जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही आपदाएं

By: Jul 7th, 2022 12:01 am

तापमान में बढ़ोतरी है बादल फटने का सबसे मुख्य कारण

स्टाफ रिपोर्टर – शिमला

हिमालच प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण जलवायू परिवर्तन हैं। चाहे बादल फटने की घटनाएं हो, भूस्खलन हो, बाढ़ का आना हो या फिर कोई अन्य आपदा हो। इन सबके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार का जलवायु परिवर्तन ही है। स्टेट स्ट्रैटेजी एडं एक्शन प्लान फॉर क्लाइमेट चेंज में भविष्य के तापमान को लेकर की गई भविष्यवाणी में कहा गया है कि 2030 तक प्रदेश के न्यूनतम तापमान में 1 से 5 डिग्री सेल्सियस और अधिक तापमान में 0.5 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर देखा जाएगा। एक्शन प्लान में बारिश के दिनों में बढ़ोतरी होने का दावा किया गया है। 2030 तक हिमाचल में बारिश के दिनों में 5 से 10 अधिक दिन जुडेंग़े। वहीं हिमाचल के उतर पश्चिम क्षेत्र में इनकी संख्या 15 तक हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में हर साल बादल फटने की छह से सात घटनाएं पेश आती हैं, जिसमें जानी सहित करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।

ऐसे करें बचाव

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश मोख्टा का कहना है नुकसान को टालने के लिए लोगों को ढलान वाली कच्ची जगह पर मकान बनाने से परहेज करना चाहिए । ढलान वाली जगह मजबूत होने पर ही निर्माण किया जाना चाहिए। इसके अलावा नदी नालों से दूरी बनानी चाहिए।

ये हैं संवेदनशील क्षेत्र

प्रदेश में बादल फटने की दृष्टि से शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा और कांगड़ा अति संवेदनशील हैं। यहां हर बरसात में करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इस कारण सैकडों मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और अन्य भवनों सहित सडक़ों, पेयजल योजनाओं और बिजली बोर्ड को नुकसान होने से आपूर्ति बाधित होती है।


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