अब आयुर्वेद कंपनियों ने खड़े किए हाथ, केंद्र की बिल नीति का जताया विरोध,

By: Jun 12th, 2022 12:03 am

लाइसेंस शुल्क रद्द करने की उठाई मांग

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-नगरोटा बगवां
प्रदेश के आयुर्वेद दवाई निर्माताओं ने केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाए गए शुल्क पर अपनी गहन नाराजगी जाहिर की है। शनिवार को नगरोटा बगवां में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश भर के जाने-माने उद्यमियों में शामिल बीएस चंदेल, जितेंद्र सोढ़ी, उपेंद्र गुप्ता, प्रवीण शर्मा, गौरव बडोला, विकास चड्ढा, अनिल ठाकुर और मीना गुप्ता ने गत वर्ष केंद्र के आयुष मंत्रालय द्वारा पारित बिल का विरोध करते हुए इसे लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रमों के लिए घातक बताया, जिसके तहत उनके लाइसेंस शुल्क को 1600 रुपए से बढ़ाकर सीधे 12000 रुपए कर दिया गया है।

नए बिल में यह भी व्यवस्था की गई है कि आयुर्वेद दवाई निर्माताओं को एक हजार रुपए प्रति उत्पाद अतिरिक्त शुल्क जमा करवाना होगा तभी उनके लाइसेंस का नवीनीकरण संभव हो पाएगा। कंपनी मालिकों का कहना है कि जो कंपनी 100 उत्पाद बनाती है उसे एक लाख अतिरिक्त देना होगा जो न्यायसंगत नहीं । उन्होंने यह भी कहा कि गत वर्ष मार्च माह में यह बिल उस समय पारित किया गया जब कोरोना अपने यौवन पर था । इस बात का पता उन्हें इस वर्ष नवीनीकरण के दौरान लगा जिससे उद्योग से जुड़े लोगों के पांव तले जमीन खिसकी। उनका तर्क है कि सरकार एक तरफ एमएसएमई को प्रात्साहित करने के लिए ऋण आदि का दावा करती है वहीं शुल्क में भारी भरकम बढ़ोत्तरी कर उनकी कमर तोडऩे पर तुली है। उद्यमियों के कहना है कि देश भर 10 हजार कंपनियों में से 80 फीसदी लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम वर्ग में आती है जिन्हें इतना भारी भरकम शुल्क चुकाना टेढ़ी खीर साबित होगी नतीजतन उद्योग तबाही के रास्ते पर जाएंगे । उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि इससे आयुर्वेद निर्माण उपक्रम समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने प्रदेश मुख्यमंत्री से यह मांग की है कि वे प्रदेश में आयुर्वेद उद्योग के अस्तित्व को बनाए रखने में केंद्र के साथ हस्तक्षेप करें तथा लाइसेंस शुल्क को रद्द किया जाए।


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