औद्योगिक कोरिडोर की हिमाचल तक पहुंच

जिला ऊना में मैहतपुर, टाहलीवाल, गगरेट, अंब, जीतपुर बेहड़ी, बसाल, पंडोगा के रूप में 7 विकसित औद्योगिक क्षेत्र हैं व 12 औद्योगिक क्षेत्र लगभग 2000 एकड़ भूमि पर विकसित किए जा रहे हैं/प्रस्तावित हैं। प्रदेश के औद्योगिक विकास में नया आयाम जुड़ेगा…

जैसा कि हम जानते हैं कि ‘‘राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम’’ का मुख्य उद्देश्य भारत में औद्योगिक शहरों का विकास व मूलभूत औद्योगिक ढांचे का विकास करना है। हिमाचल के लिए गर्व की बात है कि ‘‘बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़’’ क्षेत्र को पहले ही ‘‘अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे’’ में शामिल करने की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी जा चुकी है। अभी कुछ दिन पूर्व ही वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में दिल्ली में राष्ट्रीय ‘‘औद्योगिक कोरिडोर विकास व क्रियान्वयन ट्रस्ट’’ की ‘‘सर्वोच्च निगरानी प्राधिकरण’’ की बैठक हुई, जिसमें 18 राज्यों के उद्योग मंत्रियों में हिमाचल के उद्योग मंत्री ने भी प्रदेश के उच्च अधिकारियों के साथ भाग लिया व बद्दी की तजऱ् पर ‘ऊना’ को भी अमृतसर-कोलकाता कोरिडोर के साथ जोडऩे की पुरजोऱ वकालत की। वर्तमान में दिल्ली-मुंबई, चेन्नई-बंगलूरू, चेन्नई-बंगलूरू कोरिडोर का वाया कोयम्बटूर-कोची तक विस्तार, अमृतसर-कोलकाता व हैदराबाद-नागपुर’’ ये 5 औद्योगिक गलियारे हैं। अनेक भौगोलिक बाधाओं के बावजूद, आज हिमाचल प्रदेश उद्यमियों के लिए एक उत्तम निवेश राज्य बनकर उभरा है। ‘‘व्यापार में सुगमता’’ के क्षेत्र में पहाड़ी राज्यों में प्रथम व पूरे देश में पहले 10 राज्यों में इसका स्थान है।

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों को हिमाचल ने पीछे छोड़ा है। ‘‘स्टार्ट-अप इको सिस्टम’’ रैंकिंग में भी हिमाचल को ‘‘एस्पायरिंग लीडर’’ होने का गौरव प्राप्त हुआ है। आज राज्य सकल घरेलू उत्पाद में ‘‘सैकेंडरी सैक्टर’’ का योगदान लगभग 40 प्रतिशत है। प्रशासन तक उद्यमी की सहज पहुंच, अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर कानून व्यवस्था, गुणवत्ता युक्त बिजली की निर्बाध आपूर्ति आदि कुछ ऐसे बिंदु भी हैं, जो हिमाचल को पूरे देश में एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करते हैं। ‘‘बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र’’ को एशिया का ‘‘फार्मा हब’’ व हिमाचल का ‘‘मानचेस्टर’’ भी कहा जाता है। पूरे राज्य का 60 प्रतिशत से भी अधिक का निर्यात इस क्षेत्र से होता है। वस्त्र उद्योग, फार्मा, इलैक्ट्रोनिक्स इत्यादि इसमें प्रमुख हैं। जिला सोलन में स्थित यह क्षेत्र चंडीगढ़ के बहुत निकट है व लगभग 35 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जहां लगभग 2500 औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हंै। 5600 बीघा भूमि पर 11 औद्योगिक क्षेत्र/ औद्योगिक बस्तियां/ निर्यात संवर्धन औद्योगिक पार्क यहां विकसित हैं। सिपला, सनफार्मा, टौरेंट फार्मा, मॉण्डेलिज, कोलगेट, प्रौक्टर एण्ड गैम्बल, वर्धमान, इण्डोरामा, बिरला, फिलिप्स, हैवेलस, ल्यूमिनस, इण्डोफार्म, टी.वी.एस. मोटर्स जैसे बड़े औद्योगिक समूह यहां कार्य कर रहे हैं।

मूलभत औद्योगिक ढांचे के रूप में यहां इनलैण्ड कंटेनर डिपो, सांझा प्रवाह शोधन संयंत्र, हज़ार्डस वेस्ट प्रबंधन संयंत्र, कौशल विकास केन्द्र, ई.एस.आई. अस्पताल, वर्कर्स होस्टल (पुुरुष व महिलाओं के लिए) तथा सामाजिक सुविधाओं के रूप में रिहायशी सुविधाएं, व्यापारिक केन्द्र, डेन्टल व फार्मा महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय यहां उपलब्ध हैं। उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत तथा प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए व कच्चे माल तथा तैयार माल की ढुलाई की लागत कम करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने राष्ट्रीय औद्योगिक कोरिडोर विकास निगम (एन.आई.सी.डी.सी.) के साथ मिलकर एक विशेष प्रयोजन संस्था (एस.पी.वी.) बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह ‘‘एस.पी.वी.’’ ‘‘बी.बी.एन. क्षेत्र’’ में ‘‘अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कोरिडोर’’ के अंतर्गत ‘‘एकीकृत विनिर्माण संकुल’’(आई.एम.सी.) विकसित करेगी, जिससे ‘‘टं्रकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर’’ व आवश्यक औद्योगिक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी, जिससे ‘‘बी.बी.एन औद्योगिक क्षेत्र’’ और प्रतिस्पर्धात्मक बन सकेगा। संयुक्त रूप से ‘‘बी.बी.एन. क्षेत्र’’ में 5 एकीकृत विनिर्माण संकुलों की पहचान की गई है। 3026 एकड़ भूमि से 300 एकड़ पर ‘‘मैडिकल डिवाइस पार्क’’ व 800 एकड़ पर ‘‘रक्षा पार्क’’ जैसी राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजनाएं विकसित की जाएंगी। शेष भूमि से संबंधित आवश्यक सरकारी स्वीकृतियां अभी अंतिम चरण में हैं। ऊना आज प्रदेश का उभरता हुआ औद्योगिक जिला बन रहा है। यह बी.बी.एन. औद्योगिक क्षेत्र से मात्र 80 किलोमीटर की दूरी पर है। उद्योग विभाग ने कुछ समय पूर्व धर्मशाला में आयोजित बैठक में ‘‘एन.आई.सी.डी.सी. (राष्ट्रीय औद्योगिक कोरिडोर विकास निगम)’’ की टीम को इस जिले को भी ‘‘बी.बी.एन. नोड परियोजना’’ में शामिल किए जाने का प्रस्ताव दिया था, क्योंकि यह क्षेत्र उत्तम रोड व रेल नेटवर्क से जुड़ा है।

रोपड़-धर्मशाला व होशियारपुर-जालंधर उच्च मार्ग इसकी दोनों सीमाओं से लगते हैं। ‘‘आदमपुर हवाई अड्डा’’ ऊना से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर है। वर्तमान में यहां 450 से अधिक उद्यम कार्य कर रहे हैं तथा राज्य का पहला ‘‘फूड पार्क’’, जिसमें 100 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, यहां स्थित है। ‘‘टाहलीवाल औद्योगिक बैल्ट’’ में ‘‘भारतीय गैस प्राधिकरण लिमेटिड’’ (गेल) द्वारा प्रदान की गई प्राकृतिक गैस की पाईपलाइन कार्य कर रही है। इस जिला से लगभग 1000 करोड़ का निर्यात होता है। नेस्ले इण्डिया, क्रिमिका फूड, न्यासा प्लास्टिक, सुखजित एग्रो उद्योग, प्रीतिका ऑटोकॉस्ट, सोनालिका उद्योग, ल्यूमिनस उद्योग, सेलसन स्टील, सूपरमैक्स उद्योग यहां कार्यरत हैं। जिला ऊना में मैहतपुर, टाहलीवाल, गगरेट, अंब, जीतपुर बेहड़ी, बसाल, पंडोगा के रूप में 7 विकसित औद्योगिक क्षेत्र हैं व 12 औद्योगिक क्षेत्र लगभग 2000 एकड़ भूमि पर विकसित किए जा रहे हैं/प्रस्तावित हैं। इसके अतिरिक्त 1405 एकड़ भूमि पर ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है तथा ‘‘एकीकृत औद्योगिक पार्क’’, इलैक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेन्टस की परियोजनाओं को भी इस जिला में स्थापित करने की पहचान की गई है। 1000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला ‘‘ग्रीन हाईड्रोजन संयंत्र’’ भी ऊना जिला में आ रहा है। एन.आई.सी.डी.सी. व राज्य सरकार का यह संयुक्त प्रयास निश्चित रूप से बी.बी.एन. क्षेत्र, जिला ऊना व हिमाचल के औद्योगिक विकास में एक नया आयाम स्थापित करेगा।

संजय शर्मा

लेखक शिमला से हैं


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