चुनावी वर्ष में हमीरपुर से संगठन को धार

By: Jun 1st, 2022 12:01 am

एक दशक बाद भाजपा के गढ़ रहे जिला में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक

नीलकांत भारद्वाज-हमीरपुर

‘जब डूबने लगी कश्तियां तो याद आने लगी हस्तियां..। कुछ ऐसी ही हालत प्रदेश भाजपा और सरकार में नजर आ रही है। चार वर्षों से घोर विपक्ष में रहे जिस हमीरपुर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. धूमल की अनदेखी के आरोप कभी उनके समर्थक तो कभी कांग्रेस लगाती रही है, आज वही हमीरपुर को तो वही भाजपा को धूमल प्यारे लगने लगे हैं। कुछ दिन पहले प्रो. धूमल की शादी की सालगिरह के समारोह में शरीक होने के लिए सरकार का कैबिनेट को स्थगित करना और अब प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक का आयोजन हमीरपुर में करना इस बात को स्पष्ट कर रहा है कि भाजपा हाईकमान से लेकर प्रदेश संगठन और सरकार इस बात को जांच-परख चुका है कि प्रोफेसर साहब के बिना विधानसभा चुनावी रूपी इस परीक्षा में मैरिट लाना तो दूर पास होना भी मुश्किल है। स्वभाविक है कि जो लीडर दो बार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो और जनता के नजदीक रहा हो उनके खास चाहने वालों की एक अलग ही श्रेणी होती है।

भाजपा का बॉटम से टॉप सब इस बात को समझ चुका है कि शायद यही वजह है कि करीब एक दशक बाद हमीरपुर पार्लियमेंट्री में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक छह और सात जून को होने जा रही है। आपको बता दें कि जब प्रो. धूमल थे उस समय वर्ष 2010 में नयनादेवी में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक आयोजित हुई थी। उसके बाद 2012-13 में जब सत्ती भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो ऊना में इस बैठक का आयोजन किया गया था। 2018 में जिला मंडी में भी बैठक हो चुकी है। बता दें कि रोड और हवाई क्नेक्टिविटी को देखते हुए अकसर शिमला या फिर धर्मशाला में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठकें होती रही हैं, लेकिन इस दफा पहली बार क्योंकि एकाएक हमीरपुर में बैठक का आयोजन होने जा रहा है ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बैठक के बाद प्रदेश भाजपा की सियासत का स्वरूप कैसा होगा। क्या यह बैठक मतभेदों और मनभेदों को दूर कर पाएगी? ऐसे तमाम सवाल आज हमीरपुर की जनता और हाशिये पर चल रहे धूमल समर्थकों के मन में उठ रहे हैं। -एचडीएम


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