सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय आर्थिकी

यद्यपि देश के कुछ उत्पादक चीन के कच्चे माल का विकल्प बनाने में सफल भी हुए हैं, परंतु अभी इन क्षेत्रों में अतिरिक्त प्रयासों से चीन तथा अन्य देशों से आयात को कम किए जाने की जरूरत बनी हुई है। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अधिक निर्यात, मजबूत घरेलू मांग, विनिर्माण और सर्विस सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन, ज्यादा कृषि उत्पादन, अच्छे मानसून और ग्रामीण भारत के प्रति सरकार की समर्थनकारी नीति से देश की विकास दर दुनिया की सर्वाधिक विकास दर बनी रहेगी। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष में सरकार अर्थव्यवस्था में निजी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कुछ खास कदम उठाएगी तथा महंगाई की चुनौती से पार पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी…

31 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 8.7 फीसदी रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर में 6.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। खास बात यह है कि राजकोषीय घाटा अनुमान से भी कम जीडीपी का 6.7 फीसदी ही रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पिछले वित्त वर्ष की विकास दर 8.7 फीसदी पहुंचाने में देश से निर्यात में लगातार वृद्धि, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ऊंचाई, निजी उपयोग के साथ सरकारी पूंजीगत खर्च में इजाफा, कृषि क्षेत्र की मजबूत वृद्धि, खाद्यान्न के पर्याप्त भंडार की अहम भूमिका रही है। वर्ष 2021-22 में उत्पाद निर्यात लक्ष्य से भी अधिक 419 अरब डॉलर से अधिक रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2021-22 में  भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा 19 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर का रिकॉर्ड एफडीआई प्राप्त किया है। पिछले वर्ष 2020-21 में देश में 81.97 अरब डॉलर का एफडीआई हुआ था।

 गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि जी-20 देशों में भारत सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाला देश है और देश में अब तक का सबसे ज्यादा पूंजी निवेश हुआ है। इस समय वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच भी तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की अहमियत बढ़ गई है। केंद्र सरकार कृषि के विकास और किसानों को सामर्थ्यवान बनाने के लिए पिछले 8 वर्षों में अभूतपूर्व कदम उठाते हुए दिखाई दी है। 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में आयोजित गरीब कल्याण सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 21000 करोड़ रुपए से अधिक की सम्मान निधि राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की। इस किस्त के साथ ही केंद्र सरकार अब तक सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की रकम ट्रांसफर कर चुकी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत के करोड़ों लोगों को गरीबी और महंगाई के नए चक्रव्यूह से बचाने और दुनिया के जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न की उपयुक्त आपूर्ति के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपनाई गई कृषि विकास एवं खाद्यान्न उत्पादन के अभूतपूर्व प्रोत्साहनों की दूरदर्शी रणनीतियां में उन रणनीतियों के सफल क्रियान्वयन की अहम भूमिका है। कृषि मंत्री तोमर के मुताबिक किसानों की तपस्या, किसान कल्याण एवं कृषि विकास के लिए अनेक अभिनव पहल के रूप में योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सफल क्रियान्यवन, सरकार के द्वारा पिछले आठ वर्षों में कृषि बजट में करीब छह गुना वृद्धि, कृषि स्टार्टअप, कृषि क्षेत्र में ड्रोन का प्रयोग, कृषि शोध और कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से देश में कृषि एवं किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल गई है।

यह बात महत्त्वपूर्ण है कि पड़ोसी, गरीब और अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार के द्वारा गेहूं का निर्यात उपयुक्त रूप से किया जाता रहेगा। यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोविड-19 और यूक्रेन संकट के बीच भी दुनिया के प्रमुख देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार बढ़ रहा है। यह परिदृश्य देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद है। हाल ही में 24 मई को अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक मंच क्वाड के दूसरे शिखर सम्मेलन में चारों देशों ने जिस समन्वित शक्ति का शंखनाद किया है और बुनियादी ढांचे पर 50 अरब डॉलर से अधिक रकम लगाने का वादा किया है, उससे क्वाड भारत के उद्योग-कारोबार के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके अलावा हाल ही के वर्षों में जी-7 और जी-20 देशों के साथ भारत के व्यापार संबंधों और इसी वर्ष यूरोपीय देशों के साथ किए गए नए आर्थिक समझौतों के क्रियान्वयन से भारत का विदेश व्यापार बढ़ेगा। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत ने बहुत कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्तरूप दिया है। अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं सुकूनदेह हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अर्थव्यवस्था को सुकून देने के लिए बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए आयात से संबंधित प्रमुख उत्पादों के घरेलू उत्पादन बढ़ाकर चीन और अन्य देशों से व्यापार घाटा कम किया जा सकता है।

 पिछले 6-7 वर्षों से चीन से व्यापार घाटा घटाने के लिए सरकार के द्वारा कई रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। इनमें टिक टॉक सहित विभिन्न चीनी एप पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्रण, कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति जैसे जो विभिन्न प्रयास किए गए हैं, उन्हें और गतिशील किया जाना होगा। इस ओर भी ध्यान दिया जाना होगा कि देश में अभी भी दवाई उद्योग, मोबाइल उद्योग, चिकित्सा उपकरण उद्योग, वाहन उद्योग तथा इलेक्ट्रिक जैसे कई उद्योग बहुत कुछ चीन से आयातित माल पर आधारित हैं। ऐसे में चीन के कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष में सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 13 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं, उनके पूर्ण उपयोग पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। यद्यपि देश के कुछ उत्पादक चीन के कच्चे माल का विकल्प बनाने में सफल भी हुए हैं, परंतु अभी इन क्षेत्रों में अतिरिक्त प्रयासों से चीन तथा अन्य देशों से आयात को कम किए जाने की जरूरत बनी हुई है। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अधिक निर्यात, मजबूत घरेलू मांग, विनिर्माण और सर्विस सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन, ज्यादा कृषि उत्पादन, अच्छे मानसून और ग्रामीण भारत के प्रति सरकार की समर्थनकारी नीति से देश की विकास दर दुनिया की सर्वाधिक विकास दर बनी रहेगी। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष में सरकार अर्थव्यवस्था में निजी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कुछ खास कदम उठाएगी तथा महंगाई की चुनौती से पार पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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