ध्यान देना होगा।

 ज्ञातव्य है कि बिम्सटेक में एफटीए पर वर्ष 2004 में चर्चा की गई थी, लेकिन अभी तक उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है। बिम्सटेक को अधिक प्रभावी बनाने के लिए शीघ्रतापूर्वक एफटीए को आकार दिया जाना होगा। बिम्सटेक ने प्रति दो वर्षों में शिखर सम्मेलन, प्रतिवर्ष मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक केवल पांच शिखर सम्मेलन हुए हैं। ऐसे में अब मंत्रिस्तरीय बैठकों और शिखर सम्मेलन के आयोजन में नियमितता जरूरी है। हम उम्मीद करें कि बिम्सटेक देश पांचवें शिखर सम्मेलन में सुनिश्चित किए गए संगठन के चार्टर और परिवहन मास्टर प्लान के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेंगे। साथ ही आपसी कारोबार बढ़ाने के लिए शुल्क बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ मंजूरी प्रक्रिया, नियमन और मानक जैसी बाधाओं के अविश्वास के संकट को भी दूर करेंगे। हम उम्मीद करें कि बिम्सटेक देश बिम्सटेक एफटीए के माध्यम से दुनिया के मजबूत मुक्त व्यापार संगठन के रूप में आगे आएंगे। ऐेसा किए जाने से बिम्सटेक देशों में न केवल अरबों डॉलर की नई कमाई व रोजगार को गति दी जा सकेगी, वरन क्षेत्रीय अस्थिरता, क्षेत्रीय विषमता, गरीबी, पिछड़ेपन और बीमारियों को बहुत कुछ दूर करके बिम्सटेक क्षेत्र को एक खुशहाल क्षेत्र भी बनाया जा सकेगा।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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