अवैध संबंधों से दहकता समाज

इसमें काबिलेगौर बात यह है कि कई बार महिलाएं शर्म, झिझक या सामाजिक बदनामी की वजह से अपने परिवार के किसी पुरुष द्वारा किए जाने वाले शारीरिक शोषण को खुलकर नहीं कह पाती हैं। ऐसे में घर का ही सदस्य उनका शारीरिक शोषण करता है और महिलाएं इसका विरोध नहीं करती हैं। परिवार टूटने या बदनामी का डर उन्हें ऐसा करने से रोकता है। यही डर अपराध को लगातार होने देता है और सबको चुप रहना पड़ता है। अधिक चिंता की बात तो यह है कि कई बार कम उम्र की बच्चियां भी अवैध संबंधों की शिकार बनती हैं। वे डर की वजह से अपने साथ होने वाले अपराध को किसी से बताती नहीं हैं…

देश में अवैध संबंधों से जुड़ी ख़बरें सुर्खियां बटोर रही हैं। कुछ दिन पहले खबर थी कि पंजाब के एक शहर में पत्नी ने ऐसे संबंधों के चलते कई वर्षों के बाद विदेश से आए पति की हत्या करवा दी। इस तरह की घटनाएं पूरे देश में देखी जा रही हैं। तथ्यों पर यकीन करें तो भारत में अवैध शारीरिक संबंधों के मामले अब लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे संबंध पारिवारिक परिवेश में भी पाए जा रहे हैं और उससे बाहर भी, यानी दोनों तरफ पाए जा रहे हैं। समाज शास्त्री कहते हैं कि इसके पीछे कई कारण हैं। उनके मुताबिक, आजकल देश में सिंगल परिवार बढ़ रहे हैं। इससे पुरुष और महिलाएं दिनभर अलग-अलग रहते हैं। उन्हें टाइम पास करने के लिए किसी ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जिससे वे दिल खोलकर अपनी बातें कर सकें। इसके लिए जो भी पुरुष या महिला उनसे मिलता है, वे उसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। दूसरा कारण वर्किंग कल्चर का युग हावी होना है, क्योंकि काम के लिए आज महिलाएं और पुरुष दिनभर अपना ज्यादा समय साथ बिताते हैं, जिसके कारण एक-दूसरे के प्रति उनकी अंडरस्टैंडिंग बढ़ जाती है और दिन भर जिसके साथ वे काम करेंगे, उसके साथ एक तरह से अटैचमेंट होना एक नॉर्मल बात है।

 इसलिए भी आजकल अवैध संबंध टैबू यानी अमर्यादित नहीं रह गए हैं। सबसे बड़ी मुसीबत यह होती है कि ऐसे संबंधों में शामिल लोग न तो ठीक से मिल पाते हैं, न अलग हो पाते हैं। इस संबंध में शामिल लोग हमेशा मानसिक  तनाव में रहते हैं। उनका संस्कार कहता है कि जो कुछ वे कर रहे हैं वह कहीं न कहीं अनुचित है, पर उनकी भावना उन्हें फिर उसी रास्ते पर चलाती है। अवैध संबंध हमेशा नुक्सानदेह साबित होते हैं, लेकिन इसमें लिप्त लोग जानबूझकर इस दलदल में गिरते हैं। अवैध संबंधों के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आकड़े चौंकाने वाले हैं। खासकर देश की राजधानी दिल्ली को लेकर। ताजा आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में राजधानी दिल्ली में अवैध संबंधों को लेकर कुल 29 मामले दर्ज किए गए। यानी 2017 में हर महीने अवैध संबंधों को लेकर 2 से अधिक मामले सामने आए। दिल्ली की बढ़ती आबादी के बावजूद यह हैरान करने वाली बात है कि हर दो दिन में अवैध संबंध को लेकर हत्या तक का खुलासा होता है। आज अवैध संबंधों को लेकर पूरे देश में स्थितियां वीभत्स होती जा रही हैं। आइए, इस मुद्दे की थोड़ी बारीकी में जाया जाए। अवैध संबंध या व्यभिचार (इनसेस्ट) भारत में अपराध नहीं है। समाज इसे भले ही अपराध मानता हो, लेकिन कानूनी तौर पर इसे अपराध नहीं माना जाता है। साल 2018 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में जारकर्म (एडल्टरी) को अपराध मानने से इनकार कर दिया था। माननीय अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 को रद करते हुए कहा था कि अब यह कहने का वक्त आ गया है कि शादी में पति, पत्नी का मालिक नहीं होता है। स्त्री या पुरुष में से किसी भी एक की दूसरे पर कानूनी सम्प्रभुता सिरे से गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह प्रावधान महिला को पति की संपत्ति के रूप में पेश करता है। इससे एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचती है और उसकी सेक्सुअल चॉइस को रोका जाता है।

 चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अब यह कहने का वक्त आ गया है कि पति महिला का मालिक नहीं होता। हालांकि, कोर्ट ने अडल्टरी को तलाक के लिए आधार माना है। साथ ही ऐसे केस में पति के खुदकुशी करने पर उकसाने का केस भी चलेगा। कानून के कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि दो वयस्क लोग अगर आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाएं तो कानून की नजर में इसे अपराध नहीं माना जा सकता है। एक मत ऐसा भी है कि शारीरिक संबंध बनाना अपराध नहीं है। अगर दो वयस्क लोग आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं तो इसे अपराध कैसे माना जा सकता है। यह सामाजिक अपराध हो सकता है, नैतिक अपराध हो सकता है, लेकिन कानूनी तौर पर जुर्म नहीं हो सकता है। दो वयस्क लोगों के बीच सहमति के संबंधों को अपराध नहीं ठहराया जा सकता है। इसके अपराध न मानने की वजह भी अलग है। यह भी कहा जाता है कि दो लोगों के बीच बने शारीरिक संबंध तब अपराध होते हैं जब उसमें किसी एक पक्ष की सहमति न हो। अगर दोनों पक्षों ने सेक्सुअल इंटरकोर्स के लिए सहमति दी है तो यह अपराध नहीं है। सोशल मीडिया के युग में मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि अगर कोई इनसान पति या पत्नी अवैध संबंध में लिप्त होंगे तो सबसे पहले वो अपना मोबाइल का पासवर्ड दूसरे यानी अपने पार्टनर को नहीं बताएगा। अगर बता भी दिया तो आपके पास वो अपना मोबाइल कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। दूसरा वो अपने पार्टनर से कटा-कटा सा रहने लगेगा यानी हर पल महसूस होगा कि वो व्यक्ति आपको इग्नोर कर रहा है और अपने ही खयालों में खोया या अपने ही मोबाइल या कल में व्यस्त रहेगा। ऐसा व्यक्ति अपने पार्टनर से काफी चिड़चिड़े तरीके से व्यवहार करेगा यानी हर बात का चिढ़ के या अनमने ढंग से जवाब देगा। व्यवहार में अचानक से काफी परिवर्तन आ जाएगा। ये परिवर्तन किसी भी रूप में हो सकता है, बस आपको खुद महसूस होगा कि अचानक से आपके साथी के डेली रूटीन में और व्यवहार में अचानक से परिवर्तन आ गया है। आपके पार्टनर की आपसे शारीरिक संबंधों में अरुचि हो जाएगी, क्योंकि जब कुछ नया संबंध बनने लगता है तो पुराना संबंध अपने आप फीका रहने लगता है। माना जाता है कि 1650 तक इंग्लैंड भी ऐसे संबंधों के प्रति उदार नहीं था।

 वहां अवैध संबंधों पर मौत की सजा सुना देते थे। कबीलाई कानून में भी ऐसे ही प्रावधान थे। इन संबंधों की वजह से तमाम हत्याएं हुई हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। ग्लोबल समाज ऐसे संबंधों के प्रति हमेशा से कठोर रहा है। भारत में भी स्थिति इससे अलग कैसे हो सकती है। हम समाज में रहते हैं तो समाज के कुछ तय नियमों को हमें मानना ही होता है, लेकिन कानून अवैध संबंध को अपराध नहीं मानता है। इसमें काबिलेगौर बात यह है कि कई बार महिलाएं शर्म, झिझक या सामाजिक बदनामी की वजह से अपने परिवार के किसी पुरुष द्वारा किए जाने वाले शारीरिक शोषण को खुलकर नहीं कह पाती हैं। ऐसे में घर का ही सदस्य उनका शारीरिक शोषण करता है और महिलाएं इसका विरोध नहीं करती हैं। परिवार टूटने या बदनामी का डर उन्हें ऐसा करने से रोकता है। यही डर अपराध को लगातार होने देता है और सबको चुप रहना पड़ता है। अधिक चिंता की बात तो यह है कि कई बार कम उम्र की बच्चियां भी अवैध संबंधों की शिकार बनती हैं। वे डर की वजह से अपने साथ होने वाले अपराध को किसी से बताती नहीं हैं। बड़ी होने पर भी उनके साथ परिवार का वही सदस्य अपराध करता है, लेकिन उसे रोक नहीं पाती हैं। कई बार वे अपराध सहने की आदी हो जाती हैं। उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अगर ऐसी स्थितियां सामने आ रही हैं तो यह हम सबके लिए चिंताजनक है क्योंकि हमारे आसपास अवैध संबंधों के बढ़ते चलन से समाज दहक रहा है।

डा. वरिंदर भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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