कहीं आप मानसिक बीमार तो नहीं?

केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में चिंता विकारों की समस्या अधिक है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा पीडि़त हैं। 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में विकारों का खतरा अधिक है…

विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि दुनिया भर में क़रीब एक अरब लोग मानसिक विकार के किसी न किसी रूप से पीडि़त हैं। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने चिंता व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि हर सात पीडि़तों में से एक किशोर है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के पहले वर्ष में मानसिक अवसाद और व्यग्रता (एंग्जायटी) में 25 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने नए विश्लेषण को इस सदी के आरंभ से अब तक, मानसिक स्वास्थ्य के विषय में अब तक की सबसे बड़ी समीक्षा बताया है, और सदस्य देशों से बदतर होते हालात से निपटने के लिए ज़रूरी उपाय करने का आग्रह किया है। भारत मंे भी समस्या बढ़ रही है। मानसिक विकार या मानसिक बीमारी ऐसे विषय हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग बात करते हैं। अक्सर इस स्थिति के शिकार को खुद ही इसका अंदाजा नहीं लग पाता है। लेकिन इसका असर हमारी पर्सनल लाइफ और वर्क लाइफ पर पड़ता है। इसमें इनसान की कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। महिलाओं पर इसका असर भयानक होता है। मानसिक बीमारी और व्यक्तित्व विकार जैसी स्थितियों के कुछ खास लक्षण और कारण हैं। मानसिक बीमारी जिसे मानसिक स्वास्थ्य विकार भी कहा जाता है, इसमें ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं जिससे व्यक्ति की मनोदशा, सोच और व्यवहार प्रभावित होता है। जैसे डिप्रेशन, चिंता विकार, सिजोफ्रेनिया, ईटिंग डिसऑर्डर, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर आदि। कई लोगों को समय-समय पर घर, ऑफिस या पैसे से संबंधित मानसिक चिंताएं होती हैं, लेकिन यही मानसिक चिंताएं जब काफी समय तक चलती रहती हैं तो ये मानसिक विकार में बदल जाती हैं। मेंटल डिसऑर्डर से ग्रसित इनसान को उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सा के साथ-साथ परिवार और दोस्तों के साथ की भी आवश्यकता होती है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के आनुवांशिक, वातावरण, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आदि कारण हो सकते हैं। मानसिक बीमारी होने की शंका उन लोगों में बढ़ जाती है जिनके परिवार में किसी को पहले मानसिक बीमारी रही हो। जैसे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर्स, मंदबुद्धि होना, सिजोफ्रेनिया आदि रोग उन लोगों में ज्यादा मिलते हैं जिनके परिवार में पहले कोई इन बीमारियों से पीडि़त हुआ हो। गर्भ के दौरान लिया गया ज्यादा स्ट्रेस, विषाक्त पदार्थों का सेवन, शराब या ड्रग्स कभी-कभी बच्चे में मानसिक बीमारी का कारण बनते हैं।

 आपसी संबंधों में तनाव की स्थिति, किसी प्रिय व्यक्ति की मौत, शादी/प्यार में असफलता आदि मनोरोगों के कारण बन सकते हैं। मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का एक कारण न्यूरोट्रांसमीटर में आया हुआ परिवर्तन भी हो सकता है। दरअसल न्यूरोट्रांसमीटर मस्तिष्क रसायन हैं जो संकेतों को आपके मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों तक ले जाते हैं। जब इन रसायनों से जुड़ा नर्वस सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है तो मानसिक विकार जन्म लेते हैं। मानसिक विकार के सामान्य लक्षण क्या हैं? आइए, जानें। अधिकतर मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों के लक्षण लगभग समान ही होते हैं। इनमें प्रमुख हैं सामाजिक लोगों से कटाव और अकेले रहना, याददाश्त कमजोर होना, उदास महसूस करना, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी, किसी भी गतिविधि में भाग लेने के लिए इच्छा की कमी, अपने आप से ही कटा-कटा महसूस करना, कामकाज में असामान्यता, खेल आदि में अरुचि, एकाग्रता में समस्या, अत्यधिक क्रोध आना, डर या दूसरों के प्रति शक, मनोदशा में अत्यधिक परिवर्तन, हिंसक व्यवहार, हमेशा नर्वस महसूस करना, शराब या नशीली दवाओं का सेवन करना, अजीब व्यवहार करना आदि हैं। ऐसे में खुद को पता ही नहीं लगता कि कहीं हम मानसिक बीमार तो नहीं हैं? फिर भी कुछ लक्षणों से भी मानसिक रोग के शिकार होने का पता लग जाता है, जैसे खुद से नफरत करने लगना, खुद को खत्म करने की भावना आना, ये याद न रहना कि आप आखिरी बार कब खुश थे, बिस्तर से उठाना या नहाने जैसे कार्यों को करना बहुत बड़ा काम लगने लगना, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (व्यक्तित्व विकार) के शिकार या फिर मानसिक रूप से अस्वस्थ इनसान के सोचने, भावनाओं को महसूस करने और व्यवहार करने का तरीका आम व्यक्ति से बिल्कुल अलग होता है। आमतौर पर ऐसा इनसान हर समय एक जैसा ही व्यवहार करता है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी ऐसा ही एक मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति के व्यवहार में बहुत ज्यादा बदलाव आ जाते हैं। इन बदलावों की वजह से रोगी की दिनचर्या बहुत बुरी तरह से प्रभावित होने लगती है।

 इस तरह के मानसिक विकारों की खास बात यह होती है कि खुद पीडि़त व्यक्ति को एहसास नहीं होता कि वह किसी मानसिक समस्या का शिकार हुआ है। किसी व्यक्ति में पर्सनैलिटी डिसऑर्डर तो नहीं है, यह जांचने के लिए व्यक्ति में दिखने वाले कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं जैसे कि किसी के व्यवहार में अचानक से बहुत ज्यादा बदलाव आ जाना, दूसरे लोगों पर बहुत अधिक निर्भर रहने लग जाना, सामाजिक रूप से अलग-थलग रहना, हर किसी से घुलना-मिलना बंद कर देना, अचानक बहुत अधिक गुस्सा करना, अचानक बहुत शांत हो जाना, हमेशा डरे-डरे रहना, अपने ऊपर नियंत्रण न रख पाना, अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते न बना पाना, अपने आसपास लोगों को शक की नजरों से देखना, बात करने में कतराना, भीड़ में जाने से डरना आदि। एक अध्ययन के मुताबिक करीब 20 करोड़ लोग या हर सातवां भारतीय किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में पता चला है कि 5 करोड़ लोग आम मानसिक विकार, अवसाद और 4.50 करोड़ लोग बेचैनी से पीडि़त हैं। जबकि 10 करोड़ लोग अन्य मनोरोग से पीडि़त हैं। जबकि मानसिक विकार से संबंधित प्रोफेशनल्स की भारी कमी है। मानसिक विकारों के चलते देश में लगभग 700 लोग रोजाना मौत को गले लगा लेते हैं। 15-39 साल के लोग अवसादग्रस्त होकर सबसे ज्यादा खुदकुशी करते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य में समस्या के कारण भारत को 2012 और 2030 के बीच 1.03 ट्रिलियन अमरीकी डालर का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है।

 सामाजिक भय के कारण भी लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। देश में उपचार का अंतर 70 फीसदी है। अर्थात इतने फीसदी लोग बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में चिंता विकारों की समस्या अधिक है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा पीडि़त हैं। 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में विकारों का खतरा अधिक है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य चिकित्सा सेवाओं में शामिल करना चाहिए। अगर किसी को लगातार चिंता-तनाव है, अवसाद का अनुभव करता है, तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। मानसिक विकार का होना हेल्थ के लिए नुकसानदेह है। इसे कभी भी हलके से न लिया जाए तो बेहतर है। योग, म्यूजिक थेरेपी, मोबाइल का कम इस्तेमाल, छोटी-छोटी बातों को दिल पर न लगाना, लाइफ स्टाइल में बदलाव, काउंसिलिंग, अकेले न रहना, पूर्वाग्रहों से ग्रस्त न होना, दूसरे की तरक्की में ईर्ष्यालू न होना, संतुष्ट रहना, थोड़ा आध्यात्मिक रहना, ईश्वर के साथ जुड़े रहना, गीता सार समझ लेना और अपनाना, लालच त्यागना, पैसे इकट्ठे करने की दौड़ में न पड़ना, षड्यंत्र करने की प्रवृत्ति को त्यागना, लाइफ स्टाइल को ठीक बनाना, काम को टालने की आदत न डालना जैसे अनेक बिंदु हमें मानसिक विकारों के बुरे प्रभाव से बचा सकते हंै।

डा. वरिंदर भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल :  hellobhatiaji@gmail.com


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