हिमाचल शिक्षा विभाग का ‘सिग्नेचर सॉन्ग’

यह गीत प्रदेश की संस्कृति तथा लोगों की भावनाओं को व्यक्त करता है। इस गीत की रचना पर भी गहन चिंतन एवं मंथन किया गया है…

भारतवर्ष में कई राज्यों ने आधिकारिक रूप से अपने राज्य गीत को घोषित किया है जिनमें ग्यारह राज्य तथा एक केन्द्र शासित प्रदेश शामिल हैं। इन राज्य गीतों को राष्ट्रीय, प्रादेशिक या विशेष अवसरों पर गाया जाता है। हिमाचल प्रदेश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2021 में हिमाचल प्रदेश ने अपनी स्थापना स्वर्ण का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया। इसी प्रकार देश अपनी आज़ादी का 75वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। इस वर्ष प्रदेश के शिक्षा विभाग ने राज्य सिग्नेचर सॉन्ग का सृजनकर एक सराहनीय कार्य किया है। प्रदेश के लिए यह ऐतिहासिक एवं गौरवमयी घटना है। इस सिग्नेचर सॉन्ग को हिमाचल के पांच संगीत प्राध्यापकों की एक टीम ने गहन सोच, विचार-विमर्श, चर्चा तथा चिंतन के पश्चात हिंदी भाषा में लिखा तथा संगीत रचना कर स्वयं अपने स्वर में गाया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के स्वर्णिम वर्ष तथा स्वतंत्रता के 75वें अमृत महोत्सव वर्ष में इस सिग्नेचर सॉन्ग के निर्माण की प्रक्रिया उस समय शुरू कर दी थी जब 24 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रतिष्ठित कलाकारों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से यह विचार सांझा कर अपनी यह इच्छा जताई।

 इस वर्ष सरकार की प्रस्तावित स्वर्ण जयंती रथ यात्रा के लिए भी इस सिग्नेचर सॉन्ग की आवश्यकता थी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस संदर्भ में अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान के नेतृत्व में एक कमेटी गठित कर यह कार्य राज्य शिक्षा विभाग, भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग तथा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को सौंपा। हिमाचल प्रदेश राज्य शिक्षा विभाग ने इस कार्य के लिए विभागीय स्तर पर पांच सदस्यीय संगीत प्राध्यापकों की समिति गठित की। इसके लिए शिक्षा निदेशक डा. अमरजीत के. शर्मा ने 15 सितंबर 2021 को डा. गोपाल कृष्ण भारद्वाज राजकीय महाविद्यालय फाइन आर्ट्स शिमला, प्रो. सुरेश शर्मा स्वामी विवेकानंद राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं, डा. सतीश ठाकुर राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला, डा. लालचंद राजकीय फाइन आर्ट्स कॉलेज शिमला तथा डा. हेमराज राजकीय महाविद्यालय कोटशेरा, शिमला को इस गीत को तैयार करने के आदेश दिए। कई दिनों के अथक प्रयासों, चिंतन, मनन, मंथन, चर्चा तथा परिचर्चाओं के दौर से निकलते हुए इसी संगीत समिति के सदस्यों ने सामूहिक रूप से इस गीत को लिखा, स्वरबद्ध किया तथा इस गीत को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड भी किया। इसके अतिरिक्त सहयोगी स्वरों के रूप में याचिका, परूल शर्मा, रीना शर्मा, रचना शर्मा तथा नेहा दीक्षित ने महिलाओं के स्वर देकर इस संगीत कृति को अलंकृत किया। प्रदेश के प्रसिद्ध हारमोनियम वादक डा. लालचंद, बांसुरी वादक लाभ सिंह, गिटार वादक राजा, तबला वादक अमित कुमार तथा सिंथेसाइजर पर आशीष ने इस संगीत संरचना का अलंकरण किया। इस राज्य गीत को शिमला के मुकुंद स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया तथा धनंजय शर्मा ने अपने सांगीतिक एवं तकनीकी अनुभव से बड़ी कुशलता से ध्वनि अंकन किया। इस गीत में प्रदेश जनसंपर्क विभाग के अमरजीत शर्मा द्वारा सुंदर एवं आकर्षक विज़ुअल भी डाले गए। इस गीत के दो भाग हैं। एक भाग मात्र एक मिनट पच्चीस सेकंड का है जिससे विशेष अवसरों तथा विशेष गणमान्य अतिथियों सरकारी, गैर सरकारी तथा प्रदेश के महत्वपूर्ण अवसरों तथा समारोह पर गाया जाएगा।

 इसे सिग्नेचर सॉन्ग कहा गया है। दूसरा भाग इस गीत का संपूर्ण भाग है जो कि सात मिनट तथा चार सेकंड की समय अवधि का है जिसमें स्थायी के अतिरिक्त चार अंतरे हैं। यह गीत ‘प्यारा हिमाचल-न्यारा हिमाचल’ तथा ‘बढ़ता जाए-शिखर की ओर’ की टैग लाइन पर आधारित है जिसे राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय तथा अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी आयोजनों, खेल उत्सवों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों तथा सभी सरकारी विभागों के समारोहों पर गाया-बजाया जा सकता है। यह गीत विभिन्न स्तरों पर विभिन्न बैठकों में विभिन्न अधिकारियों, संगीतकारों तथा चिंतकों की अनेक चर्चाओं के पश्चात तैयार किया गया है। यह गीत प्रदेश की संस्कृति तथा लोगों की भावनाओं को व्यक्त करता है। इस गीत के शब्दों तथा साहित्यिक रचना पर भी गहन चिंतन एवं मंथन किया गया है। इसकी धुन सरल तथा सर्वग्राहय तैयार की गई है ताकि यह लोगों का लोकप्रिय गान बन सके। इस गीत के चार अंतरे हैं। पहला अंतरा स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं समर्पण, दूसरा अंतरा प्रदेश के क्रमिक विकास, तीसरा अंतरा प्रकृति दर्शन, देव संस्कृति तथा चौथा अंतरा हिम बांकुरों, वीर शहीदों की गाथा को व्यक्त करता है। साहित्यिक एवं सांगीतिक दृष्टि से जहां इस गीत से आधुनिकता की खुशबू आती है, वहीं पर स्वर-ताल एवं संगीत से प्रदेश की संस्कृति तथा वीरता की भावना प्रस्फुटित होती दिखाई पड़ती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा इस सिग्नेचर सॉन्ग का आठ जून, 2022 को हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित मेधावी छात्रों को लैपटॉप वितरण समारोह में प्रमोचन किया गया।

 इस समारोह में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, सभी काबीना मंत्री, सभी विधायक तथा उच्च शिक्षा अधिकारी उपस्थित थे। यह सिग्नेचर सॉन्ग वर्चुअल माध्यम से सभी जि़लों तथा विधानसभा क्षेत्रों के मंत्रियों की अध्यक्षता में आयोजित हुए लैपटॉप वितरण समारोहों में अध्यापकों, अभिभावकों तथा विद्यार्थियों द्वारा देखा एवं सुना गया। हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद यह इस राज्य के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसका श्रेय निश्चित रूप से राज्य के शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह, निदेशक भाषा कला संस्कृति विभाग एवं निदेशक प्रारंभिक शिक्षा पंकज ललित, निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डा. अमरजीत के. शर्मा, सह निदेशक डा. असीथ मिश्रा, अवर सचिव भाषा कला संस्कृति विभाग मनजीत बंसल, लोक संपर्क विभाग के अमरजीत शर्मा तथा इस गीत की निर्माण समिति के प्राध्यापकों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से हिमाचल के विकास, प्रकृति, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम तथा वीर गाथाओं के भावों को प्रकट करता हुआ शिक्षा विभाग द्वारा निर्मित यह सिग्नेचर सॉन्ग बनना एक ऐतिहासिक घटना है। यह गीत इसी राज्य के सभी भोले-भाले लोगों को समर्पित किया गया है जो प्रदेश के विकास एवं समृद्धि का कारण रहे हैं। प्रदेश के जन-जन को चाहिए कि वह इस गीत को अपनाए, गाए-गुनगुनाए तथा इसे अपनाकर गौरवान्वित महसूस करे।

प्रो. सुरेश शर्मा

लेखक घुमारवीं से हैं


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