बैजनाथ डिपो में खराब खड़ी 24 बसें

By: Jun 13th, 2022 12:21 am

लांग रूट पर खटारा बसों को ले जाने से कतराने लगे ड्राइवर, मेकेनिक न होने से बसों की नहीं हो रही मरम्मत

कार्यालय संवाददाता- बैजनाथ
एक और जहां बैजनाथ में 19 करोड़ की लागत से बनने जा रहे नए बस अड्डे के निर्माण की कवायद शुरू हो गई। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश के सबसे पुराने डिपो में शुमार बैजनाथ का निगम का डिपो खस्ताहाल स्थिति में पहुंच गया है, जो कभी भी बंद हो सकता है। हालात इस डिपो पर ताले लगने जैसे ही गए हैं। ऐसे में 19 करोड़ की लागत से बैजनाथ में बनने जा रहा यह बस अड्डा किस काम का। मौजूदा हालात यह हैं कि इस डिपो के चालक दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, हरिद्वार व देहरादून जैसे बाहरी राज्यों को जाने वाली बसें नहीं ले जाना चाहता, उन्हें यह डर सताता रहता है कि न जाने कब कहां ये खट्टारा बसें जवाब से जाएं। शनिवार रात को चंडीगढ़ में बार-बार बसों के खराब हो जाने, बार-बार टायर पंचर हो जाने से परेशान सवारियों ने निगम प्रबंधन के विरुद्ध जम कर नारे लगाए। चालकों को कोसने में कसर नहीं छोड़ी। चालकों के साथ लड़ाई-झगड़ा करने पर उतारू हो गए। आज बैजनाथ के डिपो का यह हाल है कि 100 से ऊपर के रूटों वाले इस बस डिपो में अब 85 रूट बाकी बचे हैं, जिनके लिए मात्र 65 बसें ही रह गई हैं, जबकि कायदेनुसार इस डिपो के लिए 100 बसें चाहिए। मगर जो हैं उनकी भी यह हालत है कि करीब 24 बसें खराब हालत में रिपेयर के लिए खड़ी हैं, मगर उनको रिपेयर करने के लिए मेकेनिक ही नहीं हैं।

यही नहीं, कई बसें 10 से 14 लाख किलोमीटर का माइलेज पूरी कर चुकी हैं। कायदे अनुसार आठ लाख किलोमीटर माइलेज पूरी करने के बाद यह कंडम कर दी जाती थी। आज हालत यह हो चुके हैं कि इस डिपो में 15 मेकेनिक की कमी चल रही है। जितने रूट हैं उस हिसाब से 107 चालक व इतने ही परिचालक चाहिए। मगर यहां पर 82 चालक हैं उनमें से भी 12 चालक कोई तो अड्डा ड्यूटी कोई डीजल पंप पर कोई अन्य जगहों पर ड्यूटी दे रहे हैं। यही हाल परिचालकों के हैं। आज 66 परिचालक हैं, उनमें भी कई अलग-अलग ड्यूटी दे रहे हैं।आज बसों को धोने बाला कमानी ठीक करने वाला कोई नहीं। कमानी वाले एक या दो हैं, मगर वह अपनी ड्यूटी आफ कर चले, जाएं तो उनकी जगह कोई नहीं रहता है। हैरानी इस बात की है की निगम के बेड़े में नई बसें आईं, मगर बैजनाथ डिपो के लिए एक भी बस नही पहुंच पाई। इसे किसका कसूर माना जाए। अगर इस डिपो को 10 से 15 नई बसें नहीं मिली, तो यहां की खट्टारा बसों के चलते यह बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा। इस बारे यहां के नुमाइंदों को भी सोचना चाहिए।


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